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UPS Scheme: UPS कर्मचारियों की रिटायरमेंट पेंशन कितनी होगी? जानें पूरा फॉर्मूला!

UPS Scheme: UPS कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर, रिटायरमेंट के बाद पेंशन कितनी मिलेगी, इसका पूरा कैलकुलेशन जान लें। पेंशन राशि कर्मचारी के अंतिम वेतन, सर्विस अवधि और पेंशन फॉर्मूले पर निर्भर करती है। सरकार के नियमों के अनुसार पेंशन का सही आकलन किया जा सकता है। जानें रिटायरमेंट के बाद आपकी पेंशन कितनी होगी और किन कारकों से इसमें बदलाव आ सकता है। नीचे जानें पूरी डिटेल।
 
 
UPS Scheme: UPS कर्मचारियों की रिटायरमेंट पेंशन कितनी होगी? जानें पूरा फॉर्मूला!
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Haryana update, UPS Scheme: सरकार अब कर्मचारियों के लिए एक नई यूनिफाइड पेंशन scheme (UPS) लागू करने जा रही है, जिसे नए वित्त वर्ष से शुरू कर दिया जाएगा। यह scheme उन लाखों कर्मचारियों के लिए एक बड़ी सौगात साबित होने वाली है, जिन्होंने retirement के बाद एक सुनिश्चित और स्थिर पेंशन पाने की मांग की है। हालांकि, अभी तक कई कर्मचारियों में इस बात को लेकर संशय है कि retirement के बाद उन्हें कितनी पेंशन मिलेगी और इसकी पूरी गणना कैसे की जाती है। इस खबर में हम आपको UPS की पूरी कैलकुलेशन और उसके फायदों व नुकसान से जुड़ी सभी जानकारी विस्तार से बता रहे हैं।

UPS और NPS में अंतर --UPS Schem

सरकार ने पहले ओल्ड पेंशन scheme (old pension scheme) के अलावा नेशनल पेंशन सिस्टम ( new pension scheme) भी शुरू किया था। अब, एनपीएस के तहत आने वाले कर्मचारियों को विकल्प के रूप में यूनिफाइड पेंशन scheme (UPS) पेश की जा रही है। UPS को एश्योर्ड पेंशन scheme (Assured Pension Scheme) के नाम से भी जाना जाएगा, क्योंकि इसमें retirement के बाद मिलने वाली पेंशन किसी भी स्टॉक या डेट मार्केट की स्थिति से प्रभावित नहीं होगी। वहीं, NPS एक मार्केट लिंक्ड पेंशन scheme है, जिसमें पेंशन के रुपये घट-बढ़ सकते हैं। इसलिए, कई employee इस बात को लेकर कंफ्यूजन में हैं कि उन्हें एनपीएस के बजाय UPS चुनना चाहिए या नहीं। UPS में हर महीने कम से कम 10,000 रुपये पेंशन मिलने की निश्चितता है, जिससे इसे एक सुरक्षित विकल्प माना जा रहा है।

UPS पेंशन कैलकुलेशन का फॉर्मूला --UPS Schem

सरकार ने UPS के तहत पेंशन कैलकुलेशन का एक सरल फॉर्मूला रखा है, जिसका उपयोग करके employee अपनी पेंशन राशि आसानी से जान सकते हैं। फॉर्मूला इस प्रकार है:
पेआउट = (12 महीने के बेसिक वेतन का जोड़ / 12) का 50%
इसका मतलब है कि पहले आपके 12 महीने के औसत बेसिक वेतन का पता लगाया जाएगा और फिर उसका 50 प्रतिशत निकालकर आपकी मासिक पेंशन तय की जाएगी। ध्यान देने योग्य बात यह है कि UPS को अपनाने वाले कर्मचारियों में से वे ही इस फॉर्मूले का लाभ उठा सकते हैं जिनकी नौकरी में कम से कम 25 साल की सेवा बाकी है। यदि किसी employee की सेवा अवधि 25 साल से कम है तो इस फॉर्मूले में एक अनुपात (प्रपोर्शेनेट फैक्टर) का प्रयोग किया जाएगा।

पेंशन कैलकुलेशन के तीन मुख्य परिदृश्य  --UPS Schem

पहली स्थिति (25 साल या अधिक सेवा):
मान लीजिए किसी employee की retirement के समय उसकी औसत बेसिक वेतन 12,00,000 रुपये का सालाना (अर्थात 12 महीने में 1,00,000 रुपये प्रति माह) है। तो फॉर्मूले के अनुसार,
पेआउट = 50% × 1,00,000 = 50,000 रुपये प्रति माह।
इस स्थिति में employee को UPS के तहत हर महीने 50,000 रुपये पेंशन मिलेगी।

दूसरी स्थिति (25 साल से कम सेवा):  --UPS Schem

यदि किसी employee की सेवा अवधि 25 साल से कम है, उदाहरण के तौर पर 20 साल, तो यहाँ पर एक प्रपोर्शेनेट फैक्टर का उपयोग किया जाएगा।
फैक्टर = 20/25 = 0.8।
अब, पेआउट = 50% × 1,00,000 × 0.8 = 40,000 रुपये प्रति माह।
यानी 20 साल की सेवा वाले employee को 40,000 रुपये की मासिक पेंशन मिलेगी।

तीसरी स्थिति (न्यूनतम गारंटीड पेआउट):  --UPS Schem

यदि retirement के समय किसी employee का बेसिक वेतन इतना कम है कि उपरोक्त फॉर्मूले से निकाली गई पेंशन राशि 7,500 रुपये प्रति माह तक आ जाती है, तो सरकार की नियमावली के अनुसार न्यूनतम गारंटीड पेंशन राशि तय की गई है। ऐसी स्थिति में, यदि गणना से प्राप्त पेआउट निर्धारित न्यूनतम राशि से कम हो जाती है, तो employee को कम से कम 10,000 रुपये प्रति माह पेंशन दी जाएगी। यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी परिस्थिति में कर्मचारियों को एक निश्चित न्यूनतम पेंशन का लाभ मिले।

UPS अपनाने पर विचारणीय बातें  --UPS Schem

एक बार जब कोई employee UPS को अपना लेता है, तो बाद में वह चाहें तो एनपीएस पर वापस नहीं जा सकता। इसीलिए, UPS अपनाने से पहले सभी नियमों, गणनाओं और अपने करियर की स्थिति का अच्छी तरह से मूल्यांकन करना जरूरी है। कर्मचारियों को यह समझना होगा कि UPS में retirement के बाद मिलने वाली पेंशन स्टॉक मार्केट या डेट मार्केट की अस्थिरता से प्रभावित नहीं होगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में स्थिरता बनी रहेगी। वहीं, एनपीएस में लाभ की संभावना तो हो सकती है, लेकिन उसमें जोखिम भी जुड़ा रहता है।