High Court: पति की कमाई पर ताना मारना पड़ा भारी, कोर्ट ने सुनाया कड़ा फैसला!

मुख्य बिंदु: High Court
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अपमानजनक शब्दों का प्रभाव:
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पत्नी द्वारा पति को अपमानित करने वाले शब्द रिश्तों में गंभीर दरार डाल सकते हैं। ऐसे शब्द मानसिक उत्पीड़न के समान हैं और इनके कारण पति की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिससे दम्पत्ति के बीच तनाव बढ़ सकता है। -
पारिवारिक अदालत का निर्णय: High Court
पारिवारिक अदालत ने पहले यह माना था कि पत्नी की कुछ हरकतें—जैसे घर छोड़ने के लिए मजबूर करना, कर्ज लेने के लिए ताने मारना, और सीमित संसाधनों के साथ तालमेल न बैठाना—पति की मानसिक पीड़ा का कारण बनती हैं। अदालत ने पति के पक्ष में तलाक देने का आदेश भी दिया था। -
हिंदू विवाह अधिनियम का हवाला: High Court
कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1ए)(ii) का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर कोई साथी विवाहिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो तलाक की अर्जी दायर की जा सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि तलाक की मांग तभी की जा सकती है जब एक पक्ष के खिलाफ कुछ राहत प्रदान की गई हो। -
निचली अदालत के फैसले की पुष्टि: High Court
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए स्वीकार किया कि पत्नी की ओर से पति पर तानेबाजी गलत है और यह रिश्तों में दरार का कारण बन सकती है। ऐसे तानेबाजी तलाक के मजबूत आधार बन सकते हैं। -
घरेलू हिंसा और मानसिक पीड़ा: High Court
कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि घरेलू हिंसा के दौरान, छोटे-छोटे विवाद समय के साथ एक गंभीर मानसिक उत्पीड़न का रूप ले लेते हैं। यह स्थिति दम्पत्ति के रिश्ते में गहराई से तनाव पैदा कर सकती है, जिससे स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन जीना मुश्किल हो जाता है।
इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि विवाहिक संबंधों में आपसी सम्मान और समझदारी का होना अनिवार्य है। अगर कोई साथी अपने विवाहिक दायित्वों का पालन नहीं करता और अपमानजनक शब्दों या हरकतों के माध्यम से दूसरे साथी को मानसिक पीड़ा पहुंचाता है, तो कानून के तहत उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। यह निर्णय पति के अधिकारों की सुरक्षा करता है और समाज में स्वस्थ वैवाहिक संबंधों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।