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26 December: आज है वीर बाल दिवस, गुरु गोबिंद के छोटे साहिबजादों की वीरता और अदम्य साहस गाथा

Veer Bal Diwas 2024:वीर बाल दिवस 26 दिसंबर को मनाया जाता है, जिसे भारत के इतिहास में शौर्य और बलिदान के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
 
veer bal diwas 2024
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Veer Bal Diwas 2024: यह दिन सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों, साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फतेह सिंह जी, के बलिदान को याद करने और उनके अदम्य साहस को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।

वीर बाल दिवस का इतिहास
1705 में, मुगल शासक औरंगज़ेब के शासनकाल के दौरान, गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों को पकड़ा गया और उनके सामने धर्म परिवर्तन का प्रस्ताव रखा गया।

जोरावर सिंह (9 वर्ष) और फतेह सिंह (7 वर्ष) ने धर्म परिवर्तन करने से स्पष्ट इनकार कर दिया।
इस अदम्य साहस के कारण, उन्हें जीवित ही दीवार में चुनवा दिया गया।
उनकी इस अमर कुर्बानी ने यह साबित किया कि धर्म और सिद्धांतों की रक्षा के लिए आयु या परिस्थिति बाधा नहीं हो सकती।

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वीर बाल दिवस की स्थापना
भारत सरकार ने 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वीर बाल दिवस की शुरुआत की घोषणा की। इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को इतिहास के इस वीरतापूर्ण अध्याय से परिचित कराना और साहिबजादों के बलिदान से प्रेरणा लेना है।

वीर बाल दिवस का महत्व
धर्म और सिद्धांतों की रक्षा का संदेश: यह दिन हमें सिखाता है कि अपने धर्म और मूल्य की रक्षा के लिए साहस और दृढ़ता की आवश्यकता होती है।
बच्चों के लिए प्रेरणा: साहिबजादों का त्याग बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
समानता और न्याय: साहिबजादों का बलिदान सभी धर्मों और जातियों के प्रति समानता और सहिष्णुता का संदेश देता है।
राष्ट्रीय गौरव: यह दिवस भारत के इतिहास के गौरवशाली पलों को संजोने और बढ़ावा देने का प्रतीक है।

कैसे मनाया जाता है यह दिन?
धार्मिक आयोजन: गुरुद्वारों में साहिबजादों के जीवन और बलिदान पर कथा और कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
समाज सेवा: सिख समुदाय के लोग लंगर और अन्य सेवा गतिविधियों के माध्यम से उनके आदर्शों को जीवंत रखते हैं।
शैक्षिक कार्यक्रम: स्कूल और कॉलेज में विशेष सेमिनार और प्रदर्शनियां आयोजित की जाती हैं।
प्रेरणा दिवस: बच्चों को साहिबजादों की कहानियों के माध्यम से साहस और सच्चाई का महत्व सिखाया जाता है।

वीर बाल दिवस न केवल साहिबजादों के त्याग को सम्मानित करने का अवसर है, बल्कि हर व्यक्ति को अपने मूल्यों, सत्य और न्याय के लिए अडिग रहने का संदेश भी देता है। आइए, इस दिन के माध्यम से उनके बलिदान को नमन करें और उनके दिखाए गए रास्ते पर चलने की प्रेरणा लें।