DA Hike: 10 लाख सरकारी कर्मचारियों को राहत, इस राज्य में डीए 4% बढ़ा!

महंगाई भत्ता (Dearness Allowance - DA) क्या होता है?
महंगाई भत्ता एक ऐसा भत्ता है जो सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारकों को मुद्रास्फीति (Inflation) के प्रभाव को संतुलित करने के लिए दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि महंगाई बढ़ने से कर्मचारियों की वास्तविक आय और क्रय शक्ति पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े। यानी, महंगाई भत्ता बढ़ने से वे महंगे होते सामान और सेवाओं को खरीदने में सक्षम रहते हैं।
महंगाई भत्ते की गणना कैसे होती है?
महंगाई भत्ता औद्योगिक श्रमिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) के आधार पर तय किया जाता है। केंद्र सरकार समय-समय पर इस सूचकांक का औसत निकालती है और उसी के अनुसार DA की दर निर्धारित करती है। उदाहरण के लिए, यदि पिछले 12 महीनों का औसत CPI-IW बढ़कर एक निश्चित स्तर तक पहुँच जाता है, तो DA में उसी अनुपात में बढ़ोतरी की जाती है।
महंगाई भत्ते में वृद्धि के प्रभाव
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सरकारी कर्मचारियों की क्रय शक्ति में सुधार:
DA बढ़ने से कर्मचारियों की आय में इजाफा होता है, जिससे वे महंगे सामान और सेवाओं को खरीद सकेंगे। -
पेंशनभोगियों को राहत:
पेंशनधारकों की मासिक पेंशन में भी वृद्धि होती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। -
बाजार में मांग में वृद्धि:
कर्मचारियों की बढ़ी हुई आय के कारण वे अधिक खर्च करने लगते हैं, जिससे बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ जाती है। -
सरकारी खजाने पर बोझ:
लाखों कर्मचारियों और पेंशनधारकों को DA देने के कारण सरकारी बजट पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव भी पड़ता है। -
महंगाई पर संभावित असर:
यदि अधिक लोग अपनी बढ़ी हुई आय के साथ खर्च बढ़ाते हैं, तो इससे महंगाई में भी वृद्धि हो सकती है।
महंगाई भत्ते में संशोधन की प्रक्रिया
सरकार हर साल जनवरी और जुलाई में महंगाई भत्ते की समीक्षा करती है और आवश्यकतानुसार इसकी दर में बदलाव करती है। केंद्र और राज्य सरकारें अपने वित्तीय संसाधनों और नीतियों के आधार पर अलग-अलग दरों पर DA प्रदान करती हैं। पश्चिम बंगाल सरकार का यह 4% इजाफा राज्य के कर्मचारियों के लिए एक सकारात्मक कदम है, जिससे उनके महंगाई भत्ते की कुल दर 18% हो जाएगी।