Cheque Bounce: अगर चेक बाउंस हुआ तो क्या होगा? जानिए जुर्माना और सजा के नियम

चेक बाउंस होने के मुख्य कारण Cheque Bounce
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अपर्याप्त धनराशि:
अगर चेक जारी करने वाले के बैंक खाते में पर्याप्त राशि नहीं होती, तो चेक डिसऑनर हो जाता है। -
गलत हस्ताक्षर:
चेक पर सही साइन नहीं होने से भी चेक बाउंस हो सकता है। यदि साइन मेल नहीं खाते तो चेक अमान्य हो जाता है। -
खाता संख्या में त्रुटि:
कई बार खाता संख्या में गलती होने के कारण भी चेक डिसऑनर हो जाते हैं, जिससे बैंक चेक को अस्वीकृत कर देता है। -
तारीख से संबंधित समस्याएँ:
चेक पर दी गई तारीख का सही होना बेहद जरूरी है। यदि चेक एक्सपायर हो चुका हो या जारी करने की तारीख में कोई गलती हो, तो भी Cheque Bounce हो सकता है। -
पेमेंट रोकने की स्थिति:
कभी-कभी चेक जारी करने वाला स्वयं पेमेंट रोक देता है, जिससे वह चेक डिसऑनर माना जाता है।
चेक बाउंस के कानूनी नियम Cheque Bounce
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निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881:
यदि चेक में अपर्याप्त धनराशि होने के कारण पेमेंट नहीं हो पाता है, तो इसे निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत अपराध माना जाता है। -
जुर्माना और सजा:
- Cheque Bounce होने पर बैंक अलग-अलग पेनाल्टी स्लैब के अनुसार जुर्माना लगा सकता है।
- भुगतानकर्ता को तीन महीने की मोहलत दी जाती है, जिसमें वह नया चेक जारी कर सकता है।
- अगर तीन महीने के भीतर नया चेक जारी नहीं होता है, तो नियमों के तहत उस व्यक्ति को दो साल तक की जेल की सजा भी हो सकती है।
- अदालत द्वारा मामले की गंभीरता के अनुसार 6 महीने से 1 वर्ष तक कारावास की सजा सुनाई जा सकती है।
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कंपनसेशन के प्रावधान:
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 के अंतर्गत अदालत यह भी कह सकती है कि अभियुक्त को परिवादी को मुआवजा दिया जाए। यदि ऐसा होता है, तो यह मुआवजा चेक राशि की दोगुनी भी हो सकती है।