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Chanakya Niti : चरित्रहीन महिलाओं का कभी ना करें अपमान, वरना पड़ जाएंगे लेने के देने

आचार्य चाणक्य का मत है कि राजा की पत्नी मां की तरह होती है। हमेशा उनकी सेवा करनी चाहिए। इससे धन और सौभाग्य बढ़ता है। राजा की धर्मपत्नी का अपमान करना भूलकर भी नहीं करना चाहिए। अगर आप भी गलती से अपमानित हो जाते हैं, तो तुरंत माफी मांग लें। अगर आप जानबूझकर अपमान करते हैं, तो आपको दंड मिल सकता है।
 
Chanakya Niti : चरित्रहीन महिलाओं का कभी ना करें अपमान, वरना पड़ जाएंगे लेने के देने 

आचार्य चाणक्य मौर्य शासनकाल में हुआ था। उन्हें राजनीति शास्त्र का ज्ञान था। आचार्य चाणक्य की नीतियां दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। उनकी मदद से चंद्रगुप्त ने मौर्य साम्राज्य बनाया था। आचार्य चाणक्य ने कई महत्वपूर्ण लेख लिखे हैं। चाणक्य नीति सबसे प्रसिद्ध है। चाणक्य ने इस शास्त्र में हर विषय पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उनके विचार आज भी महत्वपूर्ण हैं। नीति शास्त्र के चौथे अध्याय में आचार्य चाणक्य ने पांच महिलाओं की सेवा और सम्मान करने की सलाह दी है। उनका मानना है कि इन पांच महिलाओं की सेवा करने से व्यक्ति जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल करता है। इसके बारे में सब कुछ जानें:

राजा की धर्मपत्नी, आचार्य चाणक्य के अनुसार, मां समान होती है। हमेशा उनकी सेवा करनी चाहिए। इससे धन और सौभाग्य बढ़ता है। राजा की धर्मपत्नी का अपमान करना भूलकर भी नहीं करना चाहिए। अगर आप भी गलती से अपमानित हो जाते हैं, तो तुरंत माफी मांग लें। अगर आप जानबूझकर अपमान करते हैं, तो आपको दंड मिल सकता है। आपको इसके लिए दंड भी मिल सकता है।

गुरु की पत्नी ज्ञानी नहीं है। गुरु के बिना कोई व्यक्ति काली स्याही की तरह है। आचार्य चाणक्य ने कहा कि गुरु की पत्नी भी मां की तरह हैं। गुरु मां की सेवा करने से व्यक्ति जीवन में अपने मन की सफलता प्राप्त कर सकता है। यही कारण है कि गुरु को मां की सेवा करनी चाहिए। भूलकर भी गुरु मां का अपमान नहीं करना चाहिए।

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मित्र की पत्नी चाणक्य ने कहा कि मित्र के साथ हमेशा विश्वासी रहना चाहिए। वहीं, मित्र की पत्नी भी मां है। इसलिए मित्र की पत्नी से स्नेह रखना चाहिए। आपको उनकी सेवा करनी चाहिए और कृपा के भागी बनना चाहिए। अगर आप भूलकर भी मित्र की पत्नी को दुखाते हैं, तो आपको इसके परिणाम भुगतना पड़ सकता है।

पत्नी की माता: आचार्य चाणक्य ने कहा कि पत्नी की माता, यानी सास, भी मां की तरह होती है। उनका अपमान करना भी भूल जाओ। कहते हैं कि आप पाप के भागी बन सकते हैं अगर आपके वचन या व्यवहार से पत्नी की सास का दिल दुखता है। इससे आपका जीवन खराब हो सकता है। इसलिए अपनी पत्नी की माता की भी देखभाल करें।

माता-पिता को आचार्य चाणक्य ने ईश्वर का रूप मानते हैं। उन्हें लगता है कि मां में भगवान के गुण हैं। मां अपने बच्चे को निस्वार्थ भाव से पालन-पोषण करती हैं। उसे काबिल बनाने के लिए इसलिए मां को कभी नहीं भूलना चाहिए। कहते हैं कि मां की सेवा करने वाले को पृथ्वी पर ही स्वर्ग के समान सुख मिलते हैं। इसलिए किसी भी तरह से मां का अपमान न करें।