Chanakya Niti : अमीर बनने के लिए आचार्य चाणक्य ने बताएं सबसे सरल रास्ते
Chanakya Niti : अमीर बनना हर किसी का सपना है, हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी सफलता में कोई बाधा न आए, चाणक्य नीति के अनुसार, बहुत से लोगों का साथ ही बुरा होता है, जो सभी अच्छे कामों को बाधित करता है, अगर आप भी अमीर बनना चाहते हैं तो आचार्य चाणक्य ने कहा कि इन लोगों से आज ही विवाह करना चाहिए..।
Mar 6, 2024, 20:17 IST
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Haryana Update : दुनिया के सबसे बड़े अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ और मार्गदर्शक आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र चाणक्य नीति में सफलता के उपायों को बताया है। चाणक्य नीति बताती है कि सफल होने के लिए व्यक्ति को क्या करना चाहिए और क्या छोड़ देना चाहिए। सफलता की ओर तेजी से कदम बढ़ाने वाले व्यक्ति को भी बुरी आदतों ने पीछे खींच लिया और उसे कामयाब होने से रोक दिया। इसलिए इनसे दूर रहना ही अच्छा है।
चाणक्य नीति में, आचार्य चाणक्य ने कहा-
राजा देशकृतं पापं राज्ञः पापं पुरोहितः।
स्त्रीकृतं पापं शिष्यपापं गुरुस्तथा भर्ता च॥'
इस श्लोक में कुछ ऐसे लोगों के बारे में बताया गया है, जिन्हें दूसरों के पापों की सजा भुगतनी पड़ती है बिना किसी गलती किए। ये राजा-प्रजा, शिक्षक-शिष्य और पति-पत्नी हैं। इस श् लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को अपने बुरे कामों का खामियाजा भुगतना ही पड़ता है, लेकिन कभी-कभी दूसरों के बुरे कामों की सजा भी भुगतनी पड़ती है।
राजा और जनता: चाणक्य नीति के अनुसार, एक राष्ट्रपति अपनी गलतियों को पूरी जनता को भुगतना होगा। इसलिए सही शासक होना बहुत महत्वपूर्ण है। देश को छोड़ देना ही बेहतर है अगर उसके प्रधानमंत्री बदमाश और बेवकूफ हैं। आपको कभी भी बड़ा नुकसान पहुंचाने वाले किसी उच्च पदस्थ व्यक्ति से संबंध न बनाएं।
शिक्षक-शिक्षक: गुरु की जिम्मेदारी है अपने शिष्यों को सही रास्ता दिखाना। यदि शिक्षक सही नहीं है या उचित नहीं है, तो उसे दूर करना बेहतर है। गुरु को चुनते समय बहुत सोच-समझकर करें।
पत्नी-पति: पति-पत्नी एक रथ के दो पहिए हैं। लेकिन अगर इन दोनों में से एक बुरा, अनुचित व्यवहार करता या धोखा देता है, तो दूसरे को उससे रिश्ता तोड़ना चाहिए। क्योंकि ऐसे जीवनसाथी के साथ रहना नरक की तरह है
चाणक्य नीति में, आचार्य चाणक्य ने कहा-
राजा देशकृतं पापं राज्ञः पापं पुरोहितः।
स्त्रीकृतं पापं शिष्यपापं गुरुस्तथा भर्ता च॥'
इस श्लोक में कुछ ऐसे लोगों के बारे में बताया गया है, जिन्हें दूसरों के पापों की सजा भुगतनी पड़ती है बिना किसी गलती किए। ये राजा-प्रजा, शिक्षक-शिष्य और पति-पत्नी हैं। इस श् लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को अपने बुरे कामों का खामियाजा भुगतना ही पड़ता है, लेकिन कभी-कभी दूसरों के बुरे कामों की सजा भी भुगतनी पड़ती है।
राजा और जनता: चाणक्य नीति के अनुसार, एक राष्ट्रपति अपनी गलतियों को पूरी जनता को भुगतना होगा। इसलिए सही शासक होना बहुत महत्वपूर्ण है। देश को छोड़ देना ही बेहतर है अगर उसके प्रधानमंत्री बदमाश और बेवकूफ हैं। आपको कभी भी बड़ा नुकसान पहुंचाने वाले किसी उच्च पदस्थ व्यक्ति से संबंध न बनाएं।
शिक्षक-शिक्षक: गुरु की जिम्मेदारी है अपने शिष्यों को सही रास्ता दिखाना। यदि शिक्षक सही नहीं है या उचित नहीं है, तो उसे दूर करना बेहतर है। गुरु को चुनते समय बहुत सोच-समझकर करें।
पत्नी-पति: पति-पत्नी एक रथ के दो पहिए हैं। लेकिन अगर इन दोनों में से एक बुरा, अनुचित व्यवहार करता या धोखा देता है, तो दूसरे को उससे रिश्ता तोड़ना चाहिए। क्योंकि ऐसे जीवनसाथी के साथ रहना नरक की तरह है