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केंद्रीय कर्मचारियों को नए साल पर मिला तगड़ा झटका, GPF ब्याज दरों में नहीं हुई बढ़ोतरी!

केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नए साल की शुरुआत में एक बड़ा झटका आया है। GPF (जनरल प्रोविडेंट फंड) की ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। यह उन कर्मचारियों के लिए चिंता की बात है जो अपनी बचत को बढ़ाने की उम्मीद कर रहे थे। अगर आप भी केंद्रीय कर्मचारी हैं, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। नीचे पूरी जानकारी देखें।

 
केंद्रीय कर्मचारियों को नए साल पर मिला तगड़ा झटका, GPF ब्याज दरों में नहीं हुई बढ़ोतरी!
Haryana update : नई दिल्ली: मोदी सरकार ने नए साल पर केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा झटका दिया है। सरकार ने 1 जनवरी से 31 मार्च 2025 तक की तिमाही के लिए सामान्य भविष्य निधि (GPF) पर ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछले 6 साल से यह दर 7.1% पर स्थिर बनी हुई है।

ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं
वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने हाल ही में जीपीएफ ब्याज दर की घोषणा की है, जिसमें कहा गया है कि इस तिमाही के लिए ब्याज दर 7.1% ही रहेगी। इससे पहले, अक्टूबर से दिसंबर 2024 तक की तिमाही में भी यही दर लागू थी।

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ब्याज दरों में बदलाव की उम्मीद थी
केंद्र सरकार के कर्मचारियों को नए साल के मौके पर GPF की ब्याज दरों में बदलाव की उम्मीद थी, लेकिन वित्त मंत्रालय ने किसी तरह का बदलाव नहीं किया। पिछले कुछ समय से ब्याज दर स्थिर रही है, और कर्मचारियों को अब इस पर कोई राहत नहीं मिली।

किसे-किसे पर लागू होती हैं ये दरें
GPF की ये ब्याज दरें केंद्रीय कर्मचारियों, भारतीय रेलवे, भारतीय आयुध विभाग, रक्षा सेवाओं, भारतीय नौसेना, सशस्त्र सेना और अन्य संबंधित विभागों पर लागू होती हैं। सरकारी कर्मचारियों का एक बड़ा हिस्सा अपनी भविष्य निधि में अधिक राशि जमा करता है क्योंकि GPF पर बैंकों से ज्यादा ब्याज मिलता है।

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जीपीएफ में अब वार्षिक योगदान की सीमा 5 लाख
अब, केंद्रीय कर्मचारियों के लिए GPF में वार्षिक योगदान की सीमा 5 लाख रुपये तय की गई है। 3 साल पहले केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया था कि एक वित्त वर्ष में जीपीएफ में अधिकतम 5 लाख रुपये ही जमा किए जा सकते हैं।

कर्मचारी कितनी राशि निकाल सकते हैं
सरकारी कर्मचारी जीपीएफ से अपनी जमा राशि का 90% तक निकाल सकते हैं, जो उन्हें आवश्यकतानुसार अपने खर्चों के लिए उपलब्ध होता है।

इस फैसले से कर्मचारियों को एक बार फिर ब्याज दरों में राहत की उम्मीद थी, लेकिन वित्त मंत्रालय ने अपनी पुरानी नीति को जारी रखा है।

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