Buying Home Vs Rent: घर खरीदना या किराए पर लेना, क्या है ज्यादा फायदेमंद? जानें डिटेल में!
Buying Home Vs Rent: घर खरीदना या किराए पर लेना – कौन सा विकल्प बेहतर है? यह फैसला आपकी फाइनेंशियल स्थिति, भविष्य की योजनाओं और निवेश रणनीति पर निर्भर करता है। घर खरीदने से आपकी संपत्ति बनती है, लेकिन इसमें बड़ा इन्वेस्टमेंट और EMI का बोझ होता है। वहीं, किराए पर रहने से शुरुआती खर्च कम होता है और फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है। जानें दोनों विकल्पों के फायदे-नुकसान और आपके लिए कौन सा बेहतर रहेगा। नीचे देखें पूरी डिटेल।
Feb 3, 2025, 18:40 IST
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Haryana update : कई लोग इस दुविधा में रहते हैं कि घर खरीदना ज्यादा फायदेमंद है या किराए पर रहना बेहतर विकल्प हो सकता है. यह निर्णय कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे आर्थिक स्थिति, टैक्स लाभ, संपत्ति के दामों में उतार-चढ़ाव और निजी प्राथमिकताएं.
किराए पर घर लेना
टैक्स के नजरिए से लाभ:
- हाउस रेंट अलाउंस (HRA) की छूट मिलती है, अगर एचआरए सैलरी पैकेज का हिस्सा है.
- ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत हर महीने 5,000 रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है.
- किराए पर रहने वालों को न्यू टैक्स रिजीम में HRA छूट नहीं मिलती.
HRA छूट निम्न में से जो सबसे कम हो, उसके आधार पर मिलती है:
- सैलरी (बेसिक+डीए) के 10% से कम किराया भुगतान
- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता या चेन्नई में सैलरी का 50% और अन्य शहरों में 40%
- एक्चुअल HRA
अन्य फायदे:
- किराया आमतौर पर होम लोन EMI से कम होता है.
- बेहतर लोकेशन और टाइप के ज्यादा विकल्प उपलब्ध होते हैं.
- जरूरत पड़ने पर जल्दी रीलोकेट किया जा सकता है.
- टैक्स बेनिफिट्स (ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत).
नुकसान:
- किराए की रकम कभी भी एसेट में नहीं बदलती.
- हर साल किराया बढ़ता है, जिससे मासिक खर्च बढ़ सकता है.
- कोई बड़ा स्ट्रक्चरल बदलाव करने की अनुमति नहीं होती.
- मकान मालिक की शर्तों पर शॉर्ट नोटिस पर घर खाली करना पड़ सकता है.
घर खरीदना
टैक्स लाभ (ओल्ड टैक्स रिजीम में ही लागू):
- होम लोन के प्रिंसिपल रीपेमेंट पर धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है.
- होम लोन के ब्याज भुगतान पर 2 लाख रुपये तक की छूट उपलब्ध है.
- यदि घर किराए पर दिया गया है, तो होम लोन ब्याज, म्यूनिसिपल टैक्स और रेंटल इनकम पर 30% की स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलती है.
नुकसान का सेट-ऑफ और कैरी फॉरवर्ड:
- अगर घर खुद के रहने के लिए खरीदा गया है, तो 2 लाख रुपये तक के नुकसान को अन्य आय स्रोतों से सेट ऑफ किया जा सकता है.
- 2 लाख रुपये से अधिक का नुकसान आगे के 8 वर्षों तक हाउस प्रॉपर्टी इनकम के बदले सेट ऑफ किया जा सकता है.
नोशनल रेंट:
- यदि किसी व्यक्ति के पास 2 से अधिक घर हैं, तो तीसरी संपत्ति को "माना गया किराए पर दिया गया" मानकर टैक्सेबल किया जाता है.
फायदे:
- एक एसेट बनता है, जिससे भविष्य में रिटर्न मिलने की संभावना होती है.
- होम लोन पर टैक्स बेनिफिट्स मिलते हैं.
- लंबे समय में प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ने पर फायदेमंद साबित हो सकता है.
नुकसान:
- डाउन पेमेंट, रजिस्ट्रेशन और प्रॉपर्टी टैक्स जैसी अतिरिक्त लागतें होती हैं.
- प्रॉपर्टी को तुरंत बेचना मुश्किल हो सकता है, यह एक अस्थिर निवेश है.
- बाजार में मूल्य उतार-चढ़ाव से अपेक्षित रिटर्न नहीं मिल सकता.
- EMI का भुगतान नियमित रूप से करना पड़ता है, जिससे वित्तीय दबाव बढ़ सकता है.
कौन सा विकल्प सही है?
- किराए पर रहना उन लोगों के लिए सही हो सकता है, जो करियर में लोच चाहते हैं, फाइनेंशियल लोड कम रखना चाहते हैं और जल्दी किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट होने की संभावना रखते हैं.
- घर खरीदना उन लोगों के लिए बेहतर है, जो स्थायी निवास चाहते हैं, एसेट बनाना चाहते हैं और लंबी अवधि में रियल एस्टेट में निवेश करना चाहते हैं.
यह निर्णय व्यक्ति की वित्तीय स्थिति, लाइफस्टाइल और भविष्य की योजनाओं पर निर्भर करता है.