GST : बजट के दिन सरकार के लिए शानदार खबर, जनवरी में 12% बढ़कर 1.96 लाख करोड़ GST कलेक्शन!

जनवरी 2025 में जीएसटी रेवेन्यू की स्थिति
जनवरी में कुल जीएसटी रेवेन्यू 1,95,506 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की तुलना में 12.3 प्रतिशत की वृद्धि है। इस दौरान सरकार ने 23,853 करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया, जो पिछले साल की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक था। रिफंड के बाद, कुल शुद्ध जीएसटी रेवेन्यू 10.9 प्रतिशत बढ़कर 1.72 लाख करोड़ रुपये रहा। इस बढ़ोतरी के साथ जीएसटी संग्रह में लगातार सुधार हो रहा है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर में तेजी और व्यापार के बीच टैक्स कंप्लायंस में बढ़ोतरी का संकेत देता है।
रिफंड के बावजूद टैक्स संग्रह में बढ़ोतरी
केपीएमजी के इनडायरेक्ट टैक्स प्रमुख और पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि यह अच्छी बात है कि ज्यादा रिफंड देने के बावजूद टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी हो रही है। इसका मतलब यह है कि टैक्स विभाग अब रिफंड प्रक्रिया को तेज़ कर रहा है, जो कारोबारियों के लिए एक सकारात्मक कदम है। यह दर्शाता है कि टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता और सुधार हो रहा है, जिससे कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने में मदद मिल रही है।
बड़े राज्यों में जीएसटी संग्रह में वृद्धि
डेलॉयट इंडिया के भागीदार एम एस मणि ने बताया कि जनवरी में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में जीएसटी संग्रह में 10-20 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई। हालांकि, कर्नाटक, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में जीएसटी संग्रह में 5-9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि अपेक्षाकृत कम है। यह टैक्स अधिकारियों के लिए चिंता का विषय हो सकता है, और इस पर ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है।
जीएसटी कानूनों में प्रस्तावित बदलाव
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2025-26 पेश करते हुए जीएसटी कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव रखा। इन प्रस्तावों का उद्देश्य व्यापार को सुविधाजनक बनाना और टैक्स कंप्लायंस को बढ़ाना है। बजट में निम्नलिखित महत्वपूर्ण बदलावों का उल्लेख किया गया:
- इनपुट टैक्स क्रेडिट: यदि कोई इनपुट सेवा वितरक दूसरे राज्य से सामान मंगवाता है और उस पर टैक्स रिवर्स चार्ज के हिसाब से दिया जाता है, तो अब उस टैक्स का क्रेडिट लेने का नियम बनेगा।
- सामान की ट्रैकिंग: सामान को ट्रैक करने के लिए एक नया नियम बनेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वस्तुएं सही तरीके से ट्रैक की जा रही हैं।
- क्रेडिट नोट पर बदलाव: अगर किसी को क्रेडिट नोट मिलता है, जिससे उसका टैक्स कम होता है, तो उस क्रेडिट नोट पर इनपुट टैक्स क्रेडिट में बदलाव का नियम लागू होगा।
- जुर्माने की शर्तें: यदि केवल जुर्माना मांगा जाता है और टैक्स नहीं, तो अपील करने के लिए जुर्माने की 10 प्रतिशत रकम जमा करनी होगी।
- स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन: स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZ) में रखे सामान को एक्सपोर्ट करने से पहले या घरेलू इस्तेमाल के लिए भेजने से पहले, उसे सप्लाई नहीं माना जाएगा, और इस पर पहले से दिया गया टैक्स वापस नहीं मिलेगा। यह नियम 1 जुलाई 2017 से लागू होगा।
- स्थानीय प्राधिकरण की परिभाषा: "स्थानीय प्राधिकरण" की परिभाषा में "स्थानीय निधि" और "नगरपालिका निधि" शब्दों का भी स्पष्ट किया गया है।
- नई शर्तें और पाबंदियां: रिटर्न फाइल करने के लिए कुछ नई शर्तें और पाबंदियां लगाई गई हैं।
जीएसटी काउंसिल की सिफारिशें
बजट में यह भी बताया गया कि ये बदलाव जीएसटी काउंसिल की सलाह पर राज्यों से बातचीत के बाद तय तारीख से लागू होंगे। इन प्रस्तावों का उद्देश्य व्यापारिक प्रक्रिया को और अधिक सरल और पारदर्शी बनाना है, जिससे टैक्स संग्रहण और व्यापार दोनों में सुधार हो सके।
जनवरी में जीएसटी संग्रह में हुई बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और व्यापारियों के बीच टैक्स कंप्लायंस भी बढ़ रही है। बजट 2025 में प्रस्तावित बदलाव जीएसटी कानून को और अधिक सरल और व्यापारिक दृष्टिकोण से अनुकूल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। सरकार की ओर से किए गए प्रयासों से यह उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में जीएसटी संग्रह और भी बेहतर होगा।