Budget 2025: Old Tax Regime का भविष्य क्या है? इशारे तो यही बता रहे हैं!

नई टैक्स व्यवस्था में बढ़ोतरी और पुरानी व्यवस्था में ठहराव
2020 में सरकार ने नई इनकम टैक्स व्यवस्था लागू की थी, और उसके बाद से हर बजट में इस व्यवस्था में कुछ ना कुछ बदलाव किए गए हैं। इस बार भी सरकार ने टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया है। वहीं, पुरानी टैक्स व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है, और टैक्स छूट की सीमा अभी भी 5 लाख रुपये ही है। इस समय रिबेट के साथ नई व्यवस्था में यह सीमा 12 लाख रुपये हो गई है, जबकि पुरानी व्यवस्था में यह 5 लाख रुपये तक ही सीमित है। इससे साफ है कि सरकार नई व्यवस्था को बढ़ावा दे रही है।
पुरानी व्यवस्था में बदलाव की कमी
नई टैक्स व्यवस्था में हर बजट के साथ कुछ नया किया जा रहा है, लेकिन पुरानी टैक्स व्यवस्था जस की तस पड़ी हुई है। जैसे इस बार सरकार ने नई व्यवस्था में टैक्स छूट सीमा को 4 लाख रुपये कर दिया, लेकिन पुरानी व्यवस्था में यह अभी भी 2.5 लाख रुपये पर स्थिर है। इसके अलावा, पुरानी टैक्स व्यवस्था में विभिन्न तरह के डिडक्शन मिलते थे जैसे कि हाउस रेंट अलाउंस, इंश्योरेंस प्रीमियम, सुकन्या समृद्धि योजना, मेडिकल खर्चे, एनपीएस आदि। वहीं, नई व्यवस्था में इन सभी डिडक्शन का लाभ नहीं मिलता और सिर्फ एनपीएस का ही फायदा मिलता है। यह भी संकेत देता है कि सरकार पुरानी व्यवस्था को प्रोत्साहित नहीं कर रही है।
नए टैक्स व्यवस्था में बढ़ती रुचि
इस बार 12 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स फ्री कर दिया गया है, जो और अधिक लोगों को नई टैक्स व्यवस्था की ओर आकर्षित करेगा। इसी बदलाव के कारण अब तक 65 प्रतिशत लोग नई टैक्स व्यवस्था में शिफ्ट हो चुके हैं, जैसा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही बताया था। नई टैक्स व्यवस्था में छूट की सीमा बढ़ाने से अब अधिक लोग इस व्यवस्था को अपना रहे हैं और टैक्स में राहत महसूस कर रहे हैं।
सरकार का फोकस नई टैक्स व्यवस्था पर
सरकार का फोकस अब मुख्य रूप से नई टैक्स व्यवस्था पर है, और पुराने टैक्स व्यवस्था पर कोई खास ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यह एक संकेत हो सकता है कि सरकार धीरे-धीरे पुरानी व्यवस्था को समाप्त करने की ओर बढ़ रही है, ताकि लोग नई व्यवस्था को अपनाएं और सरकार को टैक्स संग्रहण में सुधार मिले।
निवेश के लिए कम प्रोत्साहन
नई टैक्स व्यवस्था में निवेश के लिए बहुत कम प्रोत्साहन दिया गया है। पहले की पुरानी व्यवस्था में टैक्सपेयर्स को हाउस रेंट अलाउंस, जीवन बीमा प्रीमियम, मेडिकल खर्च, सुकन्या समृद्धि योजना और एनपीएस जैसी कई सुविधाएं मिलती थीं, जिनसे उनकी टैक्स छूट बढ़ जाती थी। लेकिन अब केवल एनपीएस का ही लाभ मिलता है, और बाकि सुविधाओं को हटाकर सरकार निवेश के लिए उतना प्रोत्साहन नहीं दे रही। इससे निवेश के लिए लोगों का रुझान घट सकता है और वे केवल टैक्स बचाने के उपायों पर ध्यान देंगे।
शेयर बाजार का बढ़ता आकर्षण
सरकार ने कई बार यह दावा किया है कि शेयर बाजार में हो रही तेजी उसकी एक बड़ी उपलब्धि है। इसके चलते लोग शेयर बाजार में निवेश करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। इस तरह सरकार नई टैक्स व्यवस्था के तहत अपनी अन्य योजनाओं को बढ़ावा दे रही है, जबकि पुरानी व्यवस्था में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कोई विशेष कदम नहीं उठाए गए हैं।
क्या पुरानी व्यवस्था खत्म हो जाएगी?
यह कहना जल्दबाजी होगा कि सरकार पुरानी टैक्स व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म कर देगी, लेकिन यह संकेत जरूर मिल रहे हैं कि सरकार धीरे-धीरे पुरानी व्यवस्था की ओर ध्यान नहीं दे रही है। अगर यही ट्रेंड जारी रहा और नई व्यवस्था के तहत लगातार छूट बढ़ती रही, तो यह संभव है कि भविष्य में पुरानी टैक्स व्यवस्था का पूरी तरह से समाप्त हो जाना कोई बड़ी बात न हो।
बजट 2025 में टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये करने का कदम इस बात का संकेत है कि सरकार नई टैक्स व्यवस्था को बढ़ावा देने में लगी हुई है। वहीं पुरानी टैक्स व्यवस्था में कोई भी महत्वपूर्ण बदलाव नहीं किया जा रहा है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या सरकार पुरानी व्यवस्था को धीरे-धीरे समाप्त करना चाहती है। इन्वेस्टमेंट और टैक्स राहत के मामले में भी सरकार ने नए टैक्स व्यवस्था को ही प्राथमिकता दी है, और यह संकेत मिलता है कि आने वाले समय में पुरानी टैक्स व्यवस्था का भविष्य संदिग्ध हो सकता है।