हरियाणा सरकार ने फैमिली आइडी पर सख्त निर्देश जारी किए, जानें क्या बदलने वाला है!

हाई कोर्ट का आदेश और सुधारात्मक दिशा-निर्देश
हाई कोर्ट ने कहा कि पीपीपी के कारण किसी भी नागरिक को बुनियादी सेवाओं जैसे पानी, बिजली, शिक्षा, और स्वास्थ्य सुविधाएं से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। जस्टिस महावीर सिंधु ने टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी नागरिक के अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। इसके बाद कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि 29 जनवरी तक स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करें और विभागों के साथ समन्वय कर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
याचिका की पृष्ठभूमि और विवाद
यह मामला तब सामने आया जब कुछ याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) में उनके आवेदन पीपीपी से संबंधित समस्याओं के कारण खारिज कर दिए गए थे। उन्होंने दावा किया कि गलत पिछड़ा वर्ग (BC) प्रमाणपत्र अपलोड करने के बाद भी, इसे पीपीपी डेटा से सत्यापित किया जा सकता था।
राज्य सरकार का पक्ष
हरियाणा सरकार ने कोर्ट को बताया कि मौलिक और आवश्यक सेवाओं को परिभाषित करके पीपीपी की अनिवार्यता तय की गई थी। राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि सबसिडी और राज्य वित्त पोषित योजनाओं के लिए पीपीपी अनिवार्य हो सकता है।
पीपीपी के लाभ और महत्व
फैमिली पहचान पत्र से जुड़े कई लाभ देखे जा सकते हैं:
- सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्तियों तक पहुँचता है।
- यह धोखाधड़ी को रोकने में मदद करता है।
- राज्य सरकार को परिवारों की विस्तृत जानकारी मिलती है।
हालांकि, इसके अनिवार्य होने के कारण कई नागरिकों को बुनियादी सेवाओं से वंचित किया गया था, जिससे नाराजगी बढ़ी थी।
हाई कोर्ट का निर्णय और नागरिकों के अधिकार
हाई कोर्ट का यह आदेश नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सुनिश्चित करेगा कि सरकारी प्रक्रियाएं अधिक पारदर्शी हों और कोई भी व्यक्ति सरकारी सेवाओं से वंचित न रहे।
हरियाणा सरकार को पीपीपी प्रक्रिया में कुछ महत्वपूर्ण सुधार करने होंगे:
- इसे केवल आवश्यक योजनाओं तक सीमित रखना चाहिए।
- नागरिकों को पीपीपी के लाभ और उपयोग के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि लोग आसानी से इस प्रक्रिया को पूरा कर सकें।