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EMI न चुकाने वालों के लिए सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें क्या होगा अब!

EMI न चुकाने वालों के लिए सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आया है। अब यह निर्णय आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकता है अगर आपने समय पर ईएमआई नहीं चुकाई है। कोर्ट के इस नए आदेश के बारे में पूरी जानकारी जानने के लिए पढ़ें। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस फैसले का आपके कर्ज और ईएमआई पर क्या असर पड़ेगा।

 
EMI न चुकाने वालों के लिए सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें क्या होगा अब!
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Haryana Update: बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं लोन देते समय व्यक्ति की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए शर्तें तय करती हैं। आमतौर पर लोग वित्तीय संकट में फाइनेंशियल लोन लेते हैं, लेकिन कई बार वे समय पर लोन की EMI चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं, जिससे उन्हें परेशानी होती है। ऐसे मामलों में लोन डिफॉल्टर्स के खिलाफ अदालतों में केस होते हैं, और सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।

क्या है पूरा मामला?

एक व्यक्ति ने अपनी कार को फाइनेंस कराया और 1 लाख रुपये की डाउनपेमेंट की थी। इसके बाद बाकी रकम का लोन लिया। गाड़ी की EMI हर महीने 12,550 रुपये थी, जिसे उसने 7 महीने तक चुकाया, लेकिन फिर किस्तें चुकाने में असमर्थ हो गया। इसके बाद फाइनेंस कंपनी ने 5 महीने तक इंतजार किया, लेकिन जब लोन की राशि चुकाई नहीं गई, तो कंपनी ने गाड़ी को कब्जे में ले लिया।

उपभोक्ता अदालत का फैसला

इस मामले को उपभोक्ता अदालत में ले जाने पर अदालत ने कहा कि बिना नोटिस के गाड़ी को उठाना गलत है। अदालत ने यह भी कहा कि ग्राहक को समय पर किस्त भरने का पूरा मौका नहीं दिया गया, इसलिए गाड़ी को जब्त करना गलत था। अदालत ने फाइनेंसर पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

फाइनेंसर ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गाड़ी का खरीदार डिफॉल्टर था और उसने 7 किस्तें नहीं भरी थीं। लेकिन क्योंकि फाइनेंसर ने बिना नोटिस के गाड़ी उठाई थी, सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता अदालत का जुर्माना रद्द कर दिया, और फाइनेंसर पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का बड़ा संदेश?

सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया कि यदि आप अपनी गाड़ी की किस्त समय पर नहीं भरते हैं तो फाइनेंसर गाड़ी पर कब्जा कर सकता है। हालांकि यह कानूनी अपराध नहीं माना जाएगा। इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि लोन की किस्त न चुकाने पर वाहन का कब्जा फाइनेंसर के पास चला जाएगा।

बैंक की कार्रवाई

अगर किसी व्यक्ति ने लोन की EMI चुकाई नहीं है, तो बैंक सबसे पहले एक नोटिस भेजता है जिसमें बाकी राशि का विवरण होता है। अगर बैंक को लगता है कि व्यक्ति जानबूझकर लोन चुकाता नहीं है, तो बैंक कानूनी कार्रवाई शुरू कर देती है। अगर लोन लेने वाला व्यक्ति गारंटर के साथ है, तो बैंक सबसे पहले गारंटर से संपर्क करता है, और गारंटर को भुगतान करना पड़ता है।

इस फैसले से यह समझा जा सकता है कि लोन की किस्तें चुकाने में डिफॉल्ट करना न सिर्फ वित्तीय मुश्किलें बढ़ा सकता है, बल्कि कानूनी परेशानियां भी पैदा कर सकता है