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Property Rights: दादा की संपत्ति पर हक किसका? पोते या पिता का, जानिए कानून क्या कहता है

Property Rights: दादा की संपत्ति पर हक को लेकर अक्सर विवाद होते हैं—क्या इस पर पहला अधिकार पोते का होगा या फिर पिता का? भारतीय उत्तराधिकार कानून के तहत संपत्ति के विभाजन के नियम अलग-अलग परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं। यह भी मायने रखता है कि संपत्ति पैतृक है या स्व-अर्जित। क्या पोता सीधे दादा की संपत्ति का हकदार होता है, या पिता के जीवित रहने तक उसे अधिकार नहीं मिलता? जानें पूरी कानूनी डिटेल नीचे।
 
 
Property Rights: दादा की संपत्ति पर हक किसका? पोते या पिता का, जानिए कानून क्या कहता है
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Haryana Update, Digital desk: राष्ट्रीय अदालतों में संपत्ति को लेकर स्पष्ट कानून होने के बावजूद इसके विवाद से जुड़े लाखों मामले पेंडिंग हैं। ऐसे मामले सालों तक सुलझ नहीं पाते क्योंकि वे इतने कठिन होते हैं। यही कारण है कि परिवार के वरिष्ठ सदस्यों को अपनी संपत्ति को समय रहते सही तरीके से बाँट देना चाहिए। दादा और पोते के बीच संपत्ति का विवाद हो जाया करता है। यही कारण है कि ये जानना जरूरी है कि पोते को दादा की संपत्ति पर कितना हक है और वह किस तरह की संपत्ति पर अपना हक जमा सकता है।

यह प्रश्न अक्सर उन हालात में उठता है जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति नहीं छोड़ता। यहां सबसे पहले, एक पोते को अपने दादाजी की स्व-अर्जित संपत्ति पर जन्मसिद्ध अधिकार नहीं है। हां, पोते का जन्मसिद्ध अधिकार पैतृक या पुश्तैनी संपत्ति में है, यानी उसके दादा को उसके पूर्वजों से मिली संपत्ति में उसका हिस्सा होता है। दादा मरते ही उसे उसका हिस्सा नहीं मिलता। यदि दादा खुद संपत्ति खरीदता  है, तो वह उसे किसी को भी दे सकता है. पोता दादा के निर्णय को चुनौती नहीं दे सकता।

पोते का कितना अधिकार?

यदि कोई व्यक्ति बिना वसीयत किए मर जाता है, तो उसके पीछे छोड़ी गई संपत्ति उसके तत्काल कानूनी वारिसों—पत्नी, पुत्र और बेटी—को ही मिलेगी। पोते को कुछ नहीं मिलेगा। मृतक की पत्नी, पुत्र और पुत्रियों को विरासत में मिली संपत्ति को उनकी निजी संपत्ति के रूप में माना जाएगा और किसी अन्य को उस संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा करने का अधिकार नहीं होगा। यदि दादा की मृत्यु से पहले उनके किसी भी बेटे या बेटी की मृत्यु हो जाती है, तो मृतक बेटे या बेटी के कानूनी उत्तराधिकारी को पहले पुत्र या पुत्री को मिलने वाला हिस्सा मिलेगा।

यह स्पष्ट है कि अगर किसी व्यक्ति के दादा की मौत हो जाती है, तो उसके पिता को पहले दादा की संपत्ति मिलेगी, ना कि पोते को। उसे पिता का हिस्सा मिलेगा। हां, अगर पिता की मौत हो जाति है तो उसे दादा की संपत्ति में हिस्सा मिलेगा।