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Aditya L1 Mission: आदित्य L1 सूरज की गर्मी से खुद को किस तरह से बचाएगा, और यह कैसे काम करेगा ? जानिए इसके बारे मे पूरी डिटेल

ISRO ने 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा से आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। मिशन चार महीनों में अंतरिक्ष यान को सूर्य के चारों ओर उसकी हेलो कक्षा एल1 में सफलतापूर्वक स्थापित कर देगा। सूर्य मिशन को आदित्य एल-1 के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (एल1) पर रहते हुए अपना शोध करेगा। सूर्य की प्रचंड गर्मी में आदित्य कैसे कार्य करेगा?
 
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Aditya L1 Mission: भारत अंतरिक्ष सेक्टर में एक के बाद एक उंची छलांग लगा रहा है। 23 अगस्त को चंद्रयान-3 मिशन के तहत रोवर की चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई और अब अपने सौर मिशन को पूरा करने की दिशा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपना पहला कदम बढाया।

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सूर्य मिशन को आदित्य एल-1 नाम क्यों?

विशेषज्ञों ने मिशन के सफल प्रक्षेपण के साथ-साथ विज्ञान और मानवता के लिए इसके महत्व की सराहना की। पृथ्वी और सूर्य के बीच, पाँच लैग्रेंजियन बिंदु (पार्किंग क्षेत्र) हैं जहाँ कोई वस्तु पहुँचने पर रुक जाती है। 

सूर्य मिशन को आदित्य एल-1 के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (एल1) पर रहते हुए अपना शोध करेगा। अब सवाल है कि सूर्य के इतने अधिक तापमान में हमारा आदित्य एल1 काम कैसे करेगा? कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और सूर्य के रहस्यों को कितना जान पाएगा आदित्य एल 1?

सूर्य के रहस्यों का पता लगाना कितना मुश्किल?

इसकी सतह का तापमान 9941 डिग्री फ़ारेनहाइट है, जिससे सूर्य की पहेली का अध्ययन करना मुश्किल हो जाता है। सूर्य के बाहरी कोरोना का तापमान मापना अभी तक संभव नहीं हो सका है। चूँकि यह सूर्य से लाखों डिग्री फ़ारेनहाइट अधिक गर्म होगा, इसलिए इसके करीब जाना असंभव होगा। 

इसके प्रकाश में, आदित्य L1, L1 की निकटतम कक्षा 1.5 मिलियन किमी या पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग 1% पर जाएगा।। इसरो के साइंटिस्ट का मानना है कि एल1 बिना किसी बाधा के लगातार सूर्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दे सकेगा।


सूरज के तेज तापमान से खुद को कैसे बचाएगा आदित्य एल1? (Aditya L-1)

सूर्य के प्रचंड ताप से बचने के लिए आदित्य एल1 में अत्याधुनिक ताप प्रतिरोधी तकनीक लगाए गए है। इसके बाहरी हिस्से पर स्पेशल कोटिंग की गई है, जो सौर ताप से उसे बचाए रखेगा। इसके अलावा एल1 में मजबूत हीट शील्ड और अन्य उपकरण भी लगाए गए हैं।

विज्ञानियों ने बताया क्या है मिशन (Aditya L-1) का मुख्य उद्देश्य?

पुणे में अशोक विश्वविद्यालय और इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स के पूर्व निदेशक और कुलपति प्रोफेसर सोमक रायचौधरी ने इसरो के सौर मिशन की प्रशंसा की और कहा, "आदित्य-एल 1 मिशन का उद्योग के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रभाव पड़ेगा" 

पृथ्वी पर उच्च अक्षांशों पर, अंतरिक्ष मौसम का रेडियो संचार, उच्च आवृत्ति रेडियो संचार, हवाई यातायात, विद्युत ग्रिड और तेल पाइपलाइनों पर प्रभाव पड़ता है। मिशन का उद्देश्य सूर्य के असाधारण कोरोना के रहस्यों को उजागर करना है।'

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