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8th Pay Commission: सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में इस बार कितना इजाफा होगा? जानें पूरा गणित

8th Pay Commission: 8th Pay Commission को लेकर सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, इस बार सैलरी में जबरदस्त बढ़ोतरी हो सकती है। 5वें से 7वें वेतन आयोग तक वेतन में बड़ा इजाफा हुआ था, और इस बार भी फिटमेंट फैक्टर बढ़ने से सैलरी में अच्छी बढ़ोतरी की उम्मीद है। सरकार जल्द ही इस पर फैसला ले सकती है। जानें कितना बढ़ सकता है वेतन और नया अपडेट। नीचे जानें पूरी डिटेल।
 
8th Pay Commission: सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में इस बार कितना इजाफा होगा? जानें पूरा गणित
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Haryana update, 8th Pay Commission: मोदी सरकार की अध्यक्षता में 16 जनवरी 2025 को 8th pay commission को मंजूरी मिल चुकी है, जिसके बाद केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। इस फैसले से 1 करोड़ से अधिक कर्मचारी और पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे। साथ ही, होली से पहले सरकार कर्मचारियों को Dearness Allowance  में बढ़ोतरी का तोहफा देने वाली है। 1 जनवरी 2025 से प्रभावी होने वाली इस बढ़ोतरी से कर्मचारियों की सैलरी में भी जबरदस्त इजाफा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

8th pay commission का महत्व

नया पे कमीशन लागू होने पर फिटमेंट फैक्टर को संशोधित किया जाता है, जो कर्मचारियों की बेसिक सैलरी तय करने का मुख्य आधार होता है। पिछली बार, 7th pay commission में फिटमेंट फैक्टर को 1.86 से बढ़ाकर 2.57 किया गया था। अब उम्मीद की जा रही है कि नया आयोग फिटमेंट फैक्टर को 1.92 से 2.86 के बीच निर्धारित करेगा। अगर ऐसा होता है, तो केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी 18,000 रुपये से बढ़कर लगभग 51,480 रुपये प्रति माह हो जाएगी। साथ ही, पेंशनधारकों की न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये से बढ़कर 25,740 रुपये प्रति माह हो सकती है। इस बड़े इजाफे से कर्मचारियों को आर्थिक राहत मिलने के साथ-साथ उनके जीवन स्तर में भी सुधार आएगा।

Dearness Allowanceमें बढ़ोतरी का तोहफा

सरकार साल में दो बार Dearness Allowanceको अपडेट करती है – आम तौर पर मार्च में होली के आसपास और अक्तूबर में दिवाली के अवसर पर। इस साल होली 14 मार्च 2025 को पड़ रही है और उम्मीद है कि केंद्रीय कैबिनेट की बैठक 6 मार्च को Dearness Allowanceमें 3 से 4 प्रतिशत के इजाफे का ऐलान कर देगी। पिछली बार भी 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी से महंगाई भत्ता 50 प्रतिशत से बढ़कर 53 प्रतिशत हो गया था। इस बार भी केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 3-4 प्रतिशत की बढ़ोतरी के चलते उनके मासिक Dearness Allowanceमें 540-720 रुपये तक का इजाफा देखने को मिल सकता है। परिणामस्वरूप, मौजूदा 53 प्रतिशत DA बढ़कर लगभग 56-57 प्रतिशत तक जा सकता है, जिससे कर्मचारियों की कुल आय में बंपर सुधार होगा।

पे कमीशन का ऐतिहासिक परिदृश्य

भारत में पहला पे कमीशन 1947 में लागू हुआ था। तब से हर नए पे कमीशन ने आर्थिक परिस्थितियों, महंगाई और कर्मचारियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बेसिक सैलरी में समय-समय पर संशोधन किया है।

7th Pay Commission (2014-2016):
न्यूनतम बेसिक सैलरी: 18,000 रुपये प्रति माह
अधिकतम वेतन: 2,50,000 रुपये प्रति माह
इस आयोग में वेतन मैट्रिक्स की शुरुआत की गई और पुराने ग्रेड पे सिस्टम को समाप्त कर दिया गया।
1 करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनधारक लाभान्वित हुए।
6th Pay Commission (2006-2008):
न्यूनतम बेसिक सैलरी: 7,000 रुपये प्रति माह
अधिकतम वेतन: 80,000 रुपये प्रति माह
इस अवधि में पे बैंड्स और ग्रेड पे की शुरुआत हुई, जिससे 60 लाख से अधिक कर्मचारी लाभान्वित हुए।
5th Pay Commission (1994-1997):
न्यूनतम बेसिक सैलरी: 2,550 रुपये प्रति माह
अधिकतम वेतन: 26,000 रुपये प्रति माह
इस आयोग में वेतन संरचनाओं का संकलन किया गया, जिससे लगभग 40 लाख कर्मचारी और पेंशनधारक प्रभावित हुए।

वेतन वृद्धि के प्रभाव और संभावित चुनौतियाँ

8th pay commission के लागू होते ही केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों की सैलरी में जबरदस्त वृद्धि होने की उम्मीद है। इससे उपभोक्ता खर्च में भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। जबकि यह वृद्धि कर्मचारियों के लिए वित्तीय राहत का बड़ा स्रोत बनेगी, कुछ वित्तीय विशेषज्ञ चेतावनी भी देते हैं कि बढ़ी हुई सैलरी से महंगाई में भी बढ़ोतरी हो सकती है। ट्रेड यूनियन, नीति निर्धारक और वित्तीय विश्लेषक इस बात पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं कि कैसे वेतन वृद्धि आर्थिक स्थिति को प्रभावित करेगी।

संपत्ति रजिस्ट्री का एक अहम पहलू

इसी बीच, एक और महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान देना भी जरूरी है – संपत्ति रजिस्ट्री। अक्सर लोग संपत्ति खरीदते समय केवल रजिस्ट्री करवा लेते हैं, लेकिन रजिस्ट्री के बाद नामांतरण (Mutation) की प्रक्रिया न करने से संपत्ति का असली हक हाथ से निकल सकता है। रजिस्ट्री से यह तो प्रमाणित हो जाता है कि लेन-देन हुआ है, परन्तु असली कानूनी स्वामित्व पाने के लिए म्यूटेशन करवाना अनिवार्य होता है। यदि यह कदम नजरअंदाज किया जाता है, तो भविष्य में संपत्ति के बंटवारे और विवाद का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, कर्मचारियों के लिए यह जानना भी उतना ही जरूरी है कि उनके पास न केवल वेतन वृद्धि के लाभ आएँ, बल्कि वे अपने अन्य निवेश और संपत्ति के अधिकार भी सुरक्षित रखें।