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8th Pay Commission: जानें नई सैलरी और पेंशन, पिछले 30 साल में कितना बढ़ा वेतन

8th Pay Commission: कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में होगा बड़ा इजाफा। अनुमान लगाया जा रहा है कि नए वेतन आयोग से वेतन में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। पिछले 30 सालों में कर्मचारियों के वेतन में कितना इजाफा हुआ और इस बार कितनी बढ़ोतरी संभव है, जानें पूरा गणित। सरकार कब लागू कर सकती है नया वेतन आयोग? नीचे जानें पूरी डिटेल।
 
 
8th Pay Commission
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Haryana update, 8th Pay Commission: भारत में हर दस साल बाद केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में सुधार के लिए नए वेतन आयोग का गठन किया जाता है। वर्तमान में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हैं, जिनका कार्यकाल इस साल के अंत में समाप्त होने जा रहा है। इसी के मद्देनजर, केंद्र सरकार 1 जनवरी से नए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करके कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में जबरदस्त बढ़ोतरी लाने की तैयारी में है।

फिटमेंट फैक्टर का महत्व  8th Pay Commission

हर वेतन आयोग में कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन का निर्धारण मुख्य रूप से फिटमेंट फैक्टर के आधार पर किया जाता है। यह फैक्टर महंगाई, आर्थिक परिस्थितियों और कर्मचारियों की आवश्यकताओं के हिसाब से तय किया जाता है। 7वें वेतन आयोग में कर्मचारियों की सैलरी को 2.57 के फिटमेंट फैक्टर के आधार पर निर्धारित किया गया था। वहीं, 8th Pay Commission में इस फैक्टर को बढ़ाकर 2.86 के हिसाब से सैलरी और पेंशन में वृद्धि की जा सकती है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यदि 8th Pay Commission में फिटमेंट फैक्टर 1.92 से 2.86 के बीच रखा जाता है, तो इससे न्यूनतम बेसिक सैलरी में भारी सुधार देखने को मिलेगा। उदाहरण के तौर पर, वर्तमान में न्यूनतम बेसिक सैलरी 18,000 रुपये प्रति माह है, जिसे नए आयोग के तहत बढ़ाकर लगभग 51,480 रुपये प्रति माह किया जा सकता है। इसी प्रकार, न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये से बढ़कर लगभग 25,740 रुपये प्रति माह तक पहुंच सकती है।

8वें वेतन आयोग का आगमन  8th Pay Commission

7वें वेतन आयोग की सिफारिशें 2014 से 2016 तक लागू रहीं, और इसके बाद कर्मचारियों को महंगाई के अनुसार सैलरी में बढ़ोतरी मिली। अब जब इस आयोग का कार्यकाल समाप्ति के कगार पर है, तो अगले वित्त वर्ष में नए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने जा रही हैं। नए आयोग के आने से कर्मचारियों की सैलरी में बम्पर इजाफा होने की उम्मीद जताई जा रही है। यह बदलाव महंगाई, आर्थिक स्थिति और कर्मचारियों की बदलती जरूरतों के अनुसार किया जा रहा है, जिससे सरकारी कर्मचारियों को बेहतर वित्तीय सुरक्षा मिल सके।

वेतन आयोग का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य  8th Pay Commission

भारत में वेतन आयोग की शुरुआत आजादी के तुरंत बाद हुई थी, ताकि सरकारी कर्मचारियों को महंगाई और बदलते आर्थिक परिदृश्यों के अनुरूप उचित मुआवजा मिल सके।

  • 7वां वेतन आयोग (2014-2016):

    • न्यूनतम वेतन: 18,000 रुपये प्रति माह
    • अधिकतम वेतन: 2,50,000 रुपये प्रति माह
    • इस आयोग में वेतन मैट्रिक्स की शुरुआत की गई और ग्रेड पे प्रणाली को समाप्त किया गया।
    • लाभार्थियों की संख्या 1 करोड़ से अधिक पेंशनधारियों समेत रही।
  • 6वां वेतन आयोग (2006-2008):

    • न्यूनतम वेतन: 7,000 रुपये प्रति माह
    • अधिकतम वेतन: 80,000 रुपये प्रति माह
    • इस आयोग में पे बैंड्स और ग्रेड पे प्रणाली की शुरुआत की गई।
    • लगभग 60 लाख कर्मचारियों को इसके अंतर्गत लाभ हुआ।
  • 5वां वेतन आयोग (1994-1997):

    • न्यूनतम वेतन: 2,550 रुपये प्रति माह
    • अधिकतम वेतन: 26,000 रुपये प्रति माह
    • इस आयोग के दौरान विभिन्न वेतन संरचनाओं का संकलन किया गया।
    • लगभग 40 लाख कर्मचारियों को लाभार्थी माना गया।

भविष्य की उम्मीदें  8th Pay Commission

नए वेतन आयोग की सिफारिशें आने के बाद, कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है। फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि के चलते न केवल बेसिक वेतन में उछाल आएगा, बल्कि पेंशन में भी सुधार होगा, जिससे कर्मचारियों को महंगाई के प्रभाव से राहत मिलेगी।

केंद्र सरकार का यह कदम कर्मचारियों की मेहनत का उचित फल देने के साथ-साथ उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से उठाया गया है। नए आयोग के लागू होते ही सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन में बम्पर इजाफा सुनिश्चित हो सकेगा, जिससे उन्हें बेहतर जीवन यापन का मौका मिलेगा।