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ओबीसी लिस्ट में बड़ा बदलाव, 6 राज्यों की 80 जातियों को किया जाएगा शामिल!

सरकार ने ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) लिस्ट में बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है। अब 6 राज्यों की 80 नई जातियों को इस लिस्ट में शामिल किया जाएगा। इस फैसले से इन जातियों को सरकारी नौकरियों, शिक्षा और अन्य योजनाओं में आरक्षण का लाभ मिलेगा। जानें इस बदलाव से जुड़ी अहम जानकारी और इससे प्रभावित होने वाले राज्यों के बारे में।
 
ओबीसी लिस्ट में बड़ा बदलाव, 6 राज्यों की 80 जातियों को किया जाएगा शामिल!
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Haryana update : केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) की सिफारिशों के आधार पर 2025 में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) सूची में 80 नई जातियों को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम उन वंचित समुदायों के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें अब तक सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया। यह पहल सामाजिक न्याय और समान अवसरों की दिशा में एक बड़ा बदलाव लाने का प्रयास है।

ओबीसी लिस्ट में नई जातियों को शामिल करने की प्रक्रिया

एनसीबीसी के प्रमुख हंसराज गंगाराम अहीर ने घोषणा की कि सरकार छह राज्यों के लगभग 80 समुदायों को ओबीसी सूची में जोड़ने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। यह प्रक्रिया एनसीबीसी कानून 1993 के तहत की जा रही है। राज्यों द्वारा प्रस्तावित जातियों का अध्ययन करने के बाद, आयोग एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर इसे केंद्र सरकार को भेजता है। इसके बाद, यह प्रस्ताव कैबिनेट द्वारा स्वीकृत होकर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद लागू होता है।

यह प्रक्रिया अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की सूची में बदलाव की तुलना में अधिक सरल है क्योंकि इसमें रजिस्ट्रार जनरल की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होती।

इन राज्यों की 80 जातियों को मिलेगा लाभ

1. तेलंगाना

तेलंगाना सरकार ने केंद्र से आग्रह किया है कि राज्य की ओबीसी सूची में शामिल 40 जातियों को केंद्र की सूची में भी शामिल किया जाए। इन जातियों में कई ऐसे समुदाय हैं जो शिक्षा और रोजगार में पिछड़े माने जाते हैं।

2. आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश सरकार ने तुरुक कापू जाति को केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल करने की सिफारिश की है। यह समुदाय राज्य की सामाजिक और आर्थिक संरचना में अहम भूमिका निभाता है।

3. हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश सरकार ने माझरा समुदाय का नाम ओबीसी सूची में जोड़ने का प्रस्ताव रखा है। यह जाति राज्य के ग्रामीण इलाकों में प्रमुखता से पाई जाती है।

4. महाराष्ट्र

महाराष्ट्र सरकार ने लोधी, लिंगायत, भोयर पवार और झंडसे जातियों को केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल करने की सिफारिश की है। ये जातियां राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

5. पंजाब और हरियाणा

पंजाब सरकार ने यादव समुदाय को और हरियाणा सरकार ने गोसाई (या गोसांई) समुदाय को ओबीसी सूची में जोड़ने का आग्रह किया है।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

ओबीसी सूची में नए समुदायों को जोड़ना केवल सामाजिक न्याय का विषय नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इन समुदायों को शिक्षा, रोजगार और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा, जिससे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

मंडल आयोग ने ओबीसी समुदायों की पहचान के लिए जो सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक मानदंड तय किए थे, उसी के आधार पर इन जातियों को सूची में शामिल किया जा रहा है।

2014 के बाद किए गए बदलाव

2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद, ओबीसी सूची में कई बदलाव किए गए। 16 नए समुदायों को सूची में जोड़ा गया है। इसके अलावा, संविधान के 105वें संशोधन के माध्यम से राज्यों को अपनी ओबीसी सूची बनाने की स्वतंत्रता दी गई। इससे 671 समुदायों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना संभव हुआ।

अनुसूचित जाति और जनजाति में बदलाव

अनुसूचित जाति और जनजाति की सूची में बदलाव की प्रक्रिया ओबीसी की तुलना में अधिक जटिल है। इसमें रजिस्ट्रार जनरल की मंजूरी की आवश्यकता होती है। 2011 की जनगणना के बाद से, अनुसूचित जाति की सूची में 44 और अनुसूचित जनजाति की सूची में 27 नए समुदाय जोड़े गए हैं।

सरकार की प्रतिबद्धता

ओबीसी सूची में नई जातियों को शामिल करना सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें वह समाज के हर वर्ग को समान अवसर देने का प्रयास कर रही है। यह कदम न केवल सामाजिक न्याय को बढ़ावा देगा, बल्कि वंचित वर्गों को सशक्त बनाकर देश की प्रगति में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करेगा।