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इन लोगो की हुई बल्ले-बल्ले, अब कब्जे की जमीन पर मिलेगा मालिकाना हक

हरियाणा में लंबे समय से पंचायती जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है। राज्य सरकार ने आठ साल से अधिक समय से पंचायती जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले लोगों को मालिकाना हक देने का फैसला किया है।

 
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Haryana Update: हरियाणा में लंबे समय से पंचायती जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है। राज्य सरकार ने आठ साल से अधिक समय से पंचायती जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले लोगों को मालिकाना हक देने का फैसला किया है।

राज्य सरकार ने कानून में संशोधन के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का भी गठन किया है, जिसमें उपमुख्यमंत्री, विकास एवं पंचायत मंत्री, शहरी क्षेत्र आयुक्त और मुख्य न्यायाधीश शामिल हैं। समिति जल्द ही निवासियों को रियायती ऋण के आधार पर पंचायती भूमि अधिकार देने के लिए विधेयक में संशोधन करेगी।

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हरियाणा की एक याचिका पर 2022 में सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2022 में हरियाणा की एक याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को पंचायत/निगम भूमि के अवैध आवंटन को हटाने का निर्देश दिया था, जिससे उन्हें पंचायत भूमि उपलब्ध हो गई थी। उन्होंने जमीन वापस लेने के निर्देश जारी किये थे। पंचायत भूमि प्राप्तकर्ताओं के नाम पंचायतों एवं निकायों के नाम एवं राजस्व अभिलेखों से हटाये जाने के संबंध में।

पंचायत भूमि सर्वेक्षण

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, सरकार ने सभी उपायुक्तों को अतिक्रमणकारियों की पहचान करने के लिए अपने जिलों में पंचायत भूमि का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था। जिलाधिकारियों की जांच में यह बात सामने आई कि आधे हलकों की आबादी फरीदाबाद और गुरूग्राम में पंचायत और शामलाती जमीन पर बस गई है।

यहां के निवासी कई वर्षों से पंचायत/शामलाती भूमि पर अपना व्यवसाय कर रहे हैं। जिनसे छुटकारा पाना आसान नहीं है। दूसरी ओर, राज्य के किसान संगठनों ने भी काश्तकारों, ढोलीदारों, बटमीदारों, मुकरीदारों और काश्तकारों के भूमि स्वामित्व के लिए आंदोलन शुरू कर दिया। मुद्दे का स्थायी समाधान इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने के लिए सरकार ने किसान संगठनों के साथ बैठक कर पुराने कानून का अध्ययन कर कानून में संशोधन करने और इस उद्देश्य के लिए एक विशेष समिति गठित करने का निर्णय लिया है। इनमें मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विकास एवं पंचायत मंत्री, शहरी क्षेत्र आयुक्त और मुख्य न्यायाधीश शामिल हैं। समिति की दो बैठकें हो चुकी हैं और अधिकारियों को कानून का मसौदा तैयार करने का निर्देश दिया गया है। यह अंतिम चरण है