Haryana News: रजिस्ट्री महंगी नहीं होगी अब हरियाणा में, जानिए पूरी खबर

कलेक्टर रेट क्या है और क्यों अहम है?
कलेक्टर रेट दरअसल जमीन और प्रॉपर्टी के लेन-देन के लिए तय की गई सरकारी कीमत होती है। इसे लेकर सरकार हर साल नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में संशोधन करती है। यह रेट प्रॉपर्टी के मूल्यांकन, स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क जैसे कई मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर कलेक्टर रेट बढ़ जाता है तो प्रॉपर्टी खरीदना महंगा हो जाता है क्योंकि स्टांप शुल्क और टैक्स बढ़ जाते हैं।
हरियाणा में संशोधन पर रोक
हरियाणा के वित्त आयुक्त और अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) FCR सुमिता मिश्रा ने बताया कि दिसंबर 2024 में कलेक्टर रेटों में संशोधन किया गया था। लेकिन अब सरकार ने इस संशोधन के बाद अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए इसे फिलहाल जारी रखने का निर्णय लिया है। इसका मतलब है कि कलेक्टर रेट में कोई नया बदलाव नहीं होगा और वर्तमान दरें अगले आदेश तक लागू रहेंगी।
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राजस्व विभाग ने भी सभी जिलों को इस संबंध में निर्देश भेजे हैं कि प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन में पिछले कलेक्टर रेट का ही उपयोग किया जाए। इससे प्रॉपर्टी के खरीददारों और विक्रेताओं को इस बार किसी तरह की अतिरिक्त आर्थिक बोझ से राहत मिलेगी।
सरकार का उद्देश्य
इस कदम के पीछे सरकार का मकसद है कि प्रॉपर्टी खरीदने वालों को इस समय ज्यादा बोझ न उठाना पड़े। मौजूदा आर्थिक हालात को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है ताकि प्रॉपर्टी बाजार में स्थिरता बनी रहे और लेन-देन सुचारू रूप से हो सके।
सरकार चाहती है कि प्रॉपर्टी के मामलों में पारदर्शिता बनी रहे और हर कोई अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहे। इस आदेश से भी लोगों को सुविधा मिलेगी क्योंकि वे बिना ज्यादा वित्तीय दबाव के अपने घर या जमीन के कागजात करवा सकेंगे।
आम तौर पर कलेक्टर रेट कब बदले जाते हैं?
हरियाणा में कलेक्टर रेट का संशोधन आमतौर पर हर साल अप्रैल माह में होता है, जो नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत मानी जाती है। इसके लिए मार्च तक जिलों में तैयारियां शुरू हो जाती हैं। इस बार दिसंबर 2024 में ही संशोधन किया गया था, जो अभी लागू है। इसलिए अब सरकार ने अगले आदेश तक इसे यथावत रखने का फैसला किया है।
यह आदेश सभी जिलों तक पहुंचा दिया गया है ताकि प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में कोई दिक्कत न आए और सभी प्रक्रिया सामान्य ढंग से चलती रहे।
प्रॉपर्टी बाजार पर प्रभाव
यह फैसला प्रॉपर्टी बाजार के लिए बहुत मायने रखता है। कलेक्टर रेट बढ़ने पर न सिर्फ प्रॉपर्टी खरीदना महंगा हो जाता है, बल्कि इससे बाजार में अनिश्चितता भी बढ़ जाती है। ऐसे में यदि दरें स्थिर रहें तो खरीदारों को प्रोत्साहन मिलेगा और बाजार में गतिविधियां बढ़ेंगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि कलेक्टर रेटों में संशोधन को स्थगित करना सही फैसला है क्योंकि इससे बाजार में स्थिरता बनी रहेगी और आम जनता पर आर्थिक दबाव कम होगा।
क्या आगे संशोधन होगा?
हालांकि फिलहाल कलेक्टर रेट में कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन यह स्थगन अस्थायी माना जा रहा है। जब भी सरकार इसे आवश्यक समझेगी या बाजार की स्थिति बेहतर होगी, तब नए वित्तीय वर्ष के अनुसार रेटों में फेरबदल किया जाएगा। तब तक पुरानी दरें लागू रहेंगी।
इस फैसले के बाद प्रॉपर्टी खरीदने वालों को समय मिल गया है कि वे अपनी योजना बिना किसी जल्दबाजी के बना सकें और भविष्य में कोई अचानक वृद्धि होने पर भी तैयार रह सकें।
नागरिकों और कारोबारियों की प्रतिक्रिया
इस आदेश को प्रॉपर्टी खरीदारों, विक्रेताओं और रियल एस्टेट कारोबारियों ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि अचानक दरों में वृद्धि से कई लोग प्रभावित हो सकते थे, लेकिन अब स्थगन से उन्हें राहत मिली है। खासकर पहली बार घर खरीदने वालों के लिए यह एक बड़ी राहत है।
राजस्व विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि इस निर्णय से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया सरल बनी रहेगी और नागरिकों को परेशानी नहीं होगी।
हरियाणा सरकार का कलेक्टर रेट संशोधन स्थगित करना एक सोच-समझकर लिया गया कदम है, जो प्रॉपर्टी बाजार में स्थिरता और आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। फिलहाल पुराने रेट लागू रहेंगे, जिससे प्रॉपर्टी के कारोबार में ज्यादा असर नहीं पड़ेगा और लोग अपने जमीन और घर के दस्तावेज आसानी से करवा पाएंगे।
जैसे ही नया आदेश आएगा, सरकार अपनी आधिकारिक वेबसाइट और संबंधित विभागों के माध्यम से सभी नागरिकों को सूचित करेगी। तब तक हरियाणा में प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री के लिए मौजूदा कलेक्टर रेट ही मान्य रहेंगे।