"महामृत्युंजय कवच: जीवन रक्षा और आत्मिक शक्ति का अद्वितीय स्रोत"
हिन्दू धर्म मे महामृत्युञ्जय कवच भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत शक्तिशाली पाठ कहा गया है। यह कवच जीवन मे आने वाले कष्टों, रोगों, भय और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है। इसे श्रद्धापूर्वक पढ़ने से मानसिक शांति, स्वास्थ्य, और समृद्धि प्राप्त होती है।
महामृत्युञ्जय कवच का पाठ (Mahamrityunjaya Kavach Hindi)
शिव कवच आरम्भ (mahamrityunjaya kavach read in hindi)
ॐ अस्य श्री महामृत्युञ्जय कवचस्य,
रुषभ ऋषिः।
अनुष्टुप छन्दः।
श्री त्र्यंबकं देवता।
मम सर्वरक्षा हेतुजपे विनियोगः।
ध्यानम्:
त्रिपुरं त्रिनेत्रं च त्रिवेदाङ्गं त्रिशूलिनम्।
त्रिनेत्रं त्रिनवातीतं प्रणमामि सदाशिवम्।
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कवचम्:
ॐ हरं मे पातु शीर्षदेशे,
हरं पातु ललाटकम्।
हरं नेत्रे च पातु,
श्रोतौ पातु हरः सदा॥
हरं पातु मुखं नित्यं,
जिव्हायां पातु शंकरः।
कण्ठं पातु महादेवः,
भुजौ पातु च मृडः सदा॥
वक्षः पातु च मे नित्यं,
हृदय पातु वृषध्वजः।
नाभिं पातु महादेवः,
कटिं पातु कृपानिधिः॥
ऊरू पातु शिवः शम्भुः,
जानुनी च महेश्वरः।
जङ्घे पातु सदा शंभुः,
गुल्फौ पातु जगत्पतिः॥
पादौ पातु जगन्नाथः,
सर्वाङ्गं पातु शंकरः।
प्राच्यां दिशि सदाशिवः,
पातु मां दक्षिणे तथा॥
पश्चिमे पातु नित्यं च,
शंभुः सर्वतोमुखः।
उत्तरायां सदा पातु,
ईशान्यां पातु ईश्वरः॥
आदौ पातु सदाशिवः,
पातु मां परमेश्वरः।
सर्वरक्षां करं देव,
कवचं तु मम श्रीशिवः॥
इति ते कथितं दिव्यं,
कवचं पापनाशनम्।
आयुःप्रदं महापुण्यं,
सर्वरोग विनाशनम्॥