Karva Chouth: जानिए क्या है करवा चौथ की कथा, आखिर क्यों रखती है महिलाएँ इस दिन निर्जला व्रत
Karva Chouth: आज करवा चौथ का दिन है। आज के दिन सभी महिलाएँ अपनी पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला वर्त रखती है। अथर्व वेदाचार्य पंडित देवानंद जी द्वारा बताया कहा गया कि पौराणिक मान्यताओं व शास्त्रो के मुताबिक व्रत करने वाली महिलाओं को चाँद की पूजा करते समय माता करवा की व्रत कथा जरुर सुननी चाहिए, उसके सुनने पर ही आपका व्रत पूरा माना जाएगा।

Karva Chouth: आज करवा चौथ का दिन है। आज के दिन सभी महिलाएँ अपनी पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला वर्त रखती है। अथर्व वेदाचार्य पंडित देवानंद जी द्वारा बताया कहा गया कि पौराणिक मान्यताओं व शास्त्रो के मुताबिक व्रत करने वाली महिलाओं को चाँद की पूजा करते समय माता करवा की व्रत कथा जरुर सुननी चाहिए, उसके सुनने पर ही आपका व्रत पूरा माना जाएगा।
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माता करवा की कहानी
एक विख्यात साहूकार था. उनके सात बेटे और एक बेटी थी। सात भाइयों की इकलौती बहन करवा सबकी लाडली थी। सभी भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। वे उन्हें एक साथ बैठाकर खाना खिलाते थे. एक दिन साहूकार की सभी बहू-बेटियां कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखती हैं। रात को सभी भाई भोजन करने बैठे।
एक बार एक विख्यात साहुकार था। उनके सात बेटे औऱ एक बेटी थी। उन सात भाईयों की एक बहन करवा सबकी लाडली थी। सभी भाई उसे साथ बिठाकर खाना खिलाते थे । कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथी को साहुकार की सभी बहुएँ व बेटी करवा चौथ का व्रत रखती है। रात को सभी भाई खाना खाने बैठते है। तभी एक भाई ने बहन को खाना खाने के लिए पूछा तो बहन ने कहा आज मैं चाँद को देखने के बाद ही खाना खाऊंगी। परंतु भाई से बहन की हालत देखी नही गई।
भाई ने तभी एक तरकीब लगाई व दुर चिनार के एक पेड पर एक दीया चलाकर चलनी की छाया में रख दिया, जो चाँद के जैसा दिखाई पड़ने लगा। उसे देखकर करवा चाँद पूजा करती है खाना खाने लगती है। तभी खाने का पहला निवाला खाते ही उसे छिंक आ जाती है। दुसरे टुकड़े में बाल आ जाता है। औऱ जैसे ही वह तीसरा टुकड़ा खाती है उसके पति की मौत का समाचार आ जाता है। वह दुख में डुब जाती है।
यह सब देखने के बाद करवा की भाभी उसे सारी सच्चाई बताती है औऱ कहती है कि उसका गलत व्रत टुटने की कारण ही यह सब हुआ है तो करवा इस पर फैसला लेती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नही करेंगी व अपने सतीत्व से उन्हें फिर से जीवित करेगी।
व इस तरह व पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती व उसके उपर उगने वाली सुई जैसी घास को इक्टठा करती रहती। एक वर्ष के बाद जब करवा चौथ आया तो उसने व्रत रखा व शान को करवा चौथ की पूजा करने वाली महिलाओँ से प्रर्थना की कि यम सुई लेलो व मुझे एक पेय सुई देदो। व उसे अपनी जैसी दुल्हन बना दो।
औऱ आखिर में बहुत मिन्नतों के बाद दुल्हन बन ही जाती है व उसका पति पुनर्जिवीत हो जाता है। इस कथा का पाठ भी श्रद्धालू विभिन्न संद्रभो में करते है।