Achaleshwar Mahadev Temple Mystery: इस प्रसिद्ध मंदिर में शिवलिंग बदलता है तीन बार रंग
Haryana Update: भारत में ऐसे कई मंदिर हैं। जहां कुछ अनोखा होता रहता है। साथ ही वहां से जुड़े रहस्य लोगों को सदियों से आकर्षित करते आ रहे हैं। ऐसा ही एक अनोखा मंदिर राजस्थान के धौलपुर में भी है।
जिसके बारे में सुनकर हर कोई इंसान चौंक जाता है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग अपना रंग दिन (Shivling change colour) में तीन बार बदलता है। चंबल नदी के बीहड़ों में स्थित इस शिव मंदिर को लोग 'अचलेश्वर महादेव' मंदिर (Achaleshwar Mahadev Temple) के नाम से जानते हैं। बीहड़ में मंदिर होने की वजह से पहले कम ही लोग यहां आ पाते थे लेकिन धीरे-धीरे मंदिर के बारे में पता चलते ही श्रद्धालु यहां आने शुरू हो गए सावन माह में यहां विशेष पूजा भी होने लगी। वैसे तो आपने बहुत से ऐसे शिवलिंग देखें होंगे जिनकी कहानी अद्भुत है। लेकिन, इस मंदिर की कहानी कुछ अनोखी है।
पूरे दिन में तीन रंग बदलता है शिवलिंग
ऐसा कहा जाता है कि ये शिवलिंग दिनभर में तीन बार अपना रंग बदलता है। सुबह के समय लाल, दोपहर में केसरिया रात को सांवला हो जाता है। शिवलिंग के रंग बदलने के पीछे की वजह क्या है? यह कोई नहीं जानता। वैज्ञानिक भी अब तक शिवलिंग के इस तरह से रंग बदलने का कारण समझ नहीं पाए हैं।
मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए भक्तों ने चंबल पुल के बगल से रास्ता बनाया। महादेव के इस मंदिर में वैसे तो हमेशा ही भक्तों का रेला लगा रहता है, लेकिन सावन माह में शिवलिंग का रंग बदलाना देखना अपने आप में एक बेहद पुण्यकारी (Achaleshwar Mahadev Temple shivling colour) माना गया है।

अचलेश्वर महादेव में होती है मनचाही इच्छा पूरी -
इस मंदिर से लोगों की आस्था इस कदर जुड़ी हुई है कि आए दिन यहां भक्तों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिल जाती है। माना जाता है कि शिवलिंग के दर्शन करने से ही इंसान की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। जीवन में किसी भी तरह की परेशानी हो, यहां दर्शन करने से आपको हर समस्या से छुटकारा मिलेगा।
लोगों का ये भी मानना है कि कुंवारे लड़के-लड़कियों को शिवलिंग के दर्शन करने से मनपसंद वर मिलता है। यही वजह है कि यहां अविवाहित लोग 16 सोमवार सावन के दिनों में जल चढाने आते हैं। इसके साथ ही शादी में आने वाली अड़चने भी शिव की कृपा से दूर हो जाती हैं।
रहस्यमयी है अचलेश्वर महादेव मंदिर
धौलपुर से पांच किलोमीटर दूर चंबल नदी के किनारे बीहड़ोंं में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर मंदिर कितना पुराना है इस शिवलिंग की स्थापना कब हुई, इसके बारे में भी जानकारी नहीं है। पर श्रद्धालुओं की माने तो करीब एक हजार साल पुराना बताया जाता है। शिवलिंग धरती में कितना भीतर तक है, इसे जानने के लिए एक बार खुदाई भी की गई थी। कई दिनों तक खुदाई के बाद भी लोग इसके अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पाए तो खुदाई का काम रोक दिया गया।
आज तक इस शिवलिंग की गहराई का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सका है। शिवलिंग की खुदाई प्राचीन समय में राजा-महाराजाओं ने भी कराई, लेकिन शिवलिंग का कोई छोर नहीं मिलने पर खुदाई (miracle shiva temple) बंद का दी गई।