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Parenting best tips : अगर आपके बच्चे को भी मोबाइल के बिना नही भाता खाना तो जान लें ये जरूरी बात

Parenting tips for Toddlers : आज के दौर में यूथ ही नही बच्चे भी मोबाइल की आदत का शिकार हो चुके हैं. बडे- बुढ़े से लेकर छोटे बच्चे भी मोबाइल में वीडियोज देखकर खाना खाने लगे हैं.

 
Parenting best tips : अगर आपके बच्चे को भी मोबाइल के बिना नही भाता खाना तो जान लें ये जरूरी बात
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Haryana Update: बच्चों की इस बदलती आदत का जिम्मेदार और कोई नही बल्कि माता पिता ही हैं. अक्सर देखा जाता है कि जब छोटा बच्चा रोने लगता है तो मां उसे चुप करवाने के लिए मोबाइल थमा देती है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक रिसर्च में इस बात का खुलासा हो चुका है कि मोबाइल की लत बच्चों के दिमाग पर गलत असर डालती है।

 

रिसर्च में सामने आया है इससे बच्चों के शारिरिक के साथ साथ मैंटल हैल्थ भी प्रभाव पड़ रहा है. कम उम्र में बच्चों को फोन थमाने से उनकी मेंटल डेवलेपमेंट प्रभावित होती है। इससे बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म का खतरा बढ़ रहा है।

 

जानिए क्या है वर्चुअल ऑटिज्म और इससे बच्चों को कैसे बचाएं...
Smartphone, TV या Electronic Gadgets में ही रूचि रखने व ज्यादा से ज्यादा समय बिताने से बच्चों में कई चैजिंज देखने को मिलते है. बच्चों का स्वभाव भी अलग लगने लगता है.

 

वर्चुअल ऑटिज्म का ज्यादा असर अक्सर 4-5 साल के बच्चों में देखने को मिलता है। मोबाइल फोन, टीवी और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत की वजह से ऐसा होता है।

 

स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों में बोलने और समाज में दूसरों से बातचीत करने में दिकक्त होने लगती है। हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, इस कंडीशन को ही वर्चुअल ऑटिज्म कहा जाता है।

 

virtual autism symptoms in kids

वर्चुअल ऑटिज्म के लक्षण
बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म के लक्षणों की बात करें तो निम्म लक्षण दिखाई देते हैं।
—हर थोड़ी देर में चिड़चिड़ाना
—रिस्पॉन्स न करना
—2 साल के बाद भी बोल न पाना
—फैमिली मेंबर्स को न पहचानना
—नाम पुकारने पर
—अनसुना करना
—फैमिली मेंबर्स को न पहचानना
—किसी से नजरेन मिलाना
—एक ही एक्टिविटी को दोहराना

 

कैसे बचाएं बच्चों को
पैरेंट्स को बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रखना चाहिए। पैरेंट्स को सबसे पहले तो अपने बच्चों को इलेक्ट्रॉनिग गैजेट्स से दूर रखना है। उनका स्क्रीन टाइम जीरो करने पर जोर देना चाहिए। उनका फोकस बाकी चीजों पर लगाएं। अक्सर जब बच्चा छोटा होता है तो पैरेंट्स उन्हें पास बिठाकर मोबाइल फोन दिखाते हैं। बाद में बच्चों को इसकी लत लग जाती है। स्लीप पैटर्न भी दुरुस्त करें। बच्चों को आउटडोर एक्टिविटीज के लिए प्रोत्साहित करें।