क्या छींकना सच में है 'अशुभ'? जानिए किस समय छींक आने का क्या है मतलब
Sneeze Meaning: क्या आप जानते हैं कि कभी-कभी छींक आना अशुभ होता है या फिर कभी-कभी इसका कोई महत्व नहीं होता है? ये सब हम आज यहां आपको बता रहे हैं. आज हम आपको यहां छींक के बारे में पूरी और सटीक जानकारी दे रहे हैं।

Haryana Update, Sneeze Meaning : जब भी आप घर से बाहर जा रहे हों और अचानक कोई छींक दे तो आपके मन में गुस्से के साथ-साथ डर भी आ जाता है। पता नहीं अब ये मेरा काम होगा या नहीं. और अगर किसी अच्छे काम के लिए जा रहे हो तो शुभ काम करो और कोई छींक दे तो बस मत पूछो. क्या आप जानते हैं कि कभी-कभी छींक आना अशुभ होता है या फिर कभी-कभी इसका कोई महत्व नहीं होता है? ये सब हम आज यहां आपको बता रहे हैं. आज हम आपको यहां छींक के बारे में पूरी और सटीक जानकारी दे रहे हैं, साथ ही यह भी बता रहे हैं कि किस समय छींक आने का क्या मतलब होता है। आइए जानते हैं छींक का क्या महत्व है और इससे क्या फल मिलता है।
शुभ कार्य करने से पहले छींक देती है गाय :
'छींक' को संस्कृत में 'तूती' कहा जाता है। शकुन शास्त्रियों ने इसे अत्यधिक महत्व दिया है। शकुन शास्त्र के अनुसार छींक सदैव अशुभ फल देती है। अपवाद स्वरूप ही जाते समय या शुभ कार्य करते समय गाय का छींकना अत्यंत अशुभता का संकेत माना जाता है।
छींक कब बेकार हो जाती है:
प्रवास के दौरान यदि पहले एक व्यक्ति छींक दे और फिर कोई दूसरा भी छींक दे तो ऐसी छींक व्यर्थ है। सर्दी या कफ के कारण बुजुर्ग व्यक्ति या बच्चे की छींक व्यर्थ होती है।
सोने से पहले छींकने का क्या मतलब है:
सोने से पहले छींक आना भी अशुभ होता है। भोजन से पहले छींकना भी अशुभ होता है, लेकिन भोजन के अंत में छींकने से अगले दिन या अगली बार मिठाई मिलती है।
शास्त्रों में छींक की दिशा के अनुसार निर्णय हैं:
ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई किसी शगुन से पहले छींक दे, यदि कोई शगुन के बाद छींक दे तो शुभ होने का मतलब क्या है? यानी एक ही छींक एक उपसर्ग की तरह सभी शकुनों का संकेत देती है। शास्त्रकारों ने छींक का विस्तृत विश्लेषण कर उसकी दिशा के आधार पर निर्णय लिया है तथा दिन विभाजन के अनुसार उसके शुभ तथा अशुभ फल बताए हैं। जिस व्यक्ति को छींक आई हो या जो कोई विशेष कार्य सोच रहा हो या आरंभ कर रहा हो उसकी स्थिति के अनुसार दिशा तय की जाएगी।
1. प्रथम चरण में छींक का प्रभाव:
दिन के प्रथम प्रहर में आने वाली छींक यदि उत्तर दिशा की ओर हो तो शत्रु को डरा देती है और यदि पश्चिम दिशा की ओर हो तो दूर कर देती है तथा शेष दिनों में शुभ फल देती है।
2. दूसरे चरण में छींक का प्रभाव:
दूसरी तिमाही में छींक उत्तर-पूर्व में विनाश, दक्षिण में मृत्यु का भय और उत्तर में शत्रुओं की उपस्थिति का संकेत देती है। शेष दिशाओं में यह शुभ फल देता है।
3. तीसरे चरण में छींक का प्रभाव:
तीसरे प्रहर में आने वाली छींक उत्तर-पूर्व दिशा में हो तो बीमारी का संकेत देती है, दक्षिण दिशा में विनाश का संकेत देती है और पश्चिम दिशा में कलह का संकेत देती है, जबकि शेष दिशाएं विदिशा में शुभ फल देती हैं।
4. चौथी तिमाही में छींक का प्रभाव:
चौथे प्रहर के पूर्व दिशा में अग्नि का भय, आग्नेय कोण में अग्नि का भय, दक्षिण में कलह, पश्चिम में चोरी, वायव्य कोण में अग्नि का भय रहता है। दूर प्रवास का संकेत, शेष दिशा में शुभ परिणाम की सूचना है। इस विवरण में उन्हीं दिशाओं और कोणों का उल्लेख किया गया है। इनमें से कुछ में छींक अशुभ समाचार देती है, बाकी में छींक शुभ फल देती है। रात्रि प्रहरों का भी वही विभाजन और वही परिणाम होता है।