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Haryana Scheme : हरियाणा सरकार भैंस पालने पर दे रही हैं तगड़ी सब्सिडी, यहाँ से करें फटाफट आवेदन

देश में गौ-भैंसों का पालन और पशुपालन की परंपरा पुरानी है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले अधिकांश परिवार खेती और पशुपालन से जुड़े हुए हैं, और दूध सहित अन्य उत्पादों का व्यापार करके अपना जीवन चलाते हैं। आज, किसानों द्वारा अधिक पैसा कमाने के लिए हमारे देशी और विदेशी गौ-भैंसों का पालन-पोषण किया जाता है। 

 
Haryana Scheme : हरियाणा सरकार भैंस पालने पर दे रही हैं तगड़ी सब्सिडी, यहाँ से करें फटाफट आवेदन 

किसान भैंस पालन में भैंसों को पसंद करते हैं क्योंकि भैंसों की तुलना में भैंसों का दूध गाढ़ा और अधिक होता है। इसलिए किसान भैंसों को डेयरी खेती के लिए अधिक उपयुक्त मानते हैं। आज देश में बहुत सी नसलें हैं जो अधिक दूध उत्पादन कर सकती हैं।

यह नसल 'मुर्रा' नामक एक भैंस की है। यह नसल अधिक दूध देती है। हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार सरकारों ने मुर्रा नसल की गौ-भैंस के पालन पर 40 से 50 प्रतिशत तक सब्सिडी भी दी है। 

यदि आप भी डेयरी उद्योग के लिए अधिक दूध देने वाली गौ-भैंस की तलाश कर रहे हैं, तो मुर्रा नसल की गौ-भैंस का पालन करना एक अच्छा विकल्प है। मुर्रा नसल की गौ-भैंस के बारे में हम इस लेख में बताएंगे।

"भैंस की मुर्रा नस्ल भेड़िया"— डेयरी फार्मिंग में मुर्रा नस्ल की भैंस को पशुपालकों की पहली प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि यह नस्ल अधिक दूध उत्पादन करने वाली है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसानों को मुर्रा नस्ल की भैंस का पालन बहुत फायदेमंद होता है। 

Мурरा भैंसों की दूध उत्पादन क्षमता अन्य किसी भी नस्ल की भैंसों से अधिक है। मुर्रा नस्ल की भैंसें दिन में 20 से 25 लीटर दूध देती हैं, लेकिन सामान्य भैंसें 8 से 10 लीटर दूध देती हैं। यह 30 लीटर प्रतिदिन दूध उत्पादन कर सकता है अगर अच्छी तरह से ध्यान दिया जाए।

"मुर्रा नस्ल की भैंस"— यह मुख्य रूप से हरियाणा, पंजाब, नाभा, पटियाला, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के पशुपालकों द्वारा किया जाता है जो मुर्रा नस्ल की भैंस पालते हैं। Мурरा भैंस का वजन सामान्य भैंस से अधिक होता है, जिसकी कीमत लाखों रुपये तक हो सकती है। यह आकर्षक दिखता है क्योंकि इसका सिर छोटा है, इसके सिर पर सींग है, पूंछ लंबी है और उसके बाल और पैर सुनहरे होते हैं। Мурरा नस्ल की भैंस लगभग 310 दिनों की गर्भवधि होती है।

मध्य प्रदेश सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने मुर्रा नस्ल की भैंस पालने वाले किसानों और पशुपालकों को 50% से अधिक की सब्सिडी दी है। यह सब्सिडी गौवंश को विकसित करने और रोजगार के नए अवसर देने के लिए दी जाती है। इसके लिए, मुर्रा नस्ल की भैंस खरीद पर 50% सब्सिडी दी जाती है, जबकि एससी-एसटी वर्ग को 75% तक की सब्सिडी दी जाती है।

हरियाणा में शिक्षित युवा किसानों और छोटे किसानों को हाईटेक और मिनी डेयरी उद्योगों को शुरू करने का प्रोत्साहन मिलता है। सरकार ने हाईटेक और मिनी डेयरी योजना के तहत दस दुधारू गाय-भैंसों के लिए मिनी डेयरी शुरू करने पर लागत का 25% का अनुदान दिया है और बीस या अधिक दुधारू पशुओं के साथ डेयरी शुरू करने पर ब्याज में छूट दी गई है। 

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योजना के तहत, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को 50 प्रतिशत की सब्सिडी पर तीन गाय-भैंसों की डेयरी खोलने का अवसर भी मिलता है, और 20 या अधिक दुधारू पशुओं के साथ 4 दुधारू गाय-भैंसों की हाईटेक डेयरी खोलने पर ब्याज में छूट भी मिलती है। आवेदकों को इस योजना का लाभ लेने के लिए हरियाणा सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर पशुपालन एवं डेयरी विभाग पर आवेदन करना होगा या अपने जिले के पशुपालन विभाग से संपर्क करना होगा।

नंद बाबा मिशन बिहार में पशुपालकों को खेती के साथ पशुपालन क्षेत्र से जोड़ने की कोशिश कर रहा है। राज्य भर में गौपालन को बढ़ावा देने वाली यह योजना किसानों और पशुपालकों को डेयरी उद्योग की शुरुआत पर 50% से 75% की सब्सिडी देती है।

 योजना के तहत 2 या 4 दुधारू गाय-भैंसों की डेयरी खोलने पर विभिन्न लाभ अनुसूचित जाति, जनजाति और सामान्य वर्ग को मिलते हैं। उन्हें अपने जिले के पशुपालन विभाग से संपर्क करना होगा ताकि वे इस योजना के तहत पालन-पोषण कर सकें और छूटों का लाभ उठा सकें।

नंद बाबा मिशन के तहत उत्तर प्रदेश में किसानों और पशुपालकों को गौ संवर्धन योजना के तहत ४० हजार रुपये या ४० प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है। सरकारी योजना का उद्देश्य किसानों को देशी गाय-भैंसों की ऊर्जा को सुधारने के लिए प्रोत्साहित करना है। किसानों को योजना के तहत गाय-भैंसों की डेयरी की शुरुआत पर सब्सिडी के लिए अपने जिले के पशुपालन विभाग से संपर्क करना होगा।


 

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