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World Theatre Day 2023: बलराज साहनी से लेकर इरफान खान तक, इन दिग्गज अभिनेताओं का थिएटर से नाता गहरा

भारत में साल 1913 में पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र के आने से पहले, कलाकार और दर्शकों को जोड़ने वाला एक ही माध्यम था 'थिएटर'....
 
World Theatre Day 2023: बलराज साहनी से लेकर इरफान खान तक, इन दिग्गज अभिनेताओं का थिएटर से नाता गहरा
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Haryana Update : हर साल की 27 मार्च को  दुनियाभर में 'World Theatre Day' के रूप में मनाया जाता है. सिनेमा की शुरुआत रंगमंच से मानी जाती है. भारत में साल 1913 में पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र के आने से पहले, कलाकार और दर्शकों को जोड़ने वाला एक ही माध्यम था 'थिएटर'....

वो शेक्सपियर थे जिन्होंने कहा- ये दुनिया एक रंगमंच है... और हमारे कलाकारों ने इस कथन को जिया. भारतीय सिनेमा की नींव ही रंगमंच के मंझे हुए कलाकार ने रखी थी. जिसके बाद पृथ्वीराज कपूर, गिरीश कर्नाड और उत्पल दत्त सरीखे अभिनेता ने इसे पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया.

पृथ्वीराज कपूर(Prithviraj Kapoor)

इन दिग्गज अभिनेता के नाम को शामिल किए बिना भारतीय सिनेमा और भारतीय रंगमंच दोनों का इतिहास पूरा नहीं होगा.
पृथ्वीराज कपूर इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और पृथ्वी थिएटर के संस्थापक भी थे, जो मुंबई की थिएटर गतिविधियों का केंद्र रहा है. थिएटर इनकी रियल लाइफ में इतना ज्यादा हावी रहा कि ये फिल्मों में भी काफी बुलंद आवाज में डायलॉग्स बोलते थे.

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पृथ्वीराज कपूर के नाटकों में से एक, पठान, जिसका पहली बार 1947 में मंचन किया गया था. उस समय भी वो हिंदू मुस्लिम एकता के बारे में बात करता थे, जब विभाजन के दंगे देश को तबाह कर रहे थे. कहा जाता है कि इस नाटक के सिनेमाघरों में 600 शो चल रहे हैं. 1945 में आई दीवार उनके प्रसिद्ध नाटकों में से एक थी.

बलराज साहनी(Balraj Sahni)

मूल रूप से रावलपिंडी (अब पाकिस्तान में) के रहने वाले बलराज साहनी की पहली पत्नी दमयंती एक प्रसिद्ध रंगमंच अभिनेत्री थीं.
उन्होंने इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन के साथ एक अभिनेता के रूप में अपना करियर शुरू किया और जुबेदा और द इंस्पेक्टर जनरल जैसे नाटकों से नाम कमाया.
थिएटर का अनुभव उन्हें फिल्मों में भी काम आया. इनके पॉपुलर नाटकों में से जुबेदा और जादू की कुर्सी अहम थे.

ओम पुरी(Om Puri)

ओम पुरी ने 60 के दशक में पंजाब में एक थिएटर अभिनेता के रूप में जीवन शुरू किया. वह हरपाल तिवाना की अध्यक्षता वाले पंजाब कला मंच का हिस्सा थे. वह अगस्त स्ट्रिंडबर्ग द्वारा द फादर, सोफॉकल्स द्वारा ओडिपस रेक्स, अल्बर्ट कैमस द्वारा द मिसअंडरस्टैंडिंग जैसे कई नाटकों का हिस्सा थे. वह 1970 में नई दिल्ली में स्थित नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में शामिल हुए.

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1977 में उन्होंने मुंबई में मजमा नामक के थिएटर ग्रुप का गठन किया. ये ग्रुप 1986 तक सक्रिय था. 1978 में जब पृथ्वी थिएटर का उद्घाटन हुआ, तो गोविंद देशपांडे की उध्वस्त धर्मशाला के उनके प्रोडक्शन ने शाम को वहां प्रदर्शन किया.
एक अभिनेता के रूप में उनका सबसे प्रसिद्ध नाटक घासीराम कोतवाल था, जिसमें उन्होंने लीड रोल प्ले किया था.

इरफान खान(Irfan Khan)

इरफान खान फिल्मों के दिग्गज कलाकार थे, इन्होंने भी NSD से अभिनय का प्रशिक्षण लिया था.
इनकी प्रतिभा को देखकर ही इन्हें वहां स्कॉलरशिप भी दी गई. मुंबई जाने के बाद इरफान फिल्मों के साथ-साथ अपने नाटक मंडली से भी जुड़े रहे. वक्त मिलते ही वो मंच पर भी नजर आते.

राजकुमार राव(Rajkumar Rao)
ट्रैप्ड और न्यूटन में शानदार अभिनय का मुजाया करने वाले राजकुमार राव इस ऐरा के सबसे टैलेंटेड एक्टर्स में से एक हैं. फिल्मों में आने पहले वो क्षितिज थिएटर ग्रुप और श्रीराम सेंटर से जुड़े थे.