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तेल का खेल: सऊदी अरब और इराक को पीछे छोड़ भारत का टॉप सप्लायर बना रूस

भारत की रूस से हुई तेल खरीद इसी अवधि में यूरोपियन यूनियन के द्वारा रूस से हुई खरीद से भी 34 प्रतिशत अधिक है. अक्टूबर के महीने में रूस भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल सप्लायर बन कर उभरा है.
 
तेल का खेल: सऊदी अरब और इराक को पीछे छोड़ भारत का टॉप सप्लायर बना रूस

क्रूड की ऊंची कीमतों का महंगाई पर कम से कम असर पड़े इसके लिए भारत सरकार पश्चिमी देशों के दबाव पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है. स्थिति ये है कि महंगे क्रूड के खेल में देश के पारंपरिक सप्लायर रूस से पीछे छूट चुके हैं.

दरअसल रूस भारत को छूट के साथ कच्चा तेल ऑफर कर रहा है. इसी वजह से भारत रूस से लगातार सप्लाई बढ़ा रहा है. वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में कच्चे तेल की कुल खरीद 5 प्रतिशत बढ़ी है और रूस से खरीद में 8 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली है.

 

भारत ने कितना खरीदा रूस से क्रूड

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर के महीने में रूस ने भारत को 9.46 लाख बैरल प्रति दिन कच्चे तेल की सप्लाई की है. जो कि किसी एक महीने का सबसे ऊंचा स्तर है. अगर देश की कुल खरीद में हिस्सेदारी को देखें तो अक्टूबर के महीने में भारत ने अपनी कुल खरीद का 22 प्रतिशत हिस्सा रूस से लिया है.

इराक का हिस्सा 20.5 प्रतिशत और सऊदी अरब का हिस्सा 16 प्रतिशत है. वहीं भारत की रूस से हुई तेल खरीद इसी अवधि में यूरोपियन यूनियन के द्वारा रूस से हुई खरीद से भी 34 प्रतिशत अधिक है. फिलहाल हर दिन 10 लाख बैरल की खरीद के साथ चीन रूस का सबसे बड़ा तेल ग्राहक है.

वहीं अक्टूबर के दौरान किसी एक दिन में भारत ने रूस से फ्यूल ऑयल खरीद का रिकॉर्ड भी बनाया. जब एक दिन में भारत ने 10.6 लाख बैरल तेल आयात किया था.

क्यों बढ़ रहा रूस से इंपोर्ट

रूस से इंपोर्ट बढ़ाने की मुख्य वजह कच्चे तेल की कीमतों में उछाल है. रूस यूक्रेन संकट के साथ ब्रेंट क्रूड की कीमतें नए रिकॉर्ड स्तरों पर पहुंच गई हैं. वहीं ओपेक देशों के द्वारा उत्पादन में कटौती के ऐलान से कीमतें गिरावट के बाद भी 90 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर ही बनी हुई हैं.

वहीं दूसरी तरफ पश्चिमी देशों के द्वारा प्रतिबंधों के चलते रूस भारत को बेहद आकर्षक दरों पर कच्चा तेल ऑफर कर रहा है. भारत सरकार लगातार ये कह रही है कि उसके लिए भारतीयों के हित सबसे पहले हैं और वो वहीं से तेल खरीदेगी जहां से उसे ज्यादा बेहतर कीमतें मिलेंगी.

फिलहाल इस बात की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है कि रूस किस दरों पर तेल की बिक्री कर रहा है. हालांकि मीडिया में आई रिपोर्ट्स के अनुसार जब ब्रेंट 120 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास कारोबार कर रहा था.

तब रूस भारत को 25 से 35 डॉलर प्रति बैरल की छूट के साथ तेल दे रहा था. फिलहाल क्रूड में गिरावट के साथ छूट कम हुई है लेकिन अभी भी भारत को मौजूदा दरों के मुकाबले काफी कम भाव पर रूस से तेल मिल रहा है. सरकार अब कच्चे तेल की खरीद बढ़ा रही है जिससे इन सस्ती दरों का असर रिटेल कीमतों पर देखने को मिले.

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