Viral News: मेरे हाथ में सिर्फ़ मांस और खून ही आया, इस किस्से ने हिला डाला पूरे देश को...जानिए
बहुत ही कम लोग जानते हैं कि जिस दिन राजीव गांधी की हत्या हुई, उनका वहां जाना लगभग कैंसिल हो गया था, क्योंकि उनके विमान में अचानक खराबी आ गई थी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
21 मई 1991 को शाम 8 बजे कांग्रेस की नेता मारगाथम चंद्रशेखर मद्रास के हवाई अड्डे पर राजीव गांधी के आने का इंतजार कर रही थीं। राजीव गांधी जब विशाखापटनम से मद्रास जाने के लिए तैयार हो रहे थे तो पायलट कैप्टन चंदोक ने पाया कि विमान की संचार व्यवस्था काम नहीं कर रही।
राजीव गांधी बहुत थके हुए थे और लेकिन उनको लगता था कि ज्यादा से ज्यादा सीटों पर कैंपेन करना चाहिए। हालांकि, विमान में खराबी के बाद राजीव गांधी सर्किट हाउस की तरफ लौट रहे थे, लेकिन एक पुलिसकर्मी ने आकर कहा कि आपका हवाई जहाज ठीक हो गया है।
खुद विमान उड़ाकर पहुंचे राजीव गांधी
इसके बाद राजीव गांधी मद्रास जाने के लिए रवाना हुए। हवाई जहाज ने 6:30 बजे उड़ान भरी और इस विमान को खुद राजीव गांधी उड़ा रहे थे। विमान 8:20 मिनट पर लैंड किया और वो एक बुलेटप्रूफ कार में बैठकर श्रीपेरुमबुदुर के लिए रवाना हुए।
करीब 10:10 मिनट पर राजीव गांधी पहुंच गए। पुरुषों से मिलने के बाद उन्होंने महिलाओं से मिलने की तरफ रुख किया। तभी 30 साल की एक लड़की चंदन का एक हार लेकर राजीव गांधी की तरफ बढ़ी। जैसे ही वह उनके पैर छूने को बढ़ी एक जोरदार धमाका हुआ। चारों तरफ चीख-पुकार मच गई।
वहां पर उस समय पत्रकार नीना गोपाल राजीव गांधी के सहयोगी सुमन दुबे से बात कर रहीं थीं। उन्होंने इस हादसे को याद करते हुए बताया कि मैंने दो मिनट भी बात नहीं की और बम फट गया।
उस दिन मैंने साड़ी पहनी हुई थी और उसके ऊपर खून के धब्बे आज भी मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि मैं खुशकिस्मत थी, जोकि बच गई। बम की आवाज उसके फटने से कुछ देर पहले छोटे-छोटे पटाखे फटने की तरह आई और फिर एक जोरदार धमाका हुआ। इस हादसे के बाद भी किसी को पता नहीं चला पाया कि राजीव गांधी की मौत हो गई है।
बचे कांग्रेसी नेता ने बयां की कहानी
राजीव गांधी ने इस हादसे से दो दिन पहले दिल्ली में मतदान किया था। इस धमाके के समय तमिलनाडु कांग्रेस के तीन शीर्ष नेता जीके मोपनार, जयंती नटराजन और राम मूर्ति मौजूद थे।
ब्लास्ट से चारों तरफ धुआं-धुआं हो गया था, लेकिन कुछ ही देर के बाद देखा गया कि राजीव गांधी औंधे मुंह गिरे हुए हैं और उनका सिर विस्फोट में क्षतिग्रस्त हो चुका था। इस घटना को याद करते हुए जीके मोपनार ने कहा कि धमाके बाद लोग भागने लगे थे और मेरे चारों तरफ शव पड़े हुए थे।
राजीव के सुरक्षा अधिकारी प्रदीप गुप्ता जिंदा थे और उन्होंने मेरी तरफ देखकर कुछ कहा, लेकिन फिर दम तोड़ दिया। मुझे लगा कि वह राजीव गांधी को किसी के हवाले करने की बात कह रहे हैं। मैंने राजीव गांधी का सिर उठाना चाहा, लेकिन मेरे हाथ में सिर्फ मांस और खून ही आया, जिसके बाद मैंने उसको तोलिए से ढक दिया।
जीके मोपनार से कुछ ही दूर जयंती नटराजन खड़ीं थीं, उन्होंने बताया कि धमाके बाद सारे पुलिस वाले भाग खड़े हुए थे। मैं शवों को इस उम्मीद के साथ देख रही थी कि मुझे राजीव गांधी ना दिखाई दें। पहले मेरी नजर प्रदीप गुप्ता पर पड़ी। उनके पैरों की तरफ एक सिर पड़ा हुआ था और मेरे मुंह से निकला कि यह राजीव की तरह दिख रहा है।
जब सोनिया ने पूछा- क्या वह जिंदा हैं?
लगभग उसी समय राजीव के निजी सचिव विंसिन जॉर्ज अपने चाणक्य पुरी के घर में घुसे ही थे कि उनके टेलीफोन की घंटी बजी। उनको फोन आया कि कोई बहुत बड़ी खबर है, जिसके बाद वह फौरन दस जनपथ पर आ गए।
सोनिया को भी इस बारे में किसी ने बता दिया था और वह जॉर्ज को फोन कर रहीं थी, लेकिन वह उस समय पी चिदंबरम की पत्नी नलनी चिदंबरम से बात कर रहे थे।
सोनिया गांधी लगातार फोन कर रही थीं, लेकिन इसके बाद दूसरा फोन चेन्नई से एक अधिकारी का आया जिसमें उसने जॉर्ज को बताया कि धमाके में राजीव गांधी नहीं रहे।
वह इस खबर को सुनकर घबरा गए और वह दौड़कर सोनिया के पास पहुंचे। सोनिया ने उनसे पूछा कि क्या वह जिंदा हैं, लेकिन जॉर्ज की खामोशी ने सोनिया को बेकरार कर दिया।
वह जोर-जोर से चीखने लगीं और उनको अस्थमा का अटैक आया। प्रियंका गांधी की उम्र उस समय 19 साल थी और उन्होंने अपनी मां को संभाला।
इस अधिकारी को सौंपी गई जांच की जिम्मेदारी
राजीव गांधी की हत्या के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन सेशन ने बाकी के बचे चुनावी चरणों को रद्द कर दिया। 24 मई को उनका अंतिम संस्कार हुआ, जिसमें दुनिया भर के नेता शामिल हुए। सीआरपीएफ के डीआईजी डीआर कार्तिकेन के नेतृत्व में एक जांच दल का गठन किया, कुछ ही महीनों बाद लिट्टे के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया गया।
मुख्य अभियुक्त शिवरासन और उसके साथियों ने गिरफ्तार होने से पहले साइनाइड खा लिया। डॉक्टर कार्तिकेयन ने बताया कि पहली सफलता हरि बाबू के कैमरे से 10 तस्वीरों से मिली। जिसके बाद विज्ञापन दिया गया और इन लोगों के बारे में बताने के लिए एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया। हमारे पास कुछ 3 से 4 हजार फोन कॉल आए।
हमने छापे मारने शुरू कर दिए और जल्द ही हमें सफलता मिलनी शुरू हो गई। पहले ही दिन से मैं इस काम में सातों दिन बिना आराम के 24 घंटे लगा रहा। मैं रोज रात को दो बजे कुछ ही घंटों की नींद के लिए गेस्ट हाउस पहुंचता था।
सारी जांच 3 महीने में पूरी हो गई, लेकिन फॉरेंसिक रिपोर्ट आने में समय लगा। हत्या की पहली वर्षगांठ से पहले हमने अदालत में चार्ज शीट दाखिल कर दी थी।
7 साल बाद सही साबित हुए राजीव के वो शब्द
कुछ दिनों के बाद सोनिया गांधी ने इच्छा प्रकट करते हुए कहा कि वह पत्रकार नीना गोपाल से मिलना चाहती हैं। जिसके बाद जून में वह उनसे जाकर मिली।
सोनिया गांधी जानना चाहती थी कि अंतिम समय में उनका मूड कैसा था। इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी अलेक्जेंडर ने अपनी किताब में लिखा है कि इंदिरा की हत्या के कुछ घंटों के भीतर ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट के गलियारे में सोनिया को राजीव गांधी से लड़ेते हुए देखा गया था, वह सोनिया को बता रहे थे कि पार्टी चाहती है कि मैं प्रधानमंत्री पद की शपथ लूं, लेकिन सोनिया ने कहा किसी कीमत पर नहीं, वो लोग तुम्हें भी मार डालेंगे।
जिसके बाद राजीव ने कहा कि मेरे पास कोई विकल्प नहीं है, मैं वैसे भी मारा जाऊंगा। सात साल बाद राजीव गांधी के बोले वो शब्द आखिरकार सही साबित हुए और उनकी जान ले ली गई।