logo

Gyanvapi पर कोर्ट के फैसले के बाद महबूबा मुफ्ती का विवादित बयान, जानिए

ज्ञानवापी केस (Gyanvapi Case) पर वाराणसी जिला अदालत (Varanasi District Court) ने सोमवार को हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाया और मुस्लिम पक्ष की अर्जी को खारिज कर दिया.
 
Gyanvapi पर कोर्ट के फैसले के बाद महबूबा मुफ्ती का विवादित बयान, जानिए 
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Mehbooba Mufti On Gyanvapi: इसपर पीडीपी (PDP) चीफ महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने विवादित बयान दिया है. महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा कि ज्ञानवापी पर अदालत के फैसले से दंगा भड़केगा. वाराणसी जिला अदालत ने यह कहते हुए कि श्रृंगार गौरी (Shringar Gauri) का मामला सुनने योग्य है मुस्लिम पक्ष की अर्जी को खारिज कर दिया था.

 

Also Read This News- Haryana. किताबों की दुकान पर सीएम फ्लाइंग और NCERT की रेड, देखिये क्या है मामला

 

महबूबा मुफ्ती का विवादित ट्वीट

ज्ञानवापी मामले पर कोर्ट के फैसले पर रिएक्शन देते हुए महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के बावजूद ज्ञानवापी पर अदालत के फैसले से दंगा भड़केगा और एक सांप्रदायिक माहौल पैदा होगा जो बीजेपी का एजेंडा है. यह एक खेदजनक स्थिति है कि अदालतें अपने स्वयं के फैसलों का पालन नहीं करती हैं.


मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दिया ऐसा रिएक्शन

बता दें कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले से जुड़े अदालत के फैसले को निराशाजनक करार देते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का क्रियान्वयन सुनिश्चित करे.

Also read this News- NCERT को मिलेगा डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा, UGC कार्यसमिति ने दी मंजूरी

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि ज्ञानवापी के संबंध में जिला अदालत का प्रारंभिक फैसला निराशाजनक और दुखदायी है.

gyanvapi

कोर्ट के फैसले पर जताई निराशा

उन्होंने आगे कहा कि 1991 में बाबरी मस्जिद विवाद के बीच संसद ने मंजूरी दी थी कि बाबरी मस्जिद को छोड़कर सभी धार्मिक स्थल 1947 में जिस स्थिति में थे, उन्हें यथास्थिति में रखा जाएगा और इसके खिलाफ कोई विवाद मान्य नहीं होगा. फिर बाबरी मस्जिद मामले के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के कानून की पुष्टि की.


मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि इसके बावजूद जो लोग देश में घृणा परोसना चाहते हैं और जिन्हें इस देश की एकता की परवाह नहीं है, उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा उठाया और अफसोस की बात है कि स्थानीय अदालत ने 1991 के कानून की अनदेखी करते हुए याचिका को स्वीकृत कर लिया और एक हिंदू समूह के दावे को स्वीकार किया.