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Train: वन्दे भारत ट्रेन की नाक जैसी शेप का राज, जानने के लिए क्लिक करे

इस सेमी हाईस्‍पीड ट्रेन के अगले हिस्से को पुरानी ट्रेनों के मुकाबले कुछ कमजोर क्यों बनाया गया है. रेलवे का कहना है कि ये इसके डिजाइन में किसी तरह की चूक नहीं, बल्कि इसे पूरी प्लानिंग के साथ बनाया गया है.

 
Train: वन्दे भारत ट्रेन की नाक जेसी शेप का राज, जानने के लिए क्लिक करे 

नई दिल्ली. सेमी हाईस्‍पीड ट्रेन यानी वंदेभारत (Vande Bharat Trains) की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा ट्रेनों को पटरी पर उतारने की तैयारी चल रही है.

वैसे तो नई वंदे भारत एक्सप्रेस को कई हाईटेक तकनीक से लैस किया गया है, लेकिन कुछ दिनों पहले सफर के दौरान ट्रेन जानवर से टकरा गई. टक्कर से ट्रेन का आगे का हिस्सा टूट गया है. पहले भी सफर के दौरान टक्कर से वंदे भारत ट्रेन का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है. अब आप सोच रहे होंगे कि क्या ट्रेन इतनी कमजोर है कि जरा सी टक्कर से टूट गई. तो फिर इसमें बैठा यात्री कैसे सुरक्षित हो सकता है, लेकिन हम आपको इसके बारे में एक खास बताने जा रहे हैं.

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दुर्घटनाग्रस्त वंदे भारत की फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों के दिमाग में सवाल उठता है कि आखिर वंदे भारत ट्रेन का अगला हिस्सा इतना कमजोर क्यों है? रेलवे ने इस बारे में खुद बताया है कि इस सेमी हाईस्‍पीड ट्रेन के अगले हिस्से को पुरानी ट्रेनों के मुकाबले कुछ कमजोर क्यों बनाया गया है. रेलवे का कहना है कि ये इसके डिजाइन में किसी तरह की चूक नहीं, बल्कि इसे पूरी प्लानिंग के साथ बनाया गया है.

आखिर क्या है माजरा?

वंदे भारत प्रोजेक्ट से जुड़े रेलवे अधिकारी के अनुसार, इसके अगले हिस्से, जिसे नोज कोन (Nose Cone) कहते हैं को टक्कर होने पर टूटने के लिए ही बनाया गया है. अब सोच रहे होंगे कि आखिर टूटने के लिए कोई चीज क्यों बनाई जाएगी. रेलवे ने बताया कि उन्हें पहले से पता है कि इस तरह के हादसे हो सकते हैं. इसीलिए जहां भी वंदे भारत की रैक भेजी जाती है, वहां नोज कोन के अतिरिक्त सेट भी पहले से ही भेजे जाते हैं. ताकि दुर्घटना के बाद इन्हें स्थानीय डिपो में बदला जा सके.

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क्या है नोज कोन के टूटने का मकसल

रेलवे अधिकारी के अनुसार नोज कोन को टूटने के लिए डिजाइन करने के पीछे का मकसद है कि इससे दुर्घटना के असर को कम किया जा सके. ताकि ट्रेन और जिससे वो टकराए, दोनों को कम से कम नुकसान हो. इससे गाड़ी का इंजन, चेचिस (बेसिक ढांचा) और यात्रियों को नुकसान की आशंका बहुत कम हो जाती है. साथ ही क्षतिग्रस्त नोज कोन को मौके पर ही आसानी से हटाकर जल्द से जल्द आगे का सफर शुरू किया जा सकता है. जबकि नॉर्मल ट्रेनों के आगे लोहे का एक काऊ कैचर लगा होता है, जो पटरी पर आए जानवर या इंसान को फोर्स से कुचल देता है. इससे कई बार ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों को खतरा हो सकता है.

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