Cheque Bounce होने पर मिलती है इतनी सज़ा, ना करें ये गलती
Haryana Update : जब कोई व्यक्ति किसी को पैसे के भुगतान के लिए चेक देता है तो वह उसे बैंक में ले जाता है। जहां बैंक उसे क्लियर करता है। अगर व्यक्ति के हस्ताक्षर सही नहीं हैं या खाते में पैसे नहीं हैं तो चेक रिजेक्ट हो जाता है। इसे चेक बाउंस कहते हैं। चेक बाउंस होने के और भी कई कारण हो सकते हैं। लेकिन चेक बाउंस (चेक बाउंस दंड अधिनियम) एक दंडनीय अपराध है। चेक बाउंस होने पर सजा का भी प्रावधान है।
देनदार के खिलाफ दर्ज हो सकता है केस: चेक बाउंस का मामला तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी को भुगतान करता है और वह चेक बैंक द्वारा क्लियर नहीं किया जाता है। चेक देने वाले व्यक्ति को देनदार और चेक को बैंक में जमा करने वाले व्यक्ति को लेनदार कहा जाता है। अगर चेक बाउंस होता है तो लेनदार देनदार के खिलाफ केस दर्ज कर सकता है। लेकिन इसके लिए कुछ नियम और कानून हैं। जिसके बारे में हम लेख में आगे जानेंगे।
चेक बाउंस होने पर लगेगा जुर्माना: जब कोई चेक क्लियर नहीं होता है तो चेक बाउंस होना तय है। इसके साथ ही चेक बाउंस होने पर जुर्माना भी लगाया जाता है। यह जुर्माना राशि खाते से कट जाएगी। यह राशि देनदार के खाते से कट जाएगी। चेक बाउंस होने पर अलग से केस दर्ज होगा।
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चेक बाउंस होने पर ऐसे होती है कार्रवाई: चेक बाउंस होने पर सबसे पहले लेनदार को देनदार को चेक बाउंस होने की जानकारी देनी होती है (चेक बाउंस की सजा)। फिर देनदार को एक महीने में पैसे चुकाने होते हैं। अगर एक महीने में भुगतान नहीं होता है तो कानूनी नोटिस भेजने का विकल्प होता है। नोटिस के बाद भी अगर दूसरा व्यक्ति 15 दिन में जवाब नहीं देता है तो उसके खिलाफ नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 की धारा 138 (चेक बाउंस की सजा अधिनियम) के तहत केस दर्ज होगा।
चेक बाउंस होने पर होगी जेल: चेक बाउंस होना एक दंडनीय अपराध है। धारा 138 के तहत केस दर्ज होता है। इस कानून के तहत चेक बाउंस के दोषी को सजा दी जाती है। धारा 138 में जुर्माना (चेक बाउंस की सजा जेल या जुर्माना) या दो साल की कैद या दोनों तरह की सजा का प्रावधान है। जहां मामला होगा, वहीं केस दर्ज होगा। दो साल की सजा के साथ ही ब्याज और जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
कितने दिनों में हो सकता है चेक क्लियर
अगर कोई आपको चेक देता है तो आपको उसे तीन महीने के अंदर बैंक में जमा करना होता है। चेक की वैधता अवधि तीन महीने ही होती है। वहीं अगर चेक बाउंस होता है तो बैंक लेनदार को रसीद देता है। इसमें चेक बाउंस होने का कारण बताया जाता है। इसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा सकती है। वहीं चेक को तीन महीने के अंदर बैंक में जमा कर देना चाहिए।