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ये एयरलाइन देगी एक साथ 100 विमानों का ऑर्डर, बन जाएगा ये रिकॉर्ड

Indigo Airlines is going to buy 100 small planes for Increase its network.

 
indigo airlines

New Delhi: भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो (Indigo) कम से कम 100 छोटे विमानों का ऑर्डर देने की तैयारी में है। कंपनी अपने क्षेत्रीय नेटवर्क को बढ़ाने की योजना बना रही है। इसके लिए उसे छोटे विमान चाहिए। सूत्रों के मुताबिक उसकी एटीआर, एम्ब्रेयर और एयरबस के साथ बातचीत कर रही है। इंडिगो पहले से ही 78 सीटर 45 एटीआर-72 विमानों को ऑपरेट करती है। इस साल कंपनी को पांच और विमान मिलेंगे। एटीआर फ्रांस और इटली की जॉइंट कंपनी है। सूत्रों का कहना है कि इंडिगो के एटीआर के विमान खरीदने की उम्मीद है। इसके साथ ही इंडिगो दुनिया में सबसे ज्यादा एटीआर विमानों को ऑपरेट करने वाली एयरलाइन बन जाएगी। अभी यह रेकॉर्ड इंडोनेशिया की Wings Air के पास है जो 74 एटीआर विमानों को ऑपरेट करती है। हालांकि एयरबस ए220 और एम्ब्रेयर के ई-175 विमान भी होड़ में हैं। इंडिगो ने पिछले साल एयरबस को 500 विमानों का ऑर्डर दिया था जो एविएशन के इतिहास में सबसे बड़ा ऑर्डर था।

इंडिगो इंटरनेशनल रूट्स (Indigo Airlines) के बाद देश में अपने नेटवर्क को मजबूत कर रह रही है। इससे पहले एयरलाइन ने 25 अप्रैल को घोषणा की कि वह 30 एयरबस A350-900 विमानों का ऑर्डर दे रही है, जो वाइड-बॉडी विमानों के लिए उसका पहला ऑर्डर है। एटीआर टर्बोप्रॉप हैं, जबकि अन्य दो जेट हैं। एटीआर के अलावा, इंडिगो के बेड़े में एयरबस ए320 और ए321 शामिल हैं। साथ ही कंपनी के पास अपने कोडशेयर पार्टनर टर्किश एयरलाइंस के दो बोइंग 777 हैं जो शॉर्ट-टर्म लीज पर हैं। इंडिगो की भारत के घरेलू एयर ट्रैफिक में 60% हिस्सेदारी है। कंपनी कम आबादी वाले शहरों में अवसर देख रही है। हवाई अड्डे के बेहतर बुनियादी ढांचे और सरकार की उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना से इन शहरों में एयर ट्रैफिक की मांग बढ़ने की उम्मीद है। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय हवाई संपर्क को विकसित करना और उसे प्रोत्साहित करना है।

इंडिगो की उड़ान
एटीआर ने पहले कहा था कि उसे उम्मीद है कि क्षेत्रीय हवाई संपर्क में ग्रोथ के कारण अगले दशक में भारत कंपनी का सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा। एटीआर के एशिया-प्रशांत वाणिज्यिक प्रमुख Jean-Pierre Clercin ने फरवरी में कहा था कि लोग अधिक सुविधा और कम समय में यात्रा करना चाहते हैं। ट्रांसपोर्ट के अन्य साधन बढ़ रहे हैं, लेकिन मांग की गति के साथ नहीं बढ़ रहे हैं। इसलिए, रीजनल एविएशन की भूमिका बहुत बड़ी है। एटीआर के प्रवक्ता ने इस मामले में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इंडिगो, एम्ब्रेयर और एयरबस के प्रतिनिधियों ने भी कोई टिप्पणी नहीं की।

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2017 में, इंडिगो ने 50 एटीआर-72 विमानों का ऑर्डर दिया था। इसके साथ ही उसने क्षेत्रीय विमानन बाजार में प्रवेश किया था, जिस पर स्पाइसजेट का अपने बॉम्बार्डियर क्यू400 विमानों के साथ एकाधिकार था। इंडिगो ने लगातार अपना ऑपरेशन बढ़ाया है और आज कंपनी देश के 60 शहरों के लिए फ्लाइट ऑपरेट करती है। हाल ही में एयलाइन ने गोंदिया, लक्षद्वीप, जगदलपुर, झारसुगुड़ा और धर्मशाला के लिए फ्लाइट्स शुरू की है। इंडिगो के एक अधिकारी ने कहा कि एटीआर-72 ने नेटवर्क को विकसित करने में मदद की है। इससे नए डेस्टिनेशंस तक उड़ान भरना सस्ता हो गया है। इन रूट्स पर 180 सीटों वाले एयरबस ए320 को भरने के लिए पर्याप्त पैसेंजर नहीं हैं।

क्या है इंडिगो की योजना
अधिकारी ने कहा, 'लेकिन एक बार जब इंडिगो विश्वसनीय कनेक्टिविटी स्थापित करने में सक्षम हो जाएगी, तो बाजार का आकार बढ़ जाएगा, तो एयरलाइन को बड़े ए320 या ए321 जेट विमानों को शामिल करने में मदद मिलेगी। देश की ज्यादातर विमान कंपनियां वित्तीय संकट से जूझ रही हैं। इस कारण वे उड़ान के रूट्स पर फ्लाइट्स जारी नहीं रख पाई हैं। उड़ान योजना में सफल बोलीदाता को तीन साल के लिए विशेष अधिकार मिलता है। लेकिन स्पाइसजेट और फ्लाईबिग जैसी एयरलाइनों ने आमतौर पर इस अवधि के समाप्त होने के बाद उन मार्गों पर उड़ानें बंद कर दी हैं। उदाहरण के लिए, पिछले वर्ष अक्टूबर में इंडिगो ने ओडिशा के झारसुगुड़ा के लिए उड़ान शुरू की थी जिसके बाद स्पाइसजेट ने उस रूट पर उड़ान बंद कर दी थीं।

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एक ट्रैवल एजेंट ने कहा कि इंडिगो के आने से सेवा की विश्वसनीयता बढ़ गई है, क्योंकि अब टिकट रद्द करने के वाकये बहुत कम होते हैं। छोटे विमानों ने इंडिगो को अधिक लचीलापन भी प्रदान किया है, जिससे एयरलाइन गैर-पीक घंटों के दौरान दो शहरों के बीच उड़ानें संचालित करने में सक्षम हो गई है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि चुनाव के बाद क्षेत्रीय संपर्क में निवेश बढ़ेगा क्योंकि यह बात साबित हो चुकी है कि इससे आर्थिक उत्पादकता बढ़ती है। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जनवरी में कहा था कि केंद्र ने अगले चार वर्षों में हवाई अड्डों की संख्या 148 से बढ़ाकर 200 करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है।

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