पूरी रकम चुकाकर खरीदी गई संपत्ति भी जाएगी चली! अगर नहीं किया ये काम
Haryana Update, Property Rule : अगर आपने भी कोई प्रॉपर्टी जैसे मकान, दुकान या प्लॉट खरीदा है और जिससे प्रॉपर्टी खरीदी है, उसे पूरी रकम दे दी है और प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री भी करवा ली है, लेकिन अगर आपने सारा काम करवाने के बाद यह काम नहीं करवाया है, तो यह प्रॉपर्टी आपके हाथ से निकल सकती है। अगर आप भी अपनी दुकान या जमीन को तहसील में रजिस्ट्री करवाकर निश्चिंत हो गए हैं कि अब वह दुकान, प्लॉट या मकान आपका है, तो आप गलत सोच रहे हैं।
जिससे आपने प्रॉपर्टी खरीदी है, उसे पूरी रकम देने और रजिस्ट्री करवाने के बाद भी आप उस प्रॉपर्टी के पूरे मालिक नहीं बन पाए हैं। अगर आपने प्रॉपर्टी का म्यूटेशन यानी रजिस्ट्रेशन के बाद म्यूटेशन नहीं करवाया है, तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। म्यूटेशन न करवाने की वजह से कई प्रॉपर्टी विवाद होते हैं। आए दिन ऐसा मामला सामने आता है कि किसी व्यक्ति ने एक प्रॉपर्टी दो बार बेच दी। या फिर विक्रेता ने बेची गई प्रॉपर्टी को खरीदार के नाम पर रजिस्ट्री करवाने के बाद भी जमीन पर लोन ले लिया। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जमीन के खरीदार ने सिर्फ रजिस्ट्री करवाई है, उसने प्रॉपर्टी को अपने नाम पर रजिस्टर या ट्रांसफर नहीं करवाया है।
म्यूटेशन जरूरी है-
भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट कहता है कि 100 रुपये से ज्यादा कीमत की किसी भी तरह की प्रॉपर्टी अगर ट्रांसफर होती है तो वह लिखित में होगी। इसका रजिस्ट्रेशन सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में होता है। यह नियम पूरे देश में लागू है और इसे रजिस्ट्री कहते हैं। लेकिन, आपको यह बात अच्छे से समझ लेनी चाहिए कि सिर्फ रजिस्ट्रेशन से आप जमीन, मकान या दुकान के पूरे मालिक नहीं हो जाते। म्यूटेशन यानी रजिस्ट्रेशन के बाद म्यूटेशन करवाना भी बहुत जरूरी है।
पूरा दस्तावेज-
रजिस्ट्री सिर्फ मालिकाना हक के ट्रांसफर का दस्तावेज है, मालिकाना हक का नहीं। रजिस्ट्रेशन के बाद जब आप उस रजिस्ट्री के आधार पर म्यूटेशन करवाते हैं तो आप उस प्रॉपर्टी के पूरे मालिक बन जाते हैं। इसलिए अगर आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो सिर्फ रजिस्ट्री करवाकर कभी चैन से न बैठें। रजिस्ट्रेशन के बाद जब म्यूटेशन होता है तभी प्रॉपर्टी खरीदने वाले को प्रॉपर्टी से जुड़े सभी अधिकार मिलते हैं। दाखिल खारिज का मतलब है कि रजिस्ट्री के आधार पर आपका नाम उस प्रॉपर्टी के मालिकाना हक के सरकारी रिकॉर्ड में शामिल हो गया है। खारिज का मतलब है कि मालिकाना हक के रिकॉर्ड से पुराने मालिक का नाम हट गया है।