टैक्स भरने वालों को जरूर पता होनी चाहिए ये 6 बाते, जिस कारण आता है नोटिस
Income Tax Rules : देश में वित्त मंत्रालय यह तय करता है कि आपको कितनी आय पर टैक्स देना होगा। इसे लेकर समय-समय पर संशोधन होते रहते हैं। वित्त मंत्रालय के अधीन आयकर विभाग (Income Tax Notice rules) देश में नकदी प्रवाह पर नज़र रखता है। यह विभाग लोगों से आयकर वसूलता है। आयकर विभाग के कई नियम हैं, जिसके तहत लोगों से टैक्स वसूला जाता है। कई बार लोग सोचते हैं कि उन्हें टैक्स नहीं देना है, लेकिन आयकर का नोटिस आ जाता है। आपको पता होना चाहिए कि आयकर नोटिस भेजने के पीछे क्या नियम हैं।
Haryana Update, Income Tax Notice Rules : इनकम टैक्स भरते समय अपनी आय की सही गणना करें। एक छोटी सी गलती आपको मुसीबत में डाल सकती है। इनकम टैक्स विभाग आपको नोटिस भेज सकता है। कई बार लोग जानबूझ कर तो कई बार गलती से इनकम टैक्स भरते समय गलत जानकारी डाल देते हैं। विभाग ऐसे लोगों को ढूंढ़कर नोटिस (आईटी नोटिस) जारी करता है। अगर आपने गलत जानकारी दी है तो इनकम टैक्स विभाग आपको छह नियमों के तहत नोटिस भेज सकता है। अगर आपको नोटिस मिला है तो उसका जवाब कैसे दें। आइए इस लेख में यह सब जानते हैं।
इनकम टैक्स की सही गणना करें और उसका भुगतान करें
कोई भी व्यक्ति नहीं चाहेगा कि उसे इनकम टैक्स विभाग से नोटिस मिले। लेकिन फिर भी लोग जाने-अनजाने में इनकम टैक्स विभाग की नजर में आ ही जाते हैं। इसलिए अगर आप इनकम टैक्स भर रहे हैं तो अपना टैक्स भरते समय उसकी सही गणना करें। नहीं तो इनकम टैक्स विभाग आपके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। आपको नोटिस मिल सकता है।
नोटिस का जवाब कहां दें
इनकम टैक्स विभाग की ओर से नोटिस तब दिया जाता है जब आपके आईटीआर में कोई गलती होती है या फिर आप ज्यादा आय होने के बावजूद टैक्स नहीं भर रहे हैं। इनकम टैक्स विभाग ने नोटिस का जवाब देने के लिए ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध कराई है। आप आयकर विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन अपना जवाब दाखिल कर सकते हैं।
छह धाराओं के तहत जारी होते हैं नोटिस
आयकर का भुगतान न करने और आयकर में विसंगतियों के मामले में आयकर विभाग छह अलग-अलग धाराओं (आयकर नोटिस के छह नियम) के तहत नोटिस जारी करता है। आयकर विभाग द्वारा जारी किए गए इन नोटिसों का मतलब भी अलग-अलग है। आइए जानते हैं कि छह अलग-अलग धाराओं का क्या मतलब है।
इस आयकर नोटिस का 15 दिनों के भीतर जवाब देना होता है
दोषपूर्ण रिटर्न (आईटीआर नियम) का मामला आयकर की धारा 139(9) के अंतर्गत आता है। जब धारा 139(9) के तहत कोई नोटिस मिलता है, तो इसका मतलब है कि आईटीआर में कुछ गड़बड़ है। या तो कुछ जानकारी गलत है या कुछ जानकारी नहीं दी गई है। यह आईटीआर में दिए गए विवरण से मेल नहीं खाती है। इस नोटिस का 15 दिनों के भीतर जवाब देना होता है। ऐसा न करने पर आपका आईटीआर रिटर्न खारिज कर दिया जाता है। इसलिए, चरणबद्ध तरीके से स्पष्ट और सीधा जवाब दिया जाना चाहिए।
धारा 143(1) नोटिस
धारा 143(1) नोटिस में अधिक और कम भुगतान की जानकारी दी जाती है आयकर की धारा 143(1) के तहत नोटिस केवल जानकारी के लिए होता है। इसमें अगर अधिक टैक्स चुकाया गया है (आयकर नोटिस) तो रिटर्न की जानकारी दी जाती है। अगर टैक्स कम चुकाया गया है तो बकाया राशि की जानकारी दी जाती है। यह नोटिस आईटीआर और टीडीएस में अंतर पर आता है आयकर की धारा 143(1)(ए) के तहत भी सूचनात्मक नोटिस दिया जाता है। यह नोटिस तब आता है जब फॉर्म 16 और फॉर्म 16ए के आईटीआर और टीडीएस सर्टिफिकेट में अंतर होता है। इसमें अलग-अलग विवरण दिखाई देते हैं। अधिक जानकारी के लिए भी नोटिस दिया जाता है आयकर की धारा 142(1) के तहत भी नोटिस जारी किया जाता है। यह तब दिया जाता है जब असेसिंग ऑफिसर को आईटीआर के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता होती है। यह तब भी भेजा जा सकता है जब करदाता उक्त वर्ष में आईटीआर (आईटी नोटिस) जमा नहीं कर रहा हो। इस नोटिस का जवाब न देने पर दस हजार रुपये का जुर्माना और कानूनी कार्रवाई हो सकती है। धारा 156 के तहत भेजा जाता है
डिमांड नोटिस
आयकर विभाग की धारा 156 के तहत आयकर विभाग डिमांड नोटिस भेजता है। इस नोटिस को भेजकर संबंधित व्यक्ति से पेनाल्टी, जुर्माना और टैक्स की मांग की जाती है। नोटिस (आयकर नोटिस) मिलने के तीस दिन के अंदर आपको टैक्स जमा करना होता है। अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।
धारा 143(2) के तहत होती है जांच
आयकर विभाग की धारा 143(2) के तहत नोटिस जारी किया जाता है। यह नोटिस नहीं बल्कि आदेश होता है। इसके तहत आपकी जांच करने के आदेश दिए जाते हैं। ऐसा तब होता है जब आप आईटीआर (आईटीआर नियम) नहीं भरते या बहुत कम या पूरी तरह से गलत भरते हैं। गलती पाए जाने पर यह नोटिस जारी किया जाता है।