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Supreme Court: अब बिना कोर्ट जाए अपनी प्रॉपर्टी से कब्जा हटाने का आसान तरीका।

Supreme Court: अब बिना कोर्ट जाए अपनी प्रॉपर्टी से कब्जा हटाने का आसान तरीका। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में प्रॉपर्टी से कब्जा हटाने का सरल और प्रभावी तरीका बताया है। अब आपको अपनी प्रॉपर्टी से अवैध कब्जा हटाने के लिए कोर्ट जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कोर्ट ने एक प्रक्रिया बनाई है, जिससे यह काम बिना किसी लंबी कानूनी प्रक्रिया के जल्दी हो सकेगा। जानिए, इस फैसले से आपको कैसे फायदा हो सकता है, नीचे देखें पूरी जानकारी।

 
Supreme Court: अब बिना कोर्ट जाए अपनी प्रॉपर्टी से कब्जा हटाने का आसान तरीका।
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Haryana update : प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे का मामला भारत में एक आम समस्या बन चुका है। अक्सर लोग अपनी जमीन पर अवैध कब्जे की वजह से कानूनी पचड़ों में फंस जाते हैं। अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है और कई बार तो लोग अपने जीवन के कई साल सिर्फ कोर्ट के चक्कर काटने में बिता देते हैं। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जो प्रॉपर्टी पर कब्जा होने के बाद पीड़ितों के लिए राहत लेकर आया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अब कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन से कब्जा छुड़वाने के लिए कोर्ट के चक्कर नहीं काटेगा। इसके लिए एक आसान तरीका सुझाया गया है, जिससे बिना कोर्ट जाए अवैध कब्जे को हटवाया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: अवैध कब्जा हटवाने का तरीका

जब किसी की प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जा हो जाता है, तो अब उसे कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़ने की जरूरत नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्देश दिया है कि अब पीड़ित व्यक्ति शासकीय सहायता से अपने कब्जे को छुड़ा सकता है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने पूनाराम बनाम मोती राम केस में सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर किसी की प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जा हो, तो वह शासकीय सहयोग से इसे हटवा सकता है, बशर्ते वह प्रॉपर्टी का वैध मालिक हो।

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क्या है शासकीय सहायता का तरीका?

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अवैध कब्जे को हटवाने के लिए अब कोर्ट में लंबा मुकदमा नहीं लड़ा जाएगा। अगर प्रॉपर्टी का टाइटल व्यक्ति के नाम पर है, तो वह शासकीय मदद से कब्जा हटवा सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर किसी व्यक्ति ने अपनी प्रॉपर्टी की खरीदारी का कानूनी प्रमाण दिखा दिया है और उसके नाम पर मालिकाना हक है, तो उसे कोर्ट की मदद के बिना ही कब्जा हटवाने का अधिकार होगा।

टाइटल होना है आवश्यक

सुप्रीम कोर्ट का यह भी कहना था कि प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जा हटवाने के लिए आवश्यक है कि संबंधित व्यक्ति का प्रॉपर्टी का टाइटल उसके नाम पर हो। अगर प्रॉपर्टी का अधिकार किसी और के नाम पर है, तो उस स्थिति में शासकीय सहायता से कब्जा हटवाने की प्रक्रिया लागू नहीं होगी और मामला कोर्ट में जाना होगा। अगर प्रॉपर्टी पर कब्जा 12 साल से अधिक पुराना है, तो फिर मामला स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963 के तहत सुनवाई के लिए भेजा जाएगा।

क्या होता है जब प्रॉपर्टी टाइटल आपके नाम पर नहीं है?

अगर किसी व्यक्ति का प्रॉपर्टी का टाइटल उसके नाम पर नहीं है, तो उसे कोर्ट में केस करना पड़ेगा। खासकर 12 साल से अधिक के कब्जे में यह प्रक्रिया जरूरी होगी। इस स्थिति में पीड़ित को कोर्ट में साबित करना होगा कि वह प्रॉपर्टी का असल मालिक है। इसके बाद ही कोर्ट उसे कब्जा खाली करवा सकता है।

प्रॉपर्टी पर कब्जा होने से पहले क्या करें?

अगर किसी की प्रॉपर्टी पर कब्जा हो जाता है, तो सबसे पहले स्टे (Stay Order) लेना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कब्जा करने वाला व्यक्ति भविष्य में उस प्रॉपर्टी पर कोई निर्माण नहीं कर सकेगा। स्टे लेने से मामले का हल आसान हो सकता है और भविष्य में केस में कोई कानूनी रुकावट नहीं आएगी।

पूना राम बनाम मोती राम केस का विवरण

यह मामला राजस्थान के बाड़मेर जिले से संबंधित है। पूना राम ने 1966 में जमीन खरीदी थी, लेकिन जब उन्होंने अपनी प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक का दावा किया, तो उन्हें मोती राम नामक व्यक्ति का अवैध कब्जा मिला। मोती राम के पास कोई कानूनी दस्तावेज नहीं थे, और पूना राम ने अवैध कब्जा हटवाने के लिए कोर्ट में केस दायर किया। ट्रायल कोर्ट ने पूना राम के पक्ष में फैसला दिया।

लेकिन मोती राम ने इस फैसले को चुनौती दी और राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की, जहां हाईकोर्ट ने फैसला पलटते हुए मोती राम को जमीन का कब्जा जारी रखने का आदेश दिया। फिर मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि अगर प्रॉपर्टी का टाइटल किसी के नाम पर है, तो 12 साल से पुराने कब्जे को भी शासकीय सहायता से हटवाया जा सकता है।

न्यायालय का आदेश और लिमिटेशन एक्ट

मोती राम ने लिमिटेशन एक्ट की धारा 64 का हवाला देते हुए दावा किया कि कब्जा करने के बाद 12 साल तक कोई कानून हस्तक्षेप नहीं कर सकता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि यह नियम केवल उन मामलों पर लागू होता है, जहां जमीन का टाइटल असली मालिक के पास नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला प्रॉपर्टी पर कब्जा करने वालों के खिलाफ एक सख्त संदेश है। अब प्रॉपर्टी मालिकों को अपनी संपत्ति पर कब्जा छुड़ाने के लिए कोर्ट के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। वे शासकीय सहयोग से बिना किसी कानूनी जटिलता के अपनी जमीन पर अवैध कब्जा हटा सकते हैं, बशर्ते प्रॉपर्टी का टाइटल उनके नाम पर हो। इस फैसले से प्रॉपर्टी विवादों में उलझे लाखों लोग राहत महसूस करेंगे और उनका समय व संसाधन बच सकेगा।