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Share Market Update : आखिर क्या है EBITDA, निवेशकोंं के लिए जानना है बेहद जरूरी

नई दिल्ली: बाजार में लिस्टेड कंपनियों की वित्तीय स्थिति को समझने में रुचि रखने वाले एबिटा (EBITDA) पर विशेष ध्यान देते हैं। किसी भी बड़े निवेशक को किसी भी कंपनी में धन लगाने से पहले एबिटा की जांच करनी चाहिए। आपने भी इसके बारे में कई बार सुना होगा, लेकिन बहुत कम लोगों को इसकी वास्तविकता का पता है। तो चलिए आज हम इसके बारे में आपको बताते हैं।
 
 आखिर क्या है EBITDA
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Haryana Update : EBITDA देखने में भारी शब्द लग सकता है, लेकिन इसे समझना आसान नहीं है। पहली बात तो यह है कि एबिटा एक पूरा फॉर्म है, जिसका अर्थ है अर्निंग बिफोर इंटरेस्ट, टैक्स, डेप्रिसिएशन, और अमॉर्टाइजेशन (अर्निंग बिफोर इंटरेस्ट, टैक्स, डेप्रिसिएशन, और अमॉर्टाइजेशन)। इसका पूरा अर्थ भी समझ में आता है।

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आसान शब्दों में, इसका मतलब है कि एक फॉर्मूला, जो कंपनी की कुल आय से लाभ को मापता है, वह कुल आय, जिसमें गैर कैश डेप्रिसिएशन, अमॉर्टाइजेशन खर्च, उधार चुकाई, विभिन्न टैक्स और कर्ज की लागत शामिल हैं।

बड़े निवेशकों का इस पर क्या ध्यान है?
और भी आसानी से समझने के लिए, यह बताया जा सकता है कि कंपनी कितना कमा पा रही है, कितना टैक्स दे रही है, कितना मूल्यह्रास या डेप्रिसिएशन हो रहा है और कितना कर्ज चुकाया है। इससे कंपनी की वास्तविक दिशा स्पष्ट होती है। अब एबिटा क्या है पता चला। अब बड़े निवेशकों ने इस पर पैनी नजर क्यों रखी है, यह भी जानना जरूरी है।

कंगाल को कोई निवेश या उधार नहीं मिलता।
यह एक उदाहरण है। क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को उधार देंगे जो पहले से ही गरीब है या उसके पास उधार चुकाने के लिए पर्याप्त धन नहीं है? आपका उत्तर संभवतः नहीं होगा। साथ ही, आप किसी ऐसे उद्यम में निवेश नहीं करना चाहेंगे जो पिछले कुछ सालों से कुछ भी नहीं कमा रहा है। बिलकुल यही बात एक कर्जदाता या निवेशक पर भी लागू होती है। यदि कोई कंपनी वास्तव में कुछ कमा रही है, जिसे एबिटा से मापा जा सकता है, तो लोग उसमें निवेश करना चाहेंगे. यदि उस कंपनी को बाजार से उधार लेना भी पड़े तो आसानी से मिल सकता है। यही कारण है कि बड़े निवेशक केवल सफल कंपनियों को चुनते हैं।

यहां आपको यह भी समझना चाहिए कि एबिटा कंपनी के कैश फ्लो को पूरी तरह से स्पष्ट नहीं करता। इसलिए यह गुमराह कर सकता है या मिसलीडिंग कर सकता है। एबिटा किसी भी कंपनी में निवेश का आधार नहीं हो सकता। निवेशक अन्य कई कारक पर विचार करते हैं। कैश फ्लो भी महत्वपूर्ण है, जिसे समझाने के लिए अलग से एक लेख लिखना होगा। यह लेख केवल एबिटा पर केंद्रित है।

यही कारण है कि एक निवेशक तिमाही दर तिमाही एबिटा देखकर कंपनी का फोकस कहां है पता लगा सकता है। क्या वह अपना कर्ज बढ़ा रही है या कम कर रही है? क्या कोई संस्था अपना कर्ज भी कम कर रही है और अपनी कमाई भी बढ़ा रही है? क्या वह अपनी कमाई बढ़ाते हुए भी पैसे खो देता है? और बाकी सब कुछ भी चेक किया जा सकता है। नेट प्रॉफिट, या शुद्ध लाभ, इसके बाद आता है। एबिटा को समझने के बाद स्पष्ट हो जाता है कि शुद्ध लाभ और कुल आय में काफी फर्क है।

एबिटा कैसे कैलकुलेट होता है?
एबिटा को कैलकुलेट करने के दो आम फॉर्मूला हैं। पहले, कंपनी का नेट प्रॉफिट, ब्याज, टैक्स, मूल्यह्रास और ऋणमुक्ति मिलाकर अंग्रेजी में एबिटा इस प्रकार लिखा जाएगा:
Net Profit + Interest + Taxes + Depreciation + Amortization = EBITDA।
ऑपरेटिंग से मिलने वाली आय का योग + मूल्यह्रास का योग + ऋणमुक्ति का योग Abby इसे अंग्रेजी में कुछ इस तरह लिखेगा:
EBITDA को operating income, depreciation और amortization मिलाकर बनाया जाता है।

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