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Share Buyback : आख़िर क्या है बायबैक, निवेशकों को पता होना है बेहद जरूरी

नई दिल्ली:10,000 करोड़ रुपये में, कंपनी 3.13 करोड़ शेयर खरीदेगी, जिसकी फेस वैल्यू 2 रुपये होगी। l इसकी घोषणा लार्सेन टुब्रो L&T Buyback ने की। कम्पनी द्वारा खरीदे गए शेयरों का हिस्सा कुल इक्विटी का 2.22 प्रतिशत है। 25 सितंबर तक निवेशक अपने शेयरों को बायबैक के लिए सुरक्षित रख सकते हैं। लेकिन 11 सितंबर तक एलएंडटी के शेयर खरीदने वाले निवेशक ही इसे कर पाएंगे।
 
 आख़िर क्या है बायबैक

Haryana Update : इसका कारण यह है कि कंपनी ने 12 सितंबर को बायबैक की रिकॉर्ड तिथि निर्धारित की थी। शेयर बायबैक का मूल्य 3200 रुपये तय किया गया है। इसका अर्थ है कि कंपनी इससे अधिक शेयर नहीं खरीदेगी।

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इसके शेयर की कीमत सोमवार को 12.30 बजे एनएसई पर 2918 रुपये के आसपास है। ऐसे में कई लोगों को सवाल उठेगा कि कंपनी अपने ही शेयरों को अधिक मूल्य पर वापस खरीद क्यों रही है। बायबैक क्या है? इससे कंपनी को मिलने वाले लाभ आपको ऐसे कुछ प्रश्न मन में आएंगे। हम जवाब देने की कोशिश करेंगे।

क्या शेयर बायबैक होता है?

जब शेयर इश्यू करने वाली कंपनी अपने ही शेयर वापस खरीदने लगती है, इसे शेयर बायबैक कहा जाता है। कंपनियां खुले बाजार से शेयर वापस खरीदती हैं, जैसा कि इस मामले में हो रहा है। वह अक्सर बड़े शेयरधारकों से सीधे विरोध करती है। L&T अभी बाजार से शेयर खरीद रही है। एलएंडटी इस खरीददारी को टेंडर ऑफर रूट के माध्यम से कर रही है। इसमें शेयरधारकों को एक फिक्स मूल्य दिया जाता है जिसे कंपनी खरीदती है; इससे अधिक पर नहीं।

बायबैक क्यों लाया जाता है?

विभिन्न परिस्थितियों से कंपनियां ऐसा करती हैं। शेयरों पर अर्निंग या रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE) को बढ़ाना इनमें से एक महत्वपूर्ण कारण है। इससे कंपनी के प्रति शेयर आय में सुधार भी होता है। कैसे होता है? यह करने से पहले प्रति शेयर आय (EPS) का मूल्य जानना महत्वपूर्ण है। अगर 1 करोड़ रुपये की सालाना कमाई और 1 लाख रुपये के शेयर हैं इसलिए प्रति शेयर कंपनी 100 रुपये कमाएगी। अब, अगर कंपनी 10,000 शेयर वापस खरीद ले तो आउटस्टेंडिंग शेयरों की संख्या 90,000 होगी। लेकिन आय सिर्फ एक करोड़ रुपये रही। अब प्रति शेयर कमाई 111 रुपये से थोड़ा अधिक हो गई।

अतिरिक्त कारण

अगर एक संस्था को लगता है कि उसने मार्केट में आवश्यक से अधिक शेयरों को छोड़ दिया है। कंपनी शेयरों को कंसोलिडेट करने के लिए भी बायबैक करती है, क्योंकि कम आउटस्टेंडिंग शेयरों से भी उसे भविष्य में प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक धन मिल सकता है। डिविडेंड का भुगतान इसके लिए एक और कारण है। शेयरधारक कंपनी से निरंतर लाभ की अपेक्षा करते हैं। इन शेयरधारकों को मुनाफे में हिस्सा देना होगा। अगर कंपनी को लगता है कि इतने शेयरधारकों की आवश्यकता नहीं है और वह सिर्फ डिविडेंड का भुगतान कर रही है, तो वह शेयरों को बायबैक करने लगती है ताकि उसकी बैलेंस शीट में से अतिरिक्त बोझ को कम किया जा सके।

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