logo

Salary Account vs Savings Account: क्या है अंतर? जानें ब्याज दर और मिनिमम बैलेंस की डिटेल

सैलरी अकाउंट और सेविंग्स अकाउंट में क्या है अंतर? जानें ब्याज दर, मिनिमम बैलेंस के नियम और कौनसा है बेहतर विकल्प। पढ़ें पूरी जानकारी!

 
Salary Account vs Savings Account: क्या है अंतर? जानें ब्याज दर और मिनिमम बैलेंस की डिटेल
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Salary Account vs Savings Account: बहुत से लोग अपनी वित्तीय यात्रा की शुरुआत सेविंग्स अकाउंट से करते हैं, जबकि नौकरी पाने के बाद सबसे पहला कदम सैलरी अकाउंट खोलना होता है। आमतौर पर बड़ी कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए सैलरी अकाउंट बैंकों में खुलवाती हैं। यह अकाउंट खासतौर पर वेतन जमा करने के लिए होता है, जबकि सेविंग्स अकाउंट में लोग अपनी बचत सुरक्षित रखते हैं।

उद्देश्य में अंतर

सैलरी अकाउंट:
यह अकाउंट मुख्य रूप से कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए खोला जाता है। कंपनियों के कुछ बैंकों के साथ समझौते होते हैं, जिसके तहत सभी कर्मचारियों के सैलरी अकाउंट खोले जाते हैं।

सेविंग्स अकाउंट:
यह खाता किसी भी व्यक्ति द्वारा अपने पैसे को सुरक्षित रखने और बचत करने के उद्देश्य से खोला जाता है। इसमें व्यक्ति नियमित रूप से पैसा जमा कर सकता है और जरूरत के समय निकाल सकता है।

न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता

Long Term Investment: लंबी अवधि में संपत्ति कैसे बढ़ाएं? जानें ये 7 मास्टर टिप्स

सैलरी अकाउंट:
सैलरी अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की कोई शर्त नहीं होती है। कर्मचारी अपनी पूरी सैलरी निकाल सकता है, बिना किसी पेनल्टी के।

सेविंग्स अकाउंट:
इसके विपरीत, ज्यादातर सेविंग्स अकाउंट में एक न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना अनिवार्य होता है। यदि यह बैलेंस निर्धारित सीमा से कम हो जाता है, तो बैंक पेनल्टी लगा सकता है।

अकाउंट का कन्वर्जन

सैलरी अकाउंट से सेविंग्स अकाउंट:
यदि सैलरी अकाउंट में लगातार 3 महीने तक सैलरी नहीं आती है, तो यह अपने-आप सेविंग्स अकाउंट में बदल जाता है। इसके बाद खाताधारक को बैंक की शर्तों के अनुसार न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना होता है।

सेविंग्स अकाउंट से सैलरी अकाउंट:
यदि किसी व्यक्ति का सेविंग्स अकाउंट है और वह किसी ऐसी कंपनी में नौकरी करता है जिसका उस बैंक से टाई-अप है, तो वह अपने सेविंग्स अकाउंट को सैलरी अकाउंट में परिवर्तित कर सकता है।

खाता खोलना और ब्याज दर

सैलरी अकाउंट:
यह खाता कंपनी और बैंक के बीच समझौते के आधार पर खोला जाता है। इसमें कर्मचारी को वेतन सीधे जमा किया जाता है।

सेविंग्स अकाउंट:
इसे कोई भी व्यक्ति स्वयं बैंक में जाकर खोल सकता है। यह पूरी तरह से व्यक्तिगत बचत के लिए होता है।

ब्याज दर:
सैलरी और सेविंग्स अकाउंट, दोनों पर बैंक ब्याज प्रदान करते हैं। अधिकतर बैंकों में इन दोनों अकाउंट्स पर ब्याज दर समान होती है, लेकिन कुछ बैंक ग्राहकों की जरूरत के अनुसार ब्याज दर में बदलाव भी करते हैं।

सैलरी अकाउंट मुख्य रूप से वेतन प्राप्त करने के लिए होता है, जिसमें न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता नहीं होती। वहीं, सेविंग्स अकाउंट का उद्देश्य धन बचत करना होता है, जिसमें मिनिमम बैलेंस का ख्याल रखना पड़ता है। दोनों खातों के अपने-अपने लाभ हैं, और समझदारी से इनका चुनाव करना वित्तीय प्रबंधन को आसान बनाता है।