RBI ने जारी किए सभी बैंकों को सख्त आदेश! लोन लेने वालों को मिलेगा ये बड़ा फायदा
RBI guidelines for bank loan : भारतीय रिजर्व बैंक देश के बैंकिंग क्षेत्र की संरचना पर नज़र रखता है। RBI उपभोक्ताओं और बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के अधिकारों को परिभाषित और संरक्षित करता है। कई बार बैंकिंग क्षेत्र उपभोक्ताओं के अधिकारों की अनदेखी करता है, ऐसी स्थिति में RBI (RBI rules) उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करता है। लोन लेने वालों के हित में RBI ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को बड़ा आदेश दिया है।
Haryana Update, RBI guidelines for bank loan : जब लोग लोन लेने के लिए बैंक जाते हैं तो बैंक कई तरह के लोन पर दूसरे चार्ज भी लगाते हैं। ग्राहक लोन लेते समय अपनी जरूरतों को ध्यान में रखता है और उन चार्ज (RBI on loan charges) पर ध्यान नहीं देता है। ग्राहक लोन चुकाते समय भी बैंक द्वारा लगाए गए चार्ज का आकलन नहीं कर पाता है। क्योंकि कई बार लोन लेने के बाद उनके पास सारी डिटेल नहीं होती है। इसी के चलते भारतीय रिजर्व बैंक ने लोन लेने वालों के पक्ष में बड़ा आदेश जारी किया है।
ग्राहकों को मिलेगी ये जानकारी-
अगर आप पर कोई लोन चल रहा है या आप लोन लेने की सोच रहे हैं तो आपके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से अच्छी खबर है। बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थान लोन पर लगने वाले किसी भी तरह के शुल्क और चार्ज को नहीं छिपा पाएंगे। बैंकों की तरफ से उपभोक्ताओं को सभी शुल्क और चार्ज के बारे में जानकारी देनी होगी। इससे लोन लेने वाले करोड़ों लोगों को फायदा होगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI update rules) ने सभी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों को आदेश दिया है। RBI के आदेश के मुताबिक यह फैसला 1 अक्टूबर से लागू हो गया है। इसके तहत उपभोक्ताओं को रिटेल और एमएसएमई लोन पर ब्याज और सभी चार्ज के बारे में बताना होगा। RBI (RBI new rules) की तरफ से फैक्ट स्टेटमेंट रूल (KFS) बनाया गया है। आइए जानते हैं क्या है फैक्ट स्टेटमेंट रूल।
RBI के इस फैसले के पीछे ये हैं वजहें-
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से फैक्ट स्टेटमेंट रूल बनाया गया है। इसके मुताबिक RBI लोन को और सुसंगत बनाना चाहता है। RBI के अनुसार, RBI के अंतर्गत आने वाले सभी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय साइटों (RBI update) द्वारा दी जाने वाली सेवाओं को लेकर पारदर्शिता बढ़ाई जा सकेगी। इससे बैंकों और उपभोक्ताओं के बीच जानकारी की कमी दूर हो सकेगी।
उधारकर्ताओं को होगा फायदा
लोग अक्सर मजबूरी में लोन लेते हैं। इसलिए वे जल्दबाजी में लोन लेते हैं और बैंकिंग चार्ज पर ध्यान नहीं देते। इस फैसले से लोन लेने वाले के सामने लोन की पूरी जानकारी होगी, जिससे वह सोच-समझकर वित्तीय फैसला ले सकेगा। RBI के आदेश (RBI loan rules) सभी तरह के रिटेल और एमएसएमई लोन पर लागू होंगे।
क्या है फैक्ट स्टेटमेंट रूल (KFS)?
अगर फैक्ट स्टेटमेंट रूल को सरल भाषा में बोला जाए तो यह लोन एग्रीमेंट के मुख्य बिंदुओं के बारे में विस्तृत जानकारी है। इसे एक फ्रेमवर्क फॉर्मेट में सरल तरीके से मुहैया कराया जाएगा। RBI ने सभी बैंकों को ये निर्देश जारी किए हैं। ये नियम सभी नए लोन पर लागू होंगे। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, आरबीआई के अधीन संस्थाओं की ओर से तीसरे पक्ष सेवा प्रदाता द्वारा उधार लेने वाली इकाइयों से एकत्र किए जाने वाले बीमा और कानूनी शुल्क जैसे शुल्क भी वार्षिक प्रतिशत दर का हिस्सा होंगे। इसका खुलासा अलग से करना होगा।
केएफएस में इसका उल्लेख नहीं है-
दूसरी ओर, क्रेडिट कार्ड का एक शुल्क ऐसा है जिसका उल्लेख केएफएस में नहीं है। क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने वाले उधारकर्ता की स्पष्ट सहमति के बिना कार्ड की समयावधि के दौरान ऐसा कोई शुल्क नहीं लिया जा सकता है।