Property Rule: अगर प्लॉट खरीदते समय धोखाधड़ी हो गई, तो तुरंत उठाएं ये कदम
अगर प्लॉट खरीदते वक्त धोखाधड़ी हो जाए, तो तुरंत इन कदमों को उठाएं। सबसे पहले FIR दर्ज कराएं, फिर वकील से सलाह लें और सारे दस्तावेज़ चेक करें। उपभोक्ता फोरम में शिकायत करें और भूमि प्राधिकरण को सूचित करें। इन कदमों से आप धोखाधड़ी का सामना सही तरीके से कर सकते हैं और अपनी संपत्ति को बचा सकते हैं। नीचे जानें पूरी प्रक्रिया।

Haryana update : अगर आपने भी किसी से प्लॉट खरीदा था और धोखाधड़ी का शिकार हो गए हैं, तो ऐसी स्थिति में आपको क्या कदम उठाने चाहिए, ये जानने के लिए इस खबर को पढ़ें। एक्सपर्ट की राय से समझिए, आप क्या कर सकते हैं।
सवाल:
मैंने 2008 में रजपुरा में एक डिवेलपर से प्लॉट खरीदा था, और उस समय मैंने लगभग 6 लाख 19 हजार रुपये अदा किए थे। पजेशन के समय 5% और रकम देनी थी। जून 2013 में डिवेलपर ने मुझे एक नया और बड़ा प्लॉट (स्कीम के फेज 1 का) ऑफर किया। मैंने शुरुआत में इसे स्वीकार किया, लेकिन 9 जुलाई 2013 को मैंने इस ऑफर को ईमेल भेजकर कैंसल कर दिया। बाद में जब मैंने अपने प्लॉट के बारे में पूछा, तो मुझे पता चला कि डिवेलपर ने मेरा प्लॉट ज्यादा पैसे लेकर किसी और को बेच दिया है। मेरे पास उस प्लॉट का बायर अग्रीमेंट और ऑरिजिनल रसीद भी है, फिर भी वो बिना मुझे बताए इसे बेच दिया गया। जब मैंने अपना पैसा ब्याज के साथ वापस मांगा, तो न तो ब्याज मिला और न ही मूलधन। चूंकि मैं सरकारी मुलाजिम हूं, मैं कोर्ट में नहीं जाना चाहता। अब मुझे क्या करना चाहिए?
जवाब:
अगर आपने जून में किसी नए प्लॉट के लिए सहमति दी थी, तो डिवेलपर के पास आपके पहले वाले प्लॉट को बेचने का अधिकार हो सकता है, खासतौर पर जब आपने लिखित रूप में नए ऑफर को स्वीकार किया था। हालांकि, आपको उस नए ऑफर की पूरी जांच करनी चाहिए थी और पुराने ऑफर को कैंसल करने से पहले उस पर ध्यान देना चाहिए था। अगर आपको यह जानकारी है कि आपका प्लॉट 22 जुलाई 2013 को बेचा गया था, तो आप डिवेलपर से यह मांग कर सकते हैं कि या तो आपको वही प्लॉट दिया जाए या फिर आपका पैसा ब्याज सहित वापस किया जाए। अगर डिवेलपर आपको प्लॉट नहीं दे सकता, तो उसे ब्याज के साथ पैसा लौटाना पड़ेगा। अगर आप इसे कोर्ट में नहीं ले जाना चाहते, तो कंजयूमर कोर्ट में आप अपना केस रख सकते हैं और अपने प्रतिनिधि के जरिए कोर्ट में सुनवाई करा सकते हैं।
सवाल:
हमने एक बिल्डर के साथ एक करार किया था। इस करार में यह तय हुआ था कि वह हमें पैसे देने के बदले एक फ्लैट देगा। हालांकि, बिल्डर ने हमें फ्लैट तो दिया, लेकिन पैसे नहीं दिए। जिस जमीन पर फ्लैट बना है, उसकी रजिस्ट्री उसने अपने नाम करा ली और मुझे पावर ऑफ अटॉर्नी दे दी। अब तीन महीने हो गए, और फ्लैट की हालत खराब होने लगी है। ऐसा ही वह और लोगों के साथ भी कर चुका है, लेकिन गरीब लोग उसकी बात नहीं कर सकते। क्या हम कंजयूमर कोर्ट से कुछ मदद पा सकते हैं?
जवाब:
इस मामले में आपके पास दो मुख्य शिकायतें हैं। पहली यह कि बिल्डर ने जो करार किया था, उसके अनुसार आपको पैसे देने थे, लेकिन उसने यह नहीं किया। दूसरी शिकायत यह है कि उसने घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया है, जिससे फ्लैट जल्दी खराब हो गया है। सबसे पहले, आपको अपने करार को ध्यान से देखना चाहिए। यदि आपने फ्लैट के पैसे दिए हैं और जमीन के पैसे नहीं दिए हैं, तो रजिस्ट्री आपके नाम पर नहीं होनी चाहिए थी। इस स्थिति में, आप कंजयूमर कोर्ट में जा सकते हैं। दूसरी बात, अगर आपके करार में यह लिखा गया था कि फ्लैट बनाने में कौन सा सामग्री इस्तेमाल होगा, और बिल्डर ने ऐसा नहीं किया, तो आप कंजयूमर कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं। कोर्ट एक्सपर्ट की राय ले सकती है और उसके बाद फैसला सुनाएगी।
निष्कर्ष:
अगर आपको भी प्लॉट या फ्लैट से जुड़ी कोई समस्या हो रही है, तो अपनी स्थिति का सही आकलन करें और सभी दस्तावेजों की जांच करें। अगर आपको लगता है कि आपके साथ धोखाधड़ी हो रही है, तो कंजयूमर कोर्ट में शिकायत करना एक उचित कदम हो सकता है।