Property News : आख़िर क्या है जम़ीन खरीदना व पटटे पर लेना, जानें पूरी खब़र
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Haryana Update : लीज़ में संपत्ति के अधिकार आंशिक रूप से पट्टेदार होते हैं, यानी लीज लेने वाले के पास होते हैं। वह इस संपत्ति पर स्थानीय प्राधिकरण की अनुमति से कुछ भी कर सकता है, जिसमें संपत्ति के असली मालिक का कोई दखल नहीं होगा।
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लीज आम तौर पर 30 या 99 साल की होती है और अधिकांश कमर्शियल संपत्ति के लिए उपयोग की जाती है। अब जब आप लीज़ का मतलब समझ गए हैं, तो हम जानते हैं कि यह खरीदने से कैसे अलग है और आप दोनों में से कौन सा चुनना बेहतर होगा। यहां हम कमर्शियल संपत्ति के संदर्भ में चर्चा करेंगे।
खरीद या पट्टा
प्रॉपर्टी खरीदने वाले का पूरा मालिकाना हक होता है। यह संपत्ति खरीदार या उसके परिवार के पास रहेगी जब तक वह उसे किसी और को नहीं बेच देता। लीज़ के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। प्रॉपर्टी को लीज पर देने वाले का अधिकार एक निश्चित अवधि तक ही रह सकता है। बाद में संपत्ति वापस उसके मूल मालिक के पास जाती है। उस संपत्ति को पट्टेदार को बेचना बेशक मूल मालिक का अधिकार है अगर वे चाहें। दूसरा फर्क मौद्रिक है। पट्टे पर ली जाने वाली संपत्ति खरीदने वाली संपत्ति से महंगी होती है। यही कारण है कि बिल्डर्स अपार्टमेंट बनाने के लिए अधिकांश जमीन को लीज़ पर ही खरीदते हैं। इससे उनकी लागत कम होती है।
कैसे खरीदे प्रोपर्टी
अब सवाल है कि संपत्ति खरीदने और लीज़ पर देने का समय। इसका सीधा सा जवाब यह है कि अगर आपको संपत्ति बहुत लंबे समय तक अपने पास चाहिए और आप चाहते हैं कि वह आगे अपने वंश को विरासत के तौर पर मिल जाए, तो आपको उसे खरीदना चाहिए। इसमें बहुत पैसा खर्च होगा, लेकिन अंततः वह संपत्ति आपकी और आपके उत्तराधिकारी की रहेगी, जब तक कि आप उसे बाद में नहीं बेच देंगे। वहीं, अगर आपको संपत्ति हमेशा नहीं चाहिए। आपका इरादा उस प्रॉपर्टी को अपनी विरासत बनाने का नहीं है और आपको बस कमर्शियल कारणों से 30-50 साल के लिए कोई प्रॉपर्टी चाहिए तो आप लीज़ कर सकते हैं। यह खरीदने से ज्यादा फायदेमंद साबित होगा।