Property Court Rules : प्रॉपर्टी का मालिक बनने के लिए अब करना पड़ेगा ये काम
Property Court Rules : प्रॉपर्टी खरीदने वालों के लिए यह अपडेट बहुत काम आएगी अगर आप भी प्रॉपर्टी खरीदने वाले हैं या प्रॉपर्टी खरीदने की सोच रहे हैं या भविष्य में कभी प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं तो यह खबर आपको जरूर जाननी चाहिए आज हम आपको बताएंगे कुछ खास बातें, प्रॉपर्टी का मालिकाना हक लेने के लिए इस डॉक्यूमेंट की सबसे ज्यादा जरूरत होती है नीचे जानिए डिटेल में

Haryana Update : Property के स्वामित्व को साबित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है। एक विशेष Documents की कमी से स्वामित्व का दावा खारिज हो सकता है। यह Documents खास महत्व रखता है और इसके बिना कानूनी समस्या उत्पन्न हो सकती है। हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने इस Documents के महत्व पर एक निर्णय सुनाया है, जो किसी भी Property के मालिकाना हक को साबित करने में सहायक हो सकता है
क्या है मामला -
पिछले महीने Supreme Court ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। इसके अनुसार, अगर कोई व्यक्ति जमीन या अन्य अचल Property बेचता है, तो उसे Transfer Of Property Act 1882 की धारा 54 के तहत पंजीकरण प्रक्रिया के तहत दस्तावेज तैयार करना जरूरी होगा।
खासतौर पर अगर Property का मूल्य 100 रुपये या उससे ज्यादा है। बिना पंजीकरण के Property की बिक्री को कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी जाएगी। यह फैसला एक पुराने कानूनी प्रावधान पर आधारित है, जो Property के हस्तांतरण से जुड़ा है।
क्या होती है Power Of Artani की भूमिका
Supreme Court ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए एक खरीददार के पक्ष में टिप्पणी की। एक अन्य व्यक्ति ने Property के हिस्से पर कब्जे का दावा किया, लेकिन उनका दावा बिना सही Documents के था।
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यह दावा एक गैर-पंजीकृत समझौते, रजिस्टर्ड 'एग्रीमेंट टू सेल' और सामान्य Power Of Artani अधिकार पत्र पर आधारित था, जिसे Court ने नकार दिया। कई बार लोग बिचौलियों या एजेंट्स के जरिए बिना सही कानूनी Documents के Property खरीद लेते हैं। Court का यह निर्णय ऐसे मामलों के लिए एक अहम उदाहरण बनेगा।
कब होगी अगली सुनवाई
Supreme Court में एक याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें चुनाव आयोग के अधिकारियों की नियुक्ति से जुड़ी प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी। Court ने कहा कि यह मामला अदालत और संसद के कानून बनाने के अधिकार के बीच संबंध पर आधारित है।
जस्टिस सूर्यकांत की अगुआई वाली पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 4 फरवरी को तय की है, ताकि यह फैसला किया जा सके कि किसकी राय अधिक महत्वपूर्ण है।