logo

High Court ने बैंकों को लगाई फटकार! खराब CIBIL वालों को मिलेगी राहत

Hight Court on CIBIL Score :सिबिल स्कोर दरअसल एक तरह का क्रेडिट स्कोर होता है। यह आपकी क्रेडिट हिस्ट्री पर आधारित होता है। अगर आपका सिबिल स्कोर अच्छा है तो आपको जल्दी लोन मिल जाता है। सिबिल स्कोर की अधिकतम सीमा 900 अंक है। जब आप अपने लोन की किस्तें समय पर चुकाते हैं तो आपका सिबिल स्कोर अच्छा रहता है।
 
Hight Court on CIBIL Score
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Hight Court on CIBIL Score (Haryana Update) : सिबिल स्कोर दरअसल एक तरह का क्रेडिट स्कोर होता है। यह आपकी क्रेडिट हिस्ट्री पर आधारित होता है। अगर आपका सिबिल स्कोर अच्छा है तो आपको जल्दी लोन मिल जाता है। सिबिल स्कोर की अधिकतम सीमा 900 अंक है। जब आप अपने लोन की किस्तें समय पर चुकाते हैं तो आपका सिबिल स्कोर अच्छा रहता है। अगर आप अपने होम लोन, कार लोन या गोल्ड लोन की किस्तें समय पर चुकाते हैं तो इसका आपके सिबिल स्कोर पर सकारात्मक असर पड़ता है और यह बढ़ता है। जब भी आप लोन लेने बैंक जाते हैं तो सबसे पहले आपका सिबिल स्कोर चेक किया जाता है।

अगर आप अपने लोन की ईएमआई समय पर नहीं चुकाते या लोन चुकाने से मना करते हैं तो आपका सिबिल स्कोर गिर जाता है। 600 से कम सिबिल स्कोर खराब माना जाता है। 700 से ऊपर का स्कोर अच्छा और 800 से ऊपर का स्कोर बहुत अच्छा माना जाता है। कई बार ऐसा होता है कि आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है और लोन लेने वाले चाहकर भी अपनी किस्तें समय पर नहीं चुका पाते। इसी संदर्भ में हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। इस फैसले से उन लोगों को बड़ी राहत मिलेगी जिनका सिबिल स्कोर कम है।

हाईकोर्ट ने दिया यह फैसला-
हाईकोर्ट ने एजुकेशन लोन के मामले में अहम फैसला लिया है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि एजुकेशन लोन के लिए आवेदन करते समय अगर सिबिल स्कोर कम है तो इसे रिजेक्शन का आधार नहीं बनाया जा सकता। हाईकोर्ट ने बैंकों को चेतावनी दी है कि सिबिल स्कोर कम होने पर एजुकेशन लोन न दें। कोर्ट ने कहा कि इस वजह से किसी का एजुकेशन लोन रिजेक्ट नहीं किया जा सकता। जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने बैंकों से कहा कि उन्हें एजुकेशन लोन आवेदनों पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

जनहित याचिका पर सुनवाई-
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक छात्र द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि छात्र देश के भविष्य के निर्माता हैं और उन्हें भविष्य में देश का नेतृत्व करना है। शिक्षा में बाधा डालना गलत है, जो किसी भी छात्र का मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने एजुकेशन लोन से जुड़े एक मामले में कहा कि सिर्फ सिबिल स्कोर कम होने पर एजुकेशन लोन रिजेक्ट करना उचित नहीं है। उन्होंने बैंकों को यह भी याद दिलाया कि शिक्षा में निवेश केवल एक छात्र ही नहीं बल्कि पूरे देश के भविष्य के निर्माण का माध्यम है।

यह फैसला उन छात्रों के लिए राहत की बात है जो आर्थिक कारणों से उच्च शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं। कोर्ट का यह रुख दर्शाता है कि छात्रों को उनके सिबिल स्कोर के कारण शिक्षा के अवसरों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। उम्मीद है कि इस कदम से छात्रों को उनकी शिक्षा के लिए आसानी से ऋण मिलेगा और बैंक भी छात्रों की शिक्षा में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए प्रेरित होंगे।

इस मामले में हाईकोर्ट का फैसला आया है-
एक छात्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसने दो ऋण लिए थे। पहले ऋण में 17667 रुपये बाकी थे, जबकि दूसरे ऋण को बैंकों ने ओवरड्यू कर दिया था। इसके कारण छात्र का सिबिल स्कोर कम हो गया था। छात्र ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि अगर उसे जल्द ही पैसे नहीं मिले तो उसकी स्थिति और खराब हो जाएगी। इस पर हाईकोर्ट ने छात्र के पक्ष में फैसला सुनाया।