1000 में से सिर्फ 4 लोग ही देते हैं इनकम टैक्स, सरकार के पास आता है कितना पैसा और कहां से?
2025 में, डायरेक्ट टैक्स कोड में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे जो करदाताओं को प्रभावित करेंगे। ये बदलाव टैक्स संरचनाओं को सरल बनाने, अनुपालन बोझ को कम करने और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। जबकि कुछ छूटों में संशोधन हो सकता है, सरकार नए नियमों को पेश कर रही है जो व्यक्तिगत करदाताओं को राहत दे सकते हैं। नई प्रावधानों के बारे में अपडेट रहें और समझें कि ये आपके टैक्स फाइलिंग और दायित्वों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

haryana update, बजट और आयकर: भारत में टैक्स चुकाने वालों की स्थिति और सरकार की कमाई का स्रोत हाल ही में चर्चा हो रही है कि वित्त मंत्री आयकर दरों में कटौती या कर स्लैब बढ़ा सकती हैं। लेकिन यह कहना कि भारत में केवल एक छोटा हिस्सा ही टैक्स चुकाता है, पूरी तरह से सही नहीं है। वास्तव में, अधिकतर भारतीयों को किसी न किसी रूप में टैक्स देना पड़ता है। महालेखा नियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में केंद्र सरकार ने सकल कर राजस्व के रूप में 34.6 ट्रिलियन रुपये अर्जित किए। यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि भले ही टैक्स चुकाने वाले नागरिकों की संख्या सीमित हो, सरकार को कुल राजस्व के बड़े हिस्से की प्राप्ति विभिन्न प्रकार के करों से होती है।
भारत में कितने लोग आयकर चुकाते हैं?
भारत में कुल 62 लाख व्यक्तिगत करदाता हैं, जिन्होंने 4.9 ट्रिलियन रुपये का आयकर चुकाया, जो व्यक्तियों द्वारा चुकाए गए कुल आयकर का 86% से अधिक हिस्सा है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में भारत की जनसंख्या 1.42 अरब थी, जिनमें से केवल 62 लाख लोगों ने व्यक्तिगत आयकर चुकाया। इसका मतलब यह है कि भारत में हर 1,000 में से केवल 4 लोग ही आयकर का बड़ा हिस्सा चुकाते हैं। यह स्थिति तब और भी दिलचस्प हो जाती है जब हम यह देखते हैं कि कई संपन्न लोग, जिनके पास सभी सुविधाएं हैं, जैसे की कारें, वे इनकम टैक्स का भुगतान नहीं करते हैं।
कंपनियों और व्यक्तिगत आयकर से सरकार को राजस्व
सकल कर राजस्व का 55% हिस्सा सरकार को व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट आयकर से प्राप्त होता है। हालांकि, डायरेक्ट या इनडायरेक्ट टैक्स से केवल 44.5% राजस्व मिलता है, लेकिन व्यक्तिगत आयकर और कॉर्पोरेट आयकर ही सरकार के प्रमुख स्रोत हैं। 2023-24 के दौरान, व्यक्तिगत आयकर ने सकल कर राजस्व का लगभग 29% योगदान दिया, लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकार का अधिकांश राजस्व कारपोरेट आयकर से प्राप्त होता है।
सकल कर राजस्व क्या है?
सकल कर राजस्व वह कुल राशि है जो केंद्र सरकार विभिन्न करों के माध्यम से एकत्र करती है। इसमें व्यक्तिगत आयकर, कॉर्पोरेट आयकर, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क शामिल होते हैं। इन सभी करों के माध्यम से सरकार को राजस्व प्राप्त होता है, जो देश की आर्थिक स्थिति को संचालित करने में मदद करता है।
2023-24 में केंद्र सरकार ने विभिन्न करों से 34.6 ट्रिलियन रुपये कमाए, जिसमें से 10.1 ट्रिलियन रुपये व्यक्तिगत आयकर से प्राप्त हुए। आयकर सकल कर राजस्व का लगभग 29% था, जबकि कॉर्पोरेट आयकर से 9.1 ट्रिलियन रुपये या सकल कर राजस्व का 26% प्राप्त हुआ। शेष 44.5% राजस्व जीएसटी, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क जैसे अप्रत्यक्ष करों से प्राप्त हुआ।
अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) और उनका प्रभाव
अप्रत्यक्ष कर वे कर होते हैं जो किसी उत्पाद या सेवा की कीमत पर लगाए जाते हैं। किसी व्यवसाय द्वारा उत्पादित वस्तु या बेची जाने वाली सेवा पर यह कर वसूला जाता है, और अंत में इस कर का भुगतान अंतिम उपभोक्ता द्वारा किया जाता है। इस प्रकार, भले ही उपभोक्ताओं को इन करों का एहसास न हो, लेकिन वे अप्रत्यक्ष रूप से टैक्स का भुगतान करते हैं।
टैक्स का भुगतान कौन करता है?
सितंबर 2023 में जारी आयकर विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 के मूल्यांकन वर्ष (वित्तीय वर्ष 2021-22) में लगभग 685 लाख आयकर रिटर्न दाखिल किए गए थे। इनमें से 421 लाख (61.5%) ने कोई कर नहीं चुकाया, जबकि 202 लाख (29.5%) ने ₹1,50,000 तक का आयकर चुकाया। औसतन, इन टैक्सपेयर्स ने ₹38,959 का भुगतान किया। हालांकि यह राशि 5.7 ट्रिलियन रुपये के कुल आयकर का केवल 13.8% है, फिर भी यह दर्शाता है कि अधिकांश आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों ने बहुत कम टैक्स चुकाया।
इससे साफ है कि आयकर चुकाने वाले नागरिकों की संख्या भारत में बहुत सीमित है, लेकिन सरकार के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा अप्रत्यक्ष करों से आता है, जिनका भुगतान आम लोग बिना महसूस किए करते हैं।