नए डायरेक्ट टैक्स कोड 2025 में बदलाव, टैक्सपेयर्स के लिए क्या है नया?
2025 में, डायरेक्ट टैक्स कोड में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे जो करदाताओं को प्रभावित करेंगे। ये बदलाव टैक्स संरचनाओं को सरल बनाने, अनुपालन बोझ को कम करने और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। जबकि कुछ छूटों में संशोधन हो सकता है, सरकार नए नियमों को पेश कर रही है जो व्यक्तिगत करदाताओं को राहत दे सकते हैं। नई प्रावधानों के बारे में अपडेट रहें और समझें कि ये आपके टैक्स फाइलिंग और दायित्वों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

Haryana update, नए डायरेक्ट टैक्स कोड 2025: महत्वपूर्ण बदलावों की जानकारी इनकम टैक्स को लेकर जटिलताएं आम लोगों के लिए परेशानी का कारण बनती रही हैं। इन परेशानियों को दूर करने के लिए आयकर अधिनियम 1961 में बदलाव की योजना बनाई जा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डायरेक्ट टैक्स कोड 2025 को सरल और स्पष्ट बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस कोड के तहत कई महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे, जो आम लोगों के लिए टैक्स को और अधिक समझने योग्य बनाएंगे। इन बदलावों में से कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
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टैक्सपेयर्स की पहचान सरल होगी:
टैक्सपेयर्स को अब केवल "निवासी" या "गैर-निवासी" के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। इससे भ्रामक शब्दों जैसे आरओआर, आरएनओआर, और एनआर को हटाया जाएगा। -
वर्ष को लेकर भ्रम समाप्त होगा:
कोड में 'कर निर्धारण वर्ष' और 'पिछला वर्ष' जैसे शब्दों को हटा दिया जाएगा, और सिर्फ वित्तीय वर्ष शब्द का उपयोग किया जाएगा, जिससे और अधिक स्पष्टता होगी। -
कैपिटल गेन पर टैक्स:
कैपिटल गेन (अल्पकालिक और दीर्घकालिक) को अब नियमित आय माना जाएगा और उन पर टैक्स लगाया जाएगा। इसमें टैक्स दरों में बदलाव हो सकता है, जैसे कि दीर्घकालिक लाभ पर 12.5% और अल्पकालिक लाभ पर 20% कर। -
वेतन से आय को अब 'रोजगार से आय' कहा जाएगा:
वेतन से प्राप्त आय को अब 'रोजगार से आय' के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, और अन्य स्रोतों से आय का नाम बदलकर 'बाकी स्रोतों से आय' रखा जाएगा। -
टैक्स ऑडिट में बदलाव:
चार्टर्ड एकाउंटेंट्स (CA) के अलावा, सीएस और सीएमए को भी टैक्स ऑडिट करने की अनुमति मिल सकती है, जिससे टैक्स ऑडिट की प्रक्रिया सरल और अधिक सुलभ होगी। -
कंपनियों के लिए समान कर दर:
घरेलू और विदेशी कंपनियों के लिए अब एक ही कर दर लागू होगी, जिससे अनुपालन आसान होगा और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। -
सभी प्रकार की आय पर टीडीएस और टीसीएस लागू होगा:
नई प्रणाली में, लगभग सभी प्रकार की आय पर स्रोत से कर कटौती (TDS) और स्रोत से कर संग्रह (TCS) लागू किया जाएगा। इससे कर चोरी में कमी आएगी और टैक्सपेयर्स को नियमित कर भुगतान की सुविधा मिलेगी। ई-कॉमर्स के लिए टीडीएस दर भी घटाकर 0.1% की जाएगी। -
कटौतियों और छूट में बदलाव:
अधिकांश कटौती और छूट को हटा दिया जाएगा, जिससे टैक्स रिटर्न दाखिल करना आसान हो जाएगा। हालांकि, वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए मानक कटौती में 50% की वृद्धि की गई है, जो ₹75,000 हो गई है।
प्रत्यक्ष कर संहिता 2025 का उद्देश्य:
- कर नियमों को सरल बनाना और समझने में आसान बनाना।
- टैक्सपेयर्स की संख्या को बढ़ाकर 1% से 7.5% करना।
- टैक्स विनियमों का पालन करना आसान बनाना।
- स्पष्ट टैक्स कानूनों के माध्यम से कानूनी विवादों को कम करना।
इन बदलावों से आम आदमी को टैक्स से जुड़ी जटिलताओं से निजात मिलेगी, और टैक्स व्यवस्था अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बन सकेगी।