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Income Taxpayer: हर तिमाही यह कागज चेक करें, ITR भरने में होगी आसानी

अगर आप इनकम टैक्सपेयर हैं, तो ITR (इनकम टैक्स रिटर्न) भरने में आसानी के लिए हर तिमाही कुछ महत्वपूर्ण कागजात चेक करना जरूरी है। इनमें आपका फॉर्म 16, बैंक स्टेटमेंट, निवेश प्रमाण पत्र, और TDS विवरण शामिल हैं। इन्हें सही से जांचें ताकि आपको किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो। यह सभी दस्तावेज़ आपके टैक्स रिटर्न को सही तरीके से दाखिल करने में मदद करेंगे।

 
Income Taxpayer: हर तिमाही यह कागज चेक करें, ITR भरने में होगी आसानी
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Haryana update : यदि आप आयकरदाता हैं, तो एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) की तिमाही जांच करना बेहद जरूरी है। यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो आपके वित्तीय लेनदेन के बारे में पूरी जानकारी देता है और आपको यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय सभी विवरण सही हैं। कई बार AIS में दर्ज गलत जानकारी के कारण करदाताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, और इसे सुधारने में समय भी लगता है। इसलिए, हर तिमाही इस जानकारी की जांच करें ताकि ITR दाखिल करने से पहले किसी भी त्रुटि को समय रहते सुधारने का अवसर मिल सके। AIS की जांच से आपको यह सुनिश्चित करने का मौका मिलता है कि आपके द्वारा किए गए वित्तीय लेनदेन सही तरीके से दर्ज हुए हैं, और आपको आयकर रिटर्न में कोई परेशानी नहीं होगी।

AIS में क्या जानकारी होती है?

एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में उस वित्तीय वर्ष के दौरान किए गए सभी वित्तीय लेनदेन का विवरण होता है। इसमें आमतौर पर विभिन्न प्रकार की जानकारी होती है, जो आपके आयकर रिटर्न के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं। इस जानकारी में शामिल हैं:

  • ब्याज: आपके द्वारा बैंक या वित्तीय संस्थानों से प्राप्त किए गए ब्याज की जानकारी।
  • डिविडेंड: आपके द्वारा प्राप्त डिविडेंड की जानकारी, चाहे वह स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स या अन्य स्रोतों से हो।
  • शेयरों से जुड़े लेनदेन: शेयर बाजार में की गई खरीद-फरोख्त की जानकारी, जो STT (Security Transaction Tax) के तहत आती है।
  • म्यूचुअल फंड ट्रांजेक्शन: म्यूचुअल फंड्स में किए गए निवेश और उसके लाभ-हानि की जानकारी।
  • विदेश से खाते में आई राशि: विदेश से आपके खाते में आई कोई भी राशि, चाहे वह आय हो या किसी अन्य उद्देश्य से ट्रांसफर की गई हो।
  • किराए से प्राप्त आय: यदि आपके पास कोई किराएदार है, तो उसकी ओर से प्राप्त किराए की जानकारी।
  • सिक्योरिटीज की खरीद-बिक्री: आपके द्वारा खरीदी गई और बेची गई सिक्योरिटीज की जानकारी।
  • GST टर्नओवर: यदि आप GST के तहत पंजीकृत हैं, तो आपका GST टर्नओवर भी AIS में दर्ज होता है।

इसमें शामिल सभी जानकारी आयकर अधिनियम, 1961 के तहत जरूरी होती है और इसे आयकर विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त किया जाता है। इस डेटा के माध्यम से आयकर विभाग आपके द्वारा किए गए वित्तीय लेनदेन पर नज़र रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि सभी लेनदेन सही तरीके से रिपोर्ट किए गए हैं।

AIS और Form 26AS में अंतर

  • Form 26AS: यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है जो केवल TDS (Tax Deducted at Source), TCS (Tax Collected at Source) और अन्य प्रमुख वित्तीय लेनदेन की जानकारी प्रदान करता है। इसमें प्रॉपर्टी खरीदने, बड़े निवेश और TDS/TCS ट्रांजेक्शन की जानकारी होती है।
  • AIS: यह Form 26AS से अधिक विस्तृत है। इसके तहत ब्याज, डिविडेंड, किराए से प्राप्त आय, सिक्योरिटीज की खरीद-बिक्री, और विदेश से आए पैसे जैसी अतिरिक्त जानकारियां भी दर्ज होती हैं। AIS के जरिए आपको और अधिक डेटा मिलता है, जो आपकी पूरी वित्तीय स्थिति को स्पष्ट करता है और आयकर रिटर्न भरने में मदद करता है।

AIS चेक करने का तरीका:

यदि आप चाहते हैं कि AIS में कोई गलती न हो और आयकर रिटर्न भरते समय कोई परेशानी न हो, तो इसकी जांच करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाएं:

  1. आयकर विभाग की वेबसाइट (incometax.gov.in) पर जाएं।
  2. अपने आधिकारिक अकाउंट में लॉगिन करें।
  3. ई-फाइलिंग पोर्टल पर ‘सर्विसेज’ टैब में ‘Annual Information Statement’ पर क्लिक करें।
  4. फिर संबंधित वित्तीय वर्ष को चुनें।
  5. आपके सामने AIS प्रदर्शित हो जाएगा, जिसे आप डाउनलोड कर सकते हैं।

यह प्रक्रिया आपको अपने लेनदेन को ध्यान से चेक करने और कोई भी त्रुटि सुधारने का पर्याप्त समय देती है।

AIS की नियमित जांच का महत्व

AIS की नियमित जांच से आपको ITR दाखिल करते समय गलत जानकारी के कारण होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है। इसमें दर्ज गलत जानकारी को सही समय पर सुधारने से आप भविष्य में किसी भी प्रकार की कानूनी समस्या से बच सकते हैं। यह न केवल आपके समय की बचत करेगी, बल्कि आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को भी आसान बनाएगी। करदाताओं को चाहिए कि वे AIS में दर्ज सभी जानकारियों की सत्यता सुनिश्चित करें और किसी भी त्रुटि को समय रहते सुधारें। नियमित जांच से आप आयकर रिटर्न की प्रक्रिया को सही और सटीक तरीके से पूरा कर सकते हैं, जिससे भविष्य में कोई भी परेशानियां न हों।