सावधान! पत्नी को कैश देने पर भी आएगा Income Tax नोटिस!
Income Tax Cash Rules :आयकर अधिनियम में सभी के साथ नकद लेन-देन को लेकर प्रावधान है। इसके लिए अलग से नियम भी बनाए गए हैं। इन्हीं में से एक नियम पत्नी को नकद देने पर भी लागू होता है। अगर आप इस नियम का उल्लंघन करते हैं तो आपके घर भी आयकर विभाग का नोटिस आ सकता है। आइए जानते हैं पत्नी को नकद देने को लेकर आयकर के क्या नियम हैं।

Income Tax Cash Rules (Haryana Update) : आमतौर पर ज्यादातर लोग यही समझते हैं कि आयकर नियमों में सिर्फ दूसरे लोगों से व्यवहार और लेन-देन के लिए ही नियम बनाए गए हैं (Income tax rules on cash transaction)। लेकिन वे इस बात से अनजान हैं कि अगर पति अपनी पत्नी को नकद देता है तो इस पर भी आयकर का नियम (patni ko paise dene par tax Notice) लागू होता है। अगर इस नियम का ध्यान नहीं रखा गया तो आयकर आपको पकड़ सकता है और आपको आयकर नोटिस और कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
ये कहते हैं विशेषज्ञ-
विशेषज्ञों के मुताबिक अगर पति अपनी पत्नी को खर्च या उपहार के तौर पर पैसे देता है (patni ko gift dene par tax) तो इसे पति की आय माना जाता है और इस पर पत्नी पर टैक्स नहीं लगता। भारतीय कानून के तहत पति-पत्नी के बीच लेन-देन पर विशेष नियम हैं। हालांकि, यह लेन-देन चाहे नकद (आयकर नियम) में हो या अन्य रूप में, आयकर के नियमों और संबंधित धाराओं का पालन करना जरूरी है। इसलिए सही तरीके से लेन-देन करना जरूरी है।
पत्नी को नकद देने पर ये हैं टैक्स नियम-
पत्नी को घर खर्च या उपहार देने पर: जब कोई व्यक्ति अपने जीवनसाथी को पैसे देता है, चाहे वह घर खर्च के लिए हो (आयकर नोटिस) या उपहार के रूप में, तो उस पर टैक्स संबंधी कोई समस्या नहीं होती है। यह पैसा उसकी अपनी आय माना जाता है और पत्नी की आय के रूप में नहीं गिना जाता है। नतीजतन, पत्नी किसी भी अतिरिक्त कर (आयकर विभाग नोटिस) का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार नहीं है। इस प्रकार, पैसे का लेन-देन केवल पति की वित्तीय देयता के अंतर्गत आता है।
बार-बार निवेश के लिए नकद देने पर-
अगर पत्नी पति द्वारा दिए गए किसी भी पैसे को बार-बार निवेश करती है और उससे लाभ प्राप्त करती है, तो उस पर टैक्स लगाया जा सकता है (कर समाचार)। इस स्थिति में, उसे अपनी आय सही ढंग से दर्ज करनी होगी। नतीजतन, यह पैसा पति की आय में शामिल हो सकता है। जिसे क्लबिंग ऑफ इनकम कहते हैं। इस प्रकार पति की कुल कर देयता बढ़ सकती है और कर जिम्मेदारी बढ़ सकती है।
कानून में नकद लेन-देन के नियम-
भारत में धारा 269SS और धारा 269T के तहत 20,000 रुपये से अधिक की नकद राशि का लेन-देन केवल बैंकिंग के माध्यम से ही किया जा सकता है। यदि इससे अधिक राशि दी या प्राप्त की जाती है, तो उसे बैंक के माध्यम से ही करना आवश्यक है। इसके अलावा 20,000 रुपये से अधिक की नकद निकासी भी बैंकिंग चैनल के माध्यम से ही की जा सकती है। हालांकि, पति-पत्नी के बीच होने वाले लेन-देन पर इन धाराओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। वित्तीय पारदर्शिता और भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए इन नियमों का पालन करना आवश्यक है।
पत्नी को नकद देने की सीमा-
पति अपनी पत्नी को खर्च के लिए पैसे दे सकता है। इस पैसे पर कोई टैक्स नहीं लगता। यह राशि पति की आय में शामिल नहीं होती। यह दोनों के बीच होने वाला सामान्य लेन-देन है और इसकी कोई सीमा नहीं है। यह व्यवस्था कानूनी रूप से स्थापित है, जिससे घर का खर्च आसान हो जाता है। पति को यह पैसा देने पर कोई वित्तीय प्रतिबंध नहीं है। यानी पत्नी को खर्च के लिए पैसे देने पर टैक्स की स्थिति नहीं बनती।
पत्नी के निवेश से होने वाली आय पर टैक्स -
अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को पैसे देता है और वह उस पैसे को किसी निवेश में लगाती है, तो उस निवेश से होने वाली आय पर टैक्स लगेगा (Income Tax Notice). उदाहरण के लिए, अगर पत्नी को दिए गए पैसे से सालाना 1,00,000 रुपये की कमाई होती है, तो यह आय पति की कुल आय में जुड़ जाएगी. इसके बाद पति की आय के आधार पर टैक्स निर्धारित किया जाएगा (नकद लेन-देन करने के नियम). इस स्थिति में पति को ज़्यादा टैक्स देना पड़ सकता है.
नकद लेन-देन में सावधानियां -
किराये से होने वाली आय: अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को पैसे देता है और वह उस पैसे से कोई प्रॉपर्टी खरीदती है, जिसे बाद में किराए पर दे दिया जाता है, तो मिलने वाला किराया पत्नी की आय मानी जाएगी. पत्नी को इस आय पर टैक्स देना होगा (नकद लेन-देन में आयकर के नियम), क्योंकि यह पैसा आय के तौर पर उसके नाम पर आया है. इस स्थिति में टैक्स की जिम्मेदारी पत्नी की होगी, क्योंकि उसे किराए पर दी गई प्रॉपर्टी से आय हो रही है. गिफ्ट टैक्स नियम: पति द्वारा पत्नी को दिए गए पैसे पर टैक्स नहीं लगता, क्योंकि वे एक-दूसरे के करीबी रिश्तेदार होते हैं। भारत में ऐसे मामलों में गिफ्ट टैक्स लागू नहीं होता। यह नियम खास तौर पर परिवार के भीतर वित्तीय लेन-देन को छूट प्रदान करता है, ताकि पति-पत्नी के बीच गिफ्ट देने पर टैक्स न लगे।
वित्तीय लेन-देन और टैक्स नियमों का पालन करें-
20,000 रुपये से अधिक के नकद लेन-देन से बचें और भुगतान के लिए बैंक माध्यम का इस्तेमाल करें। चेक या डिजिटल ट्रांसफर NEFT और RTGS जैसे तरीके सुरक्षित हैं। टैक्स रिटर्न में पत्नी द्वारा किए गए निवेश की सही जानकारी भरना जरूरी है। अगर पत्नी ने कोई प्रॉपर्टी खरीदी है या निवेश किया है (निवेश पर कितना टैक्स लगता है) तो उसकी आय पर टैक्स जरूर चुकाएं। इससे वित्तीय लेन-देन और टैक्स से जुड़े नियमों का पालन करने में मदद मिलेगी।
पत्नी को दी गई रकम पर आयकर विभाग की नजर-
अगर यह साबित हो जाता है कि किसी ने टैक्स बचाने के मकसद से पत्नी को दी गई रकम का इस्तेमाल किया है या उस रकम से आय छिपाई है, तो टैक्स विभाग सख्त कार्रवाई कर सकता है। इस स्थिति में आयकर विभाग की ओर से नोटिस जारी किया जा सकता है। ऐसे में सही जानकारी देना और नियमों का पालन करना जरूरी है, ताकि किसी भी तरह की कानूनी परेशानी से बचा जा सके।
नकद लेनदेन पर नियंत्रण और वित्तीय पारदर्शिता -
भारतीय कर प्रणाली में धारा 269SS और 269T कर कानून के नियम हैं जो नकद लेनदेन को नियंत्रित करते हैं। इन नियमों (पत्नी को नकद देने के नियम समझें) का उद्देश्य वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता बनाए रखना और काले धन को रोकना है। खास तौर पर एक निश्चित राशि 20 हजार रुपये से ज्यादा नकद लेने या देने पर रोक है। ऐसे लेनदेन (पति पत्नी नकद लेनदेन और टैक्स) को रिकॉर्ड करके सरकार यह सुनिश्चित करती है कि सभी वित्तीय गतिविधियों की स्पष्ट रूप से रिपोर्ट की जाए और किसी भी तरह की धोखाधड़ी या कर चोरी को रोका जा सके। यह कदम अर्थव्यवस्था में धन के उचित प्रवाह को सुनिश्चित करता है।
नकद लेन-देन पर जुर्माना और सजा -
अगर कोई व्यक्ति 20,000 रुपये से अधिक का नकद लेन-देन (नगद लेन देन कितना किया जा सकता है) करता है और वह वैवाहिक रिश्ते में नहीं है, तो उसे बड़ी सजा भुगतनी पड़ सकती है। कर विभाग ऐसे मामलों में धारा 271डी के तहत जुर्माना लगाने का अधिकार सुरक्षित रखता है (पति को नकद देने पर टैक्स रिटर्न), जो उसी राशि के बराबर हो सकता है। इस नियम का उल्लंघन करने पर संबंधित व्यक्ति पर कड़ी सजा हो सकती है, जो कानून के तहत निर्धारित है और इससे बचने के लिए सभी को सही तरीके से लेन-देन करना चाहिए।
करीबी रिश्तेदारों और वैध लेन-देन पर जुर्माने से छूट -
परिवार के सदस्यों, जैसे पति-पत्नी, माता-पिता, बच्चों और भाई-बहनों के बीच नकद लेन-देन (टैक्स सेविंग टिप्स) पर कोई जुर्माना नहीं है। इसी तरह, ये नियम उपहार, घरेलू खर्च या अन्य वैध कारणों से दिए गए पैसे पर लागू नहीं होते हैं। इसके अलावा, कृषि आय और लेन-देन इन नियमों (आयकर नियम) से प्रभावित नहीं होते हैं। इस प्रकार, इन स्थितियों में कोई दंड या जुर्माना नहीं है, क्योंकि ये कानूनी और वैध कारणों से किए गए लेनदेन हैं। इन मामलों में कोई कठिनाई नहीं है।