अगर लोन लेने वाले की हो जाए मौत, तो कौन चुकाएगा कर्ज? जानें बैंक के नियम
अगर लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उस कर्ज का भुगतान कौन करेगा? जानें बैंक के नियम, लोन सेटलमेंट की प्रक्रिया और क्या होता है ब्याज का हिसाब।

Haryana update : आजकल घर, गाड़ी या अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लोन लेना एक सामान्य प्रक्रिया बन गई है। बैंक, लोन देने से पहले व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री, आय के स्रोत और रीपेमेंट क्षमता को ध्यान में रखते हैं। लेकिन अगर लोन लेने वाले व्यक्ति का निधन हो जाता है, तो सवाल उठता है कि उस कर्ज की जिम्मेदारी किसकी होगी? क्या परिवार के सदस्य इसे चुकाने के लिए बाध्य होंगे? आइए, इस संबंध में बैंकिंग नियमों को समझते हैं।
वसूली के नियम क्या कहते हैं?
यदि लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो बैंक सबसे पहले को-एप्लिकेंट (सह-आवेदक) से संपर्क करता है। को-एप्लिकेंट का नाम होम लोन, एजुकेशन लोन या जॉइंट लोन में दर्ज होता है। यदि को-एप्लिकेंट भी लोन चुकाने में असमर्थ रहता है, तो बैंक गारंटर (Guarantor) से संपर्क करता है।
यदि गारंटर भी कर्ज चुकाने में असमर्थ होता है, तो बैंक मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी (Legal Heir) से संपर्क करता है। इसमें मृतक के परिवार के सदस्य जैसे पत्नी, बच्चे या माता-पिता शामिल हो सकते हैं। बैंक कानूनी उत्तराधिकारी से लोन चुकाने की उम्मीद करता है।
बैंक कब संपत्ति को जब्त करता है?
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अगर को-एप्लिकेंट, गारंटर और कानूनी उत्तराधिकारी में से कोई भी लोन चुकाने में सक्षम नहीं होता, तो बैंक के पास मृतक की संपत्ति को जब्त (Seizure) करने और उसे बेचने का अधिकार होता है।
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होम लोन: बैंक मृतक के मकान को जब्त कर सकता है और नीलामी के जरिए उसे बेचकर कर्ज वसूल सकता है।
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ऑटो लोन: बैंक वाहन को जब्त कर नीलामी कर सकता है।
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पर्सनल लोन: बैंक अन्य संपत्तियों को जब्त कर उन्हें बेच सकता है।
लोन इंश्योरेंस होने पर क्या होगा?
यदि मृतक ने लोन प्रोटेक्शन इंश्योरेंस लिया है, तो उसकी मृत्यु के बाद पूरा कर्ज बीमा कंपनी द्वारा चुकाया जाता है। ऐसे में परिवार पर किसी प्रकार का आर्थिक बोझ नहीं पड़ता।
कानूनी उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी
बैंक कानूनी उत्तराधिकारी को लोन चुकाने के लिए बाध्य कर सकता है, लेकिन केवल तब जब उन्होंने मृतक की संपत्ति को उत्तराधिकार में स्वीकार किया हो। अगर उन्होंने संपत्ति को स्वीकार नहीं किया है, तो वे लोन चुकाने के लिए बाध्य नहीं हैं।
इन नियमों को समझकर, लोन लेते समय लोन प्रोटेक्शन इंश्योरेंस लेना एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है, जिससे परिवार पर अनचाहा बोझ न पड़े।