Goal Based Investing: जानिए कैसे इस तरीके से आसानी से पूरे होंगे आपके टारगेट और मिलेगा अच्छा रिटर्न
Goal Based Investing एक स्मार्ट तरीका है, जिसमें आप अपने निवेश को विशिष्ट लक्ष्यों के हिसाब से निर्धारित करते हैं। जैसे, शिक्षा, रिटायरमेंट, घर खरीदना आदि। इस रणनीति में आप अपने लक्ष्य के हिसाब से सही निवेश विकल्प चुनते हैं, ताकि समय पर और उचित रिटर्न मिल सके। इससे आपको न केवल अपने फाइनेंशियल गोल्स तक पहुंचने में मदद मिलती है, बल्कि आपका निवेश भी सही दिशा में बढ़ता है। जानें इस तरीके से अपने टारगेट कैसे आसानी से पूरे कर सकते हैं।

Haryana update : जीवन में हर किसी का कोई न कोई बड़ा सपना होता है, चाहे वह घर खरीदना हो, बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे जमा करना हो, या रिटायरमेंट के लिए प्लान करना हो। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए महज सपना देखना काफी नहीं होता, बल्कि इसके लिए सही योजना, निवेश, और नियमित बचत की जरूरत होती है। इसे हम गोल बेस्ड इनवेस्टिंग कहते हैं।
गोल बेस्ड इनवेस्टिंग क्या है?
गोल बेस्ड इनवेस्टिंग का मतलब है अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए पैसे को सही जगह निवेश करना ताकि वह लक्ष्य आसानी से पूरा हो सके और बेहतर रिटर्न मिले। इसके अंतर्गत आपको यह समझने की जरूरत होती है कि आपके लक्ष्य के लिए कितनी रकम चाहिए, इस रकम को कब तक इकट्ठा करना है, और निवेश कहां और कैसे करना है।
महत्वपूर्ण कदम:
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गोल को पहचानकर प्राथमिकता तय करें: सबसे पहले, अपने सभी फाइनेंशियल गोल्स की लिस्ट तैयार करें और उन्हें प्राथमिकता के हिसाब से सेट करें। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि आपका पैसा कहां पर लगाना चाहिए।
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गोल के हिसाब से आवश्यक रकम का हिसाब करें: यह जानना जरूरी है कि प्रत्येक गोल को पूरा करने के लिए कितनी रकम चाहिए। इस हिसाब से आपको महंगाई और समय का भी ख्याल रखना होगा।
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टारगेट के हिसाब से सही निवेश करें: जल्दी पूरे होने वाले लक्ष्यों के लिए कम जोखिम वाले निवेश (जैसे FD, बॉन्ड्स) और दूर के लक्ष्यों के लिए उच्च जोखिम वाले निवेश (जैसे म्यूचुअल फंड्स, शेयर) चुनें।
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निवेश का तरीका चुनें: प्रत्येक गोल के लिए अलग-अलग निवेश की रणनीति बनाएं। फिक्स्ड डिपॉजिट, कम समय वाली बॉंड्स और लिक्विड फंड्स जैसे सुरक्षित निवेश छोटे लक्ष्यों के लिए और म्यूचुअल फंड्स, शेयर जैसी उच्च जोखिम वाली योजनाएं बड़े लक्ष्यों के लिए उपयुक्त होती हैं।
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समय-समय पर रीबैलेंस करें: अपने निवेश को नियमित रूप से रिव्यू करें और जरूरत के हिसाब से उसमें बदलाव करें।
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ऑटोमेटिक निवेश सेट करें: अपनी सैलरी से ऑटोमेटिक पैसे निवेश खाते में ट्रांसफर करने की व्यवस्था करें। इससे आप नियमित रूप से निवेश करते रहेंगे और गोल को पाने में आसानी होगी।
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अनुशासन बनाए रखें: अपने निवेश के प्रति अनुशासित रहें और भावनाओं के आधार पर फैसले न लें। हमेशा निवेश के फैसले ठंडे दिमाग से करें।
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निवेश पर नजर रखें: यह देखते रहें कि आपका निवेश किस प्रकार से प्रदर्शन कर रहा है। जरूरत पड़ी तो रणनीति में बदलाव करें।
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जानकार से सलाह लें: यदि आपको समझ में न आए कि कहां और कैसे निवेश करें, तो किसी वित्तीय सलाहकार से मार्गदर्शन लें।